स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 6 January 2015 05:10:43 AM
नई दिल्ली। अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच का 24वां वार्षिक साहित्य उत्सव आदर्श पुरुष महामना मदन मोहन मालवीय, प्रख्यात गायक मोहम्मद रफ़ी, संपादक लेखक कवि और नाटककार धर्मवीर भारती, प्रसिद्ध पत्रकार बनारसीदास चतुर्वेदी एवं प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेंद्र कुमार की जयंती के रूप में मुक्त धारा ऑडिटोरियम गोल मार्केट नई दिल्ली में आयोजित किया गया। अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र सहित वरिष्ठ समाज सेवी यशपाल गुप्ता ने मां सरस्वती के चित्र पर द्वीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि, पूर्व महापौर महेश चंद्र शर्मा वरिष्ठ पत्रकार मनोहर पुरी, योगराज शर्मा, एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार मुन्ना भारती ने भी मां सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण किया। समारोह का शुभारंभ विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की वंदना से साथ किया गया।
साहित्य उत्सव एवं सम्मान समारोह में बच्चों ने राष्ट्रीय एकता के सूत्र में सभी को एक करने के भाव के साथ गरिमामय राष्ट्रीय वंदना प्रस्तुत की। बच्चों ने समूह में कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत पर मंथन करते हुए गीत नृत्य के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। गीत-गज़लों का दौर भी बीच-बीच में चलता रहा, जिसमें वरिष्ठ कवि नरेंद्र सिंह होशियारपुरी ने अपनी कविताओं के माध्यम से काव्यात्मक गीत की दुर्लभ संगति दी और वास्तविकता को समानता के साथ समाहित किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने इस मौके पर कहा कि भारतीय संस्कृति न तो व्यक्तिवादी है और न समूहवादी, हमारी संस्कृति तो व्यक्तित्ववादी है, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर हमारा समाज व्यक्तिवाद पर केंद्रित होता जा रहा है, यही वजह है कि आज हमारे चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है और व्यक्ति स्वार्थी होता जा रहा है।
पूर्व महापौर महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय देश की एकता में उन्नति और विकास का प्रतिबिंब देखते थे, उनका कहना था कि भारतवर्ष केवल हिंदुओं का देश नहीं है, बल्कि यह तो मुस्लिम, इसाई और पारसियों का भी देश है। उन्होंने कहा कि यह देश तभी संपन्न और शक्तिशाली हो सकता है, जब भारतवर्ष की विभिन्न जातियां और यहां के विभिन्न संप्रदाय पारस्परिक सद्भावना और एकात्मकता के साथ रहें। उन्होंने कहा कि जो भी लोग इस एकता को भंग करने का प्रयास करते हैं, वे केवल अपने देश के ही नहीं, वरन् अपनी जाति के भी शत्रु हैं, हमें महामना मदन मोहन मालवीय के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने मोहम्मद रफ़ी के जीवन प्रसंग पर विचार व्यक्त किए और कहा कि उन्हें दुनिया रफ़ी या रफ़ी साहब के नाम से बुलाती है, वे हिंदी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे, अपनी दमदार आवाज़ की मधुरता उन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच एक अलग पहचान बनाई, उन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था। उन्होंने कहा कि मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने कई गायकों को प्रेरित किया, जिनमें सोनू निगम, मुहम्मद अज़ीज़ तथा उदित नारायण का नाम उल्लेखनीय है, उन्होंने हिंदी गानों के अतिरिक्त ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति के गीत, क़व्वाली तथा अन्य भाषाओं में भी गीत गाए, जो आज भी जीवंत हैं। लेखक मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने साहित्य उत्सव समारोह में आए अतिथियो का आभार व्यक्त किया। सुरेश खंडेलवाल ने कहा कि साहित्य आज समाजोन्मुखी हो गया है, लेखन से केवल लेखक को नहीं, सबको आनंद आना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार योगराज शर्मा ने कहा कि जैनेंद्र कुमार का हिंदी साहित्य में विशेष स्थान है फिर भी ऐसा लगता है कि समय के साथ उनके योगदान के महत्त्व को लोगों ने कुछ भुला सा दिया है। उन्होंने