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Friday 16 October 2015 11:58:50 AM
लखनऊ। लखनऊ छावनी के मध्य कमान अस्पताल ने अत्यंत चुनौतीपूर्ण और दुर्लभ गुर्दों का प्रत्यारोपण कर चिकित्सा के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। गुर्दों के इस जटिल प्रत्यारोपण के दौरान विभिन्न मरीजों ने गुर्दे ग्रहण किए हैं, जिसमें गुर्दा दान करने वाले का रक्त आपस में मिलनसार नहीं था, परंपरागत रूप में गुर्दे का प्रत्यारोपण समान रक्त वर्ग व मिलनसार रक्त से होता है। कमान अस्पताल ने इस तरह के दो सफल प्रत्यारोण किए हैं-जिनमें प्रथम मामले में एक मां ने अपनी बेटी को रक्त वर्ग के विपरीत गुर्दा दान दिया। इनके परिवार में गुर्दा देने के लिए कोई उपयुक्त नहीं था।
गुर्दा प्रत्यारोपण के दूसरे मामले में एक पत्नी ने अपने पति को गुर्दा दिया। रक्त वर्ग असामान्य होने पर भी अंग प्रत्यारोपण संभावित है, लेकिन कठिन विकल्प होता है। भारत में बहुत कम केंद्रों में इस तरह के प्रत्यारोपण होते हैं, इस तरह के अंग प्रत्यारोपण से उन मरीजों के लिए जीवन में एक आशा की किरण जागृत हुई है, जो वर्षों से डायलिसिस पर हैं। एबीओ का असामान्य रक्त गुण होने के कारण इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। भारत में मृत शरीर से गुर्दे का प्रत्यारोपण करने के बहुत कम विकल्प होते हैं और कुछ ही राज्यों में इस तरह के प्रत्यारोपण होते हैं। मध्य कमान अस्पताल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ कर्नल डॉ अरूण कुमार ने इस तरह का प्रत्यारोपण करके एक नया इतिहास रचा है।
कमान अस्पताल के सेनानायक मेजर जनरल एके दास ने कहा है कि उनके आगे की रणनीति इस तरह के प्रत्यारोपण रोजाना तौर पर करने की है, जिससे दूसरे डायलिसिस रोगी को मौका मिले। उन्होंने कहा है कि बहुत शीघ्र ही मृत शरीर के विभिन्न अंगों का प्रत्यारोपण जरूरत के अनुसार अन्य मरीजों में किया जाएगा। जैसे-गुर्दा व हृदय आदि के मरीजों के लिए अंग प्रत्यारोपण संभव हो सकेगा। मेजर जनरल दास ने कहा कि इस संबंध में राज्य के सभी अस्पतालों को भी आपसी सहयोग स्थापित करना चाहिए, जिससे जरूरतमंद मरीजों को अंग प्रत्यारोपण का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि वह लोगों को अंगदान करने के लिए जागरूक करेंगे और इस अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य के लिए अधिक से अधिक आबादी के बीच अंग प्रत्यारोपण जागरूकता लाएंगे।