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Saturday 3 January 2015 02:54:24 PM
मुंबई। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने मुंबई में आयोजित अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडियन ऑरिजन (एएपीआई) के वैश्विक स्वास्थ्य सम्मेलन में भारत के लोगों के लिए 'सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं' विषय पर कहा कि केंद्र सरकार अस्पतालों और क्लीनिकों में देखभाल की जरूरत को कम करने और 'बीमारी की देखभाल' की जगह 'स्वास्थ्य देखभाल' पर जोर देने की योजना बना रही है। बचाव और प्रोन्नत स्वास्थ्य समेत अब व्यापक और समग्र प्रारंभिक स्वास्थ्य देखभाल पर जोर होगा, ताकि स्वास्थ्य को सुधारा जा सके और इसमें होने वाले व्यय को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर सभी लोगों को सकारात्मक स्वास्थ्य का एक वाहक बनाया जाए, ताकि स्वास्थ्य के लिए एक सामाजिक आंदोलन शुरू किया जा सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों में स्वास्थ्य क्षेत्र की बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, फिर भी कई चुनौतियों को प्रभावी ढंग से निपटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वाज़िब दरों पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना अभी भी एक चुनौती है। जेपी नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी बनाने के लिए डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी एक चिंता का विषय है। विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में यह कमी खल रही है। उन्होंने कहा कि एएपीआई से जुड़े डॉक्टरों का न केवल हम स्वागत करते हैं, बल्कि देश को उनकी जरूरत है। उन्होने आग्रह किया कि एएपीआई के सदस्य प्रतिवर्ष यहां आएं और कम से कम एक सप्ताह से दस दिन दूरदराज इलाकों में अपनी सेवाएं दें।
जेपी नड्डा ने कहा कि एएपीआई को एक संगठन के रूप में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे आधुनिक तकनीकों, अविष्कारों पर टेलीशिक्षा प्रदान करने पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के नए प्रारूप को मंत्रालय की वेबसाइट पर हाल में ही डाला गया है और नीति को प्रभावी बनाने के लिए वे पूरे विश्व से स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों के सुझावों का स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि हमपर उन उपायों और माध्यमों को तलाशने की जिम्मेदारी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी और जवाबदेह बनाते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके। उन्होंने एएपीआई सदस्यों से आग्रह किया कि वे श्रेष्ठ प्रचलनों, तकनीकों और जरूरी शोधों को भारत के संदर्भ में हमसे साझा करें।