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Wednesday 4 March 2015 04:43:59 AM
नई दिल्ली। प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले में साहित्य भंडार से 'असग़र वजाहत की चुनिंदा कहानियां' का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। समारोह में लेखक असग़र वजाहत ने कहा कि छद्म, तमाशा और छलावा हमेशा से चुनौती रहे हैं, लेकिन हमारे समाज का छद्म बेमिसाल है, जो है उसका वह अर्थ ही नहीं है, जो निकल रहा है, बल्कि जो नहीं निकल रहा वही अर्थ है।
असग़र वजाहत ने कहा कि ऐसे में आप लिखते हैं, उससे असर होगा, प्रभाव पडे़गा, जब इंसान की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं बची है, तब लेखक और कलाकार आंखें नम करने की कोशिश करते हैं। आयोजन में आलोचक प्रोफेसर अजय तिवारी ने कहा कि विलासिता की अन्य वस्तुओं की तरह किताबों के दाम भी अनुपातहीन ढंग से ज्यादा होते जा रहे हैं। प्रकाशक के लिए पुस्तक व्यवसाय है, रोजी-रोटी है, समाज-सेवा नहीं, यह बात सच है, लेकिन पुस्तकों की बिक्री कोका-कोला की बिक्री से अलग है। उन्होंने साहित्य भंडार से अल्प मूल्य में महत्वपूर्ण पुस्तकें उपलब्ध करवाने को शुभ संकेत बताया। विख्यात आलोचक कर्मेंदु शिशिर और ‘संवेद’ के संपादक किशन कालजयी ने भी आयोजन में अपने विचार व्यक्त किए।
पुस्तक के संपादक और युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि असग़र वजाहत की कहानी कला के उद्देश्य कोहरे में भटकने वाले नहीं हैं, तभी वे विद्रूप और विसंगतियों से भिड़ते हैं। पल्लव ने कहा कि असग़र वजाहत अपनी कहानियों में बार-बार मानवीय संवेदना की तलाश करते हैं, जिसका स्रोत असल में वह विचारधारा है, जो मनुष्य की बराबरी की बात करती है। संयोजन कर रहे युवा कथाकार राजीव कुमार ने समकालीन कहानी परिदृश्य में असग़र वजाहत की उपस्थिति के महत्व को रेखांकित किया और साहित्य भंडार के निदेशक विभोर अग्रवाल ने आभार प्रदर्शित किया।