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Friday 24 April 2015 01:51:18 AM
कोच्ची। नारियल विकास बोर्ड और नारियल किसानों के त्रिस्तरीय संगठन, नारियल पेड़ को किसानों और कामगारों के जीवन की आधारशिला बनाने का प्रयास कर रहे हैं। देख सकते हैं कि केरल में महिलाएं भी कुशलता और हिम्मत से नारियल पेड़ से नीरा उतारने के काम में जुटी हैं और यह इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि नारियल बोर्ड और नारियल उत्पादक फेडरेशन बेरोज़गार युवा-युवतियों को नीरा उतारने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस तरह नारियल की भूमि केरल में नारियल के पेड़, नीरा किसानों और कृषि कामगारों के जीवन में समृद्धि की नई उमंग भर दे रहे हैं। मानना होगा कि नीरा क्रांति के जरिए किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी और रोज़गार के नए अवसर खुले हैं।
केरल के कोषिक्कोड जिले के पयिंब्रा गांव की चार महिलाएं नारियल पेड़ से नीरा उतारने का 42 दिवसीय प्रशिक्षण पाकर नीरा उतारने के काम में लगी हुई हैं। पयिंब्रा नारियल उत्पादक फेडरेशन की महिलाएं नारियल पेड़ों से नीरा उतार रही हैं, जो महिला सशक्तीकरण की अनमोल मिसाल हैं। ये महिलाएं नीरा उतारने के लिए दिन में दो बार सुबह और शाम नारियल पेड़ पर चढ़ती हैं और नीरा इकट्ठा करती हैं। इन्हें हर एक पेड़ से प्रतिदिन चार लीटर नीरा मिल जाती है। नारियल बोर्ड के प्रचार अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद ये महिलाएं फेडरेशन के लिए काम करती हैं। फेडरेशन से इन्हें प्रति माह 10000 से 15000 रूपए तक वेतन मिल जाता है। फेडरेशन उतारती नीरा की मात्रा के अनुसार इन्हें प्रोत्साहन स्वरूप निश्चित रकम मिलती है और किसी भी प्रकार के हादसे पर बीमा सुरक्षा भी इन्हें प्राप्त है।