कहा कि जैनेंद्र पहले ऐसे लेखक रहे हैं, जिन्होंने हिंदी गद्य को मनोवैज्ञानिक गहराईयों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि जिस समय प्रेमचंद सामाजिक पृष्ठभूमि के उपन्यास और कहानियाँ लिख कर जनता को जीवन की सच्चाइयों से जोड़ने के काम में लगे थे, तब आलोचकों और पाठकों की प्रतिक्रिया की चिंता किए बिना, कहानी और उपन्यास लिखना जैनेंद्र के लिए कितना कठिन रहा होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उस वक्त हिंदी गद्य "प्रेमचंद युग" के नाम से जाना जा रहा था, तब उस नई लहर के मध्य एक बिल्कुल नयी धारा प्रारंभ करना सरल कार्य नहीं था, जो जैनेंद्र कुमार ने किया। समारोह के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जैन ने कहा कि साहित्य में सहित का भाव है और साहित्य समाजोन्मुखी हो गया है।
माहेश्वरी एकता के संपादक राजेश गिलडा ने कहा कि अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंचभले ही आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, लेकिन साहित्यिक सक्रियता और साहित्य रचना की दृष्टि से यह पीछे नहीं है। विशिष्ट अतिथि घनश्याम भट्टल ने डॉ धर्मवीर भारती के जीवन प्रसंग और लेखन पर कहा कि उनकी कविताओं, कहानियों और उपन्यासों में प्रेम और रोमांस का तत्व स्पष्ट रूप से मौजूद है, परंतु उसके साथ-साथ इतिहास और समकालीन स्थितियों पर भी उनकी पैनी दृष्टि रही है, जिसके संकेत उनकी कविताओं, कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, आलोचना तथा संपादकीयों में स्पष्ट देखे जा सकते हैं। लेखक मंच के महासचिव वीरेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने मंच की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और कहा कि साहित्यकारों, लेखक, कवियों को हमेशा बढ़ावा दिया जाना चाहिए, आखिर भूखे पेट साहित्यकार रचना कैसे करेगा?
एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार मुन्ना भारती ने कहा कि मीडिया को गलत बातें प्रकाशित करने से बचने के साथ ही खामियों को सही ढंग से प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी लेनी होगी, तभी मीडिया विकास में अपनी भूमिका निभा पाएगा। वरुणजी महाराज ने कहा साहित्यकार के सत्य और समाज के सत्य को मानवीय संवेदना की गहराई से भी जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। आजाद सिंह सैनी ने सम्मानित साहित्यकारों एवं अतिथियों के आगमन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन बहुत जरूरी है, साहित्यकार समाज के सच्चे शुभचिंतक होते हैं और समाज को दिशा देते हैं। रामानुज सिंह सुंदरम ने मंच का संचालन करते हुए कहा कि बनारसीदास चतुर्वेदी अपने जमाने के एक विशिष्ट और स्वतंत्रवृत्ति के भक्त लेखक थे, भारत-भक्ति की राष्ट्रीयता के दिनों में विदेशी मनीषियों और मानव-सेवकों की कद्र करने का उनका आग्रह अनेक तरह से सराहने लायक है।
साहित्य उत्सव में इस वर्ष विभिन्न क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली जानी-मानी हस्तियां डॉ सरोजिनी प्रीतम, नरेंद्र चंचल, राजेश कुमार गाबा, जनार्दन चौधरी, प्रोफेसर एचके दास, अमित अग्रवाल, ताहिर हुसैन, स्वातिजैसलमेरिया, रामानुज मालानी, संगीता माहेश्वरी, पंडित बीएल शर्मा, अशोक कुमार पांडेय, डॉ हरिदत्त शर्मा, एकता विश्नोई, राकेश त्यागी, डॉ एसके खन्ना, डॉ अंजू गुप्ता, पूनम बत्रा, पवन सिंघल, शहला निगार, डॉ निशा रावत, सुरेश पंवार, डॉ सलज भटनागर, डॉ गौरव ज्ञान, बीना भदौरिया, अशोक राज छंगाणी, वीडी चारण, वीरेंद्र परिहार, डॉ अमित मंगल, भगवान दास, शिवशंकर बोहरा, शंकर आकास, अनिल लढ़ा, मनोज शर्मा, कल्पेश बजाज, ममता बजाज, सुनिता शर्मा, डॉ केएन मिश्रा, डॉ नम्रता शाही, डॉ उमेश कुमार पटेल, मोहम्मद एम निजामुद्दीन, बृज किशोर श्रीवास्तव, सीमा असीम सक्सेना, ज्ञानेंद्र कुमार गुप्ता, प्रतिमा मिश्रा, नौशाब सुहैल दतियावी, अनामिका मिश्रा, भगत सिंह राका, विनय कंसल, उदय भास्कर वैश्य, मुकेश कुमार कर्दम, सीपी बिडला को प्रतीक चिन्ह अंगवस्त्रम के रूप में शाल, श्रीफल और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। साहित्य उत्सव में अनेक साहित्यकारों, बुद्धिजीवी और पत्रकारों ने हिस्सा लिया।