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Tuesday 25 February 2014 11:07:21 PM
नई दिल्ली। क्षयरोग और संबंधित बीमारियों पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत क्षयरोग संगठन के तत्वावधान में क्षयरोग और छाती रोग पर आयोजित 68वें राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए क्षयरोग संगठन और राष्ट्रीय क्षयरोग व श्वसन रोग संस्थान (एनआईटीआरडी) धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि यह हम सभी जानते हैं कि क्षयरोग से भारत में दुनियाभर में सबसे ज्यादा पीड़ित है, इस बीमारी से भारत में हर दो मिनट पर एक व्यक्ति की मृत्यु होती है, यानी हर दिन लगभग 750 लोग क्षयरोग का शिकार बनते हैं, ऐसे में संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) भारत की एक बड़ी उपलब्धि है।
कार्यक्रम का उद्देश्य ‘क्षयरोग मुक्त भारत’ का निर्माण करना है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी क्षयरोग नियंत्रण के लिए एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय योजना (2012-17) तैयार की है। इसका उद्देश्य बेहतर चिकित्सा सुविधा तक रोगियों की पहुंच और प्रभावी उपचार सुनिश्चित करना है। इस दिशा में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) ने भी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन क्षमता और अपने दायरे का विस्तार किया है। इसने सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व स्वयंसेवकों का ऐसा समूह तैयार किया है, जो क्षयरोग पीड़ितों का पता लगाने में सक्षम है। केंद्रीय क्षयरोग प्रभाग ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के साथ मिलकर क्षयरोग से संबंधित वेब प्लेटफॉर्म ‘निक्षय’ तैयार किया। इसके जरिए क्षयरोग मामलों की पड़ताल और बेहतर निगरानी की जाएगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह यह एक प्रभावी कार्यक्रम प्रबंधन उपकरण साबित होगा। अस्थमा, फेफड़े का कैंसर, धूम्रपान संबंधी बीमारियां जैसे अन्य अनेक रोग भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर अतिरिक्त बोझ बनकर उभरे हैं, ऐसे में नैटकॉन जैसे राष्ट्रीय सम्मेलन इन बीमारियों के नियंत्रण और उपचार के लिए राष्ट्रीय नीतियां बनाने और इन पर विमर्श के लिहाज से बेहतरीन मंच है। उन्होंने कहा कि हम देश में सस्ती और सर्वसुलभ स्वास्थ्य प्रणाली की स्थापना के लिए अपना श्रेष्ठ लगातार देते रहने के प्रति वचनबद्धता व्यक्त करते हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि जब सरे देशवासी एकजुट होकर काम करेंगे, तो हम क्षयरोग व अन्य बीमारियों रहित भारत बनाने में सक्षम होंगे।