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Thursday 16 July 2015 01:09:38 AM
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार को सत्ता में आए एक वर्ष से अधिक हो चुका है। राष्ट्रवादी सरकार से जैसी उम्मीद थी, उसके विपरीत हर नई योजना का नाम अंग्रेजी में रख रही है और इन नई-नई योजनाओं के प्रतीक-चिह्न बनाने के लिए केवल अंग्रेजी विज्ञापन और अंग्रेजी के महंगे अख़बारों में छपवाए जा रहे हैं। इन योजनाओं के लिए सुझाव भी जनता से अंग्रेजी माध्यम में बनी वेबसाइटों और अंग्रेजी में छपे दिशा निर्देशों और नियमों के द्वारा आमंत्रित किए जा रहे हैं। नई योजनाओं के लोकार्पण के कार्यक्रम अब लांच फंक्शन कहलाते हैं और इनमें सभी बैनर, पोस्टर और अतिथि नामपट आदि केवल अंग्रेजी में छपवाए जाते हैं। आश्चर्य इस बात का है कि विदेशी सरकारें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं के दौरान यही सब अपने देश की भाषा एवं हिंदी में तैयार करवाती हैं, ताकि भारत से घनिष्ठता और उसके प्रति सम्मान को सिद्ध कर सकें।
मेरे हिंदी में लगाए गए आरटीआई आवेदन के अंग्रेजी में भेजे गए उत्तर में एक मंत्रालय ने बताया है कि 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान के लिए प्रतीक चिह्न प्रतियोगिता का विज्ञापन केवल अंग्रेजी में तैयार किया गया था और जिस पर अख़बारों को लगभग 8 लाख रुपए का भुगतान किया गया। अंग्रेजी अख़बारों पर लगभग 7 लाख रुपये खर्च किए गए। हिंदी समाचार-पत्रों पर लगभग 60 हज़ार एवं प्रांतीय भाषा के अख़बारों में छपे विज्ञापन पर मात्र 15 हज़ार खर्च किए गए। यह मात्र एक उदाहरण है, राजभाषा/भारतीय भाषाओं का हर मंत्रालय में यही हाल है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो बाकायदा प्रधानमंत्री के भाषणों के लिए 'हिंगलिश' को राजभाषा का दर्जा दे दिया, आम आदमी को प्रधानमंत्री के तथाकथित हिंदी भाषणों को पढ़ने के लिए रोमन लिपि और अंग्रेजी भाषा दोनों का ज्ञान अनिवार्य है। प्रमका में प्रमं के भाषण लिखने वाला अधिकारी अंग्रेजी का बहुत बड़ा पैरोकार है, यह बात मैं मनमोहन सिंह के कार्यकाल से अनुभव कर रहा हूं। पिछले पांच साल के भाषण देख लीजिए, सभी हिंगलिश में लिखे जा रहे हैं। पत्र सूचना कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध ये भाषण वही पढ़ सकता है, जो हिंदी के साथ अंग्रेजी पढ़ना और समझना जानता हो, सिर्फ हिंदी जानने वाले इन भाषणों को पढ़ नहीं सकते हैं।
राष्ट्रवादी सरकार शीघ्र ही हमारे देश का नाम इंडिया घोषित कर दे और भारत नाम पर प्रतिबंध लगा दे तो अचरज ना कीजिएगा। जो काम कांग्रेस ना कर सकी वह काम राष्ट्रवादी सरकार करेगी!
मेक इन इंडिया
डिजिटल इंडिया
स्किल इंडिया
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ़ इंडिया
माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनैंस एजेंसी
माई गव वेबसाइट
टीम इंडिया
ग्रीन इंडिया
और ऐसे नामों की सूची लम्बी है...
सीएस. प्रवीण कुमार जैन,
कम्पनी सचिव, वाशी, नवी मुम्बई-400703.