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Friday 18 January 2013 04:41:01 AM
शिमला। हिमाचल प्रदेश के जानेमाने वरिष्ठ कवि व आलोचक श्रीनिवासश्रीकांत के 75वें जन्मदिन की पूर्व संन्ध्या पर शिमला के गेयटी सभागार में उनका लेखकों ने सार्वजनिक अभिनंदन किया। इस मौके पर हिमालय साहित्य, संस्कृति और पर्यावरण मंच के तत्वावधान एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के लगभग 60 साहित्यकारों ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रीनिवास श्रीकांत के सद्य प्रकाशित कविता संग्रह चट्टान पर लड़की का विमोचन हुआ और विमोचन भी एक बाल कलाकार सिमरन ने किया। यह पहला अवसर था जब किसी संस्था की ओर से परंपरा को तोड़ते हुए किसी बालिका के कर कमलों से वरिष्ठ साहित्यकार की पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ लेखक रामदयाल नीरज ने कहा कि श्रीनिवास श्रीकांत ने अपने पहले संग्रह नियति, इतिहास और जरायु के माध्यम से पाठकों का ध्यान आकृष्ठ किया था। उन्होंने कहा कि वे 1975 में श्रीनिवास श्रीकांत के संपर्क में आए और उनकी विलक्षण सृजनात्मक प्रतिभा से रूबरू हुए। नीरज ने कहा कि श्रीनिवास गिरिराज और हिमप्रस्थ के संपादन से लंबे समय तक जुड़े रहे और उन्होंने नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया। नीरज ने कहा कि साहित्य के प्रति उनका रूझान व अनुराग श्रीनिवास श्रीकांत के कारण हुआ।
आलोचक डॉ हेमराज कौशिक ने श्रीनिवास श्रीकांत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं, क्योंकि कवि के रूप में प्रतिष्ठित होने के साथ-साथ एक कुशल संपादक तथा आलोचना के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई। तुलसी रमण ने उनकी पुस्तक चट्टान पर लड़की पर विवेचनात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस भूमंडलीकरण का सघन दौर अब आया है, श्रीनिवास के कवि को करीब चार दशक पहले इसकी भनक थी। उन्होंने आगे कहा कि श्रीनिवास एक जन्मजात कवि हैं, वह कविता का तानाबाना नहीं बुनता उसकी कविता सहज प्रवाह से आती है, असल में श्रीनिवास श्रीकांत का रचनाकार कला विधाओं का कोलाज है। आत्मा रंजन, अवतार एनगिन, मधुकर भारती ने भी उनकी रचनाओं की चर्चा की।
संगोष्ठी के आयोजक एसआर हरनोट ने कहा कि श्रीनिवास श्रीकांत एक अंतराल के चिंतन के बाद पुनःअपनी सक्रिय रचनात्मकता की ओर लौटे हैं और यह हम सभी को आश्चर्य चकित भी करता है कि पिछले तीन सालों में उनके तीन कविता संग्रह-बात करती है हवा, घर एक यात्रा है, हर तरफ समंदर है, के अतिरिक्त कथा में पहाड़ जैसा संपादित वृहद् कथा-ग्रंथ और एक आलोचना पुस्तक गल्प के रंग प्रकाशित हुए हैं।कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए इरावती के संपादक राजेंद्र राजन ने श्रीनिवास श्रीकांत के हिंदी साहित्य में अवदान को एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि वे हिमाचल के पहले ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने कविता के अलावा अन्य सभी विधाओं में समान रूप मे दक्षता हासिल की।
राजेंद्र राजन ने मंच संचालन भी किया। इस अवसर पर श्रीनिवास श्रीकांत ने तरून्नम में अपनी गजलें व गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। गोष्ठी में उपस्थित लेखकों में केशव, अवतार एनगिल, बद्रीसिंह भाटिया, अरविंद रंचन, ओम भारद्वाज, तेज राम शर्मा, आरसी शर्मा, अरूण भारती, रजनीश, इंद्रपाल, कुल राजीव पंत, नीता अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, अश्विनी गर्ग और निर्मला शर्मा शामिल है।