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Wednesday 23 September 2015 02:04:52 AM
मुंबई। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आधारित एक 'प्रायोजित' फिल्म आ रही है, जिसमें एक कश्मीरी को फांसी की सजा मिलती है। फिल्म है-चिनार-दास्तान-ए-इश्क़। इसका निर्माण शगुन फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले किया गया है। इसके निर्माता राजेश आर जैन हैं और निर्देशक शारिक मिन्हाज हैं। यह फिल्म सोलह अक्टूबर को रिलीज़ हो रही है। फिल्म चिनार-दास्तान-ए-इश्क़ का कथानक कहीं का कहीं भाग रहा है। फिल्म दाएं-बाएं कश्मीर मुद्दे को हवा देते हुए देश की कानून व्यवस्था पर उंगली उठाती नज़र आ रही है। फिल्म का संदेश भारत में विघटन और आतंकवाद को प्रोत्साहित करता दिखता है और ऐसा लगता है कि यह फिल्म कहीं से प्रायोजित और प्रोत्साहित है। इसमें विघटनकारियों को हवा दी गई है।
अभिनेता आमिर खान के भाई फ़ैसल खान नौ साल के बाद फिर से फिल्म चिनार-दास्तान-ए-इश्क़ से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी वापसी कर रहे हैं। फिल्म में एक कश्मीरी को फांसी की सजा देते हुए दिखाया गया है। इस बारे में निर्माता राजेश आर जैन और निर्देशक शारिक मिन्हाज का कहना है कि कुछ वर्षों से फिर से भारत में फांसी की सजा देने की शुरुआत हो गई है, जिससे लगता है कि क्या हिंदुस्तान महात्मा गांधी और सरदार पटेल के अहिंसा और दया के आदर्शों को छोड़कर अंग्रेज़ी हुकूमत के तानाशाही आदर्शों की ओर बढ़ रहा है, जिसने शहीद भगत सिंह और राजगुरु को फांसी की सजा दी थी। राजेश आर जैन और शारिक मिन्हाज का कहना है कि भारत में फांसी की सजा देना बंद हो गई थी, लेकिन कुछ वर्ष से फिर से फांसी की सजा देने की शुरुआत हुई और कश्मीरी मकबूल बट, अजमल कसाब, अफज़ल गुरु, याकूब मेमन को फांसी की सजा दी गई।