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Tuesday 21 January 2014 11:29:24 PM
नई दिल्ली/ व्हीलर द्वीप। भारत ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तत्वावधान में कल सुबह 10 बजकर 52 मिनट पर 4,000 किलोमीटर तक मार कर सकने वाले परमाणु प्रक्षेपास्त्र अग्नि-4 का ओडिशा के व्हीलर द्वीप से सफल प्रक्षेपण किया। इस प्रक्षेपास्त्र ने बड़ी सहजता से मिश्रित ठोस ईंधन वाली रॉकेट मोटर प्रौद्योगिकी के आधार पर 850 किलोमीटर ऊंची उड़ान भरी और बीस मिनट के भीतर अपने पूरे क्षेत्र को कवर करते हुए लक्ष्य पर दो अंकों वाली सटीकता के साथ प्रहार किया। अग्नि-4 का यह लगातार तीसरा सफल प्रक्षेपण था। अब इसे सशस्त्र सेना को सौंप दिया जाएगा।
अग्नि-4 का यह परीक्षण डीआरडीओ के महानिदेशक एवं रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार अविनाश चंदर की देखरेख में हुआ। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इस सफलता के लिए अविनाश चंदर और उनकी टीम को बधाई दी है। अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3 और पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र पहले ही सशस्त्र सेनाओं के भंडार में मौजूद हैं, जो 3,000 किलोमीटर तक प्रहार करने की क्षमता रखते हैं। डीएस एवं डीजी (एमएसएस) डॉ वीजी शेखरन ने प्रक्षेपण संबंधी गतिविधियों को देखा और उससे जुड़ी टीम का मार्ग निर्देशन किया। परियोजना निदेशक टेस्सी थॉमस ने अग्नि-4 के परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया।
जीएसएलवी-डी5 और मंगलयान के प्रक्षेपण की सफलता के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रतिनिधिमंडल से भेंट की। प्रधानमंत्री ने आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष सहित और हाल के 8 भारतीय अंतरिक्ष अभियानों के परियोजना निदेशकों और प्रमुख कार्यकारियों के साथ मुलाकात की। ये सभी अभियान जुलाई 2013 से अब तक सफलतापूर्वक पूरे किये गये हैं। उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए प्रधानमंत्री ने पूरी इसरो बिरादरी की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनवरी 2014 में जीएसएलवी-डी5 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया, जो बहुत बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि भारत जटिल क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी के जरिए भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में आत्मनिर्भर हो गया है तथा इस कारनामे के जरिए जीएसएलवी में भरोसा भी मजबूत हुआ है।
प्रधानमंत्री ने मंगलयान के आगामी महत्वपूर्ण संचालनों की कामयाबी के लिए शुभकामनाएं व्यक्त कीं और कहा कि इस अभियान से भारत की अंतरिक्ष खोजों का एक नया शानदार अध्याय शुरू होगा। इसरो प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने एक वक्तव्य में कहा कि जो अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधानकर्ता, इंजीनियर और वैज्ञानिक इस कार्य में लगे हैं, उन सभी ने हमें अपनी भूमिका के लिए गौरवान्वित किया है। अंतरिक्ष वैज्ञानिक, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकीविद, अंतरिक्ष इंजीनियर्स यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, ताकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां राष्ट्रीय विकास का वास्तविक उपकरण बन सकें। उन्होंने विज्ञानियों से कहा कि आप शानदार कार्य कर रहे हैं और मैं आप सभी को तथा इन राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में लगे सभी व्यक्तियों की सराहना करता हूं और बधाई देता हूं।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष इस तरह से राष्ट्रीय विकास का ऐसा औजार बन गया है, जिसकी दो-तीन दशक पहले कभी परिकल्पना भी नहीं की गई थी। विज्ञानियों ने राष्ट्र निर्माण में ऐसा कार्य किया है, जिससे वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और इंजीनियरों की भूमिका से पूरा देश गौरव का अनुभव करता है, उन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया है, लेकिन जैसा मैं अक्सर कहता हूं कि विज्ञानियों का सर्वश्रेष्ठ कार्य अभी सामने आना बाकी है, इन नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए मेरी आप सबको शुभकानाएं।