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Sunday 22 November 2015 03:00:24 AM
देहरादून/ नई दिल्ली। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हस्तक्षेप कर पर्याप्त सामाजिक एवं भौतिक बुनियादी ढांचा तैयार कर और प्रशासन में महिलाओं की भूमिका बढ़ाकर ही देश और पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में लैंगिक असमानता से निपटा जा सकता है। उत्तराखंड राज्य में महिलाओं की बेहतरी के लिए कार्य कर रहे गैर सरकारी संगठन विमेंस एसोसिएशन फॉर ट्रेनिंग, एंपावरमेंट एंड रीसेटलमेंट (वाटर) की अध्यक्ष शिल्पी अरोड़ा ने रोटरी क्लब अशोक की एक बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण लैंगिक असमानता के लक्ष्य को प्राप्त करने की ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं के पूर्ण सहभाग की भी कुंजी है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं को मजबूत करने की भी आवश्यकता है, जिनसे महिलाओं को अपने जीवन पर पूरा नियंत्रण करने और अपनी मर्जी से काम करने में मदद मिल सके।
शिल्पी अरोड़ा उत्तराखंड राज्य कांग्रेस की महासचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में महिलाओं के पिछड़ेपन को समान रूप से सुविधाएं प्रदान करने एवं लोगों में छिपी संभावनाओं को सामने लाने के सघन प्रयासों के जरिये ही दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी कुल जनसंख्या में महिलाओं की हिस्सेदारी 48.5 प्रतिशत है, हालांकि 2001 से 2011 के दशक में कुल लिंगानुपात में 7 अंकों की वृद्धि हुई है, किंतु 2011 में 1,000 पुरुषों पर 940 महिलाओं के अनुपात का आंकड़ा निराशाजनक ही है और इससे पता चलता है कि असली समानता अभी कितनी दूर है। उन्होंने आगे कहा कि गरीब महिलाएं अक्सर अपने बल पर काम करने में सक्षम नहीं होतीं, इसलिए उनकी आर्थिक समस्या से मुक्ति के लिए सामाजिक आंदोलन की बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के जरिये सहभागितापूर्ण संस्था निर्माण देश में महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु सबसे प्रभावी तरीका साबित हुआ है।
शिल्पी अरोड़ा ने कहा कि मजबूत अर्थव्यवस्था तैयार करने, विकास एवं टिकाऊपन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मत लक्ष्य प्राप्त करने एवं महिलाओं, पुरुषों, परिवारों तथा समुदायों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए जरूरी है कि महिलाओं को सभी क्षेत्रों में आर्थिक जीवन में पूर्ण प्रतिभागिता करने हेतु सशक्त बनाया जाए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाल ही में उधम सिंह नगर जिले के गदरपुर में विमेंस एसोसिएशन फॉर ट्रेनिंग, एम्पावरमेंट एंड रीसेटलमेंट (वाटर) के अभियान 'मुझे जीने दो' का शुभारंभ किया है, जो कन्या भ्रूण हत्या, लैंगिक असमानता, यौन शोषण के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने एवं आने वाले दिनों में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में तथा पूरे देश में महिलाओं तथा कन्याओं के विरुद्ध हिंसा पर अंकुश लगाने की पहल है। इस अभियान को राज्य के दूसरे हिस्सों में और उसके बाद राजस्थान तथा हरियाणा में भी ले जाने की भी योजना है। रोटरी क्लब के अध्यक्ष प्रकाश शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।