स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 2 December 2015 04:05:37 AM
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में 'यूथ इंगेजमेंट इन बिल्डिंग स्टिग्मा फ्री सोसाइटी अगेंस्ट एचआईवी एड्स' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के परियोजना निदेशक और मुख्य वक्ता आलोक कुमार ने कहा कि एचआईवी-एड्स के प्रति जागरूकता के कारण उसकी रोकथाम और उपचार में काफी प्रगति हुई है, लेकिन एचआईवी संक्रमित लोगों के साथ भेदभाव अभी भी बहुत है, यहां तक की चिकित्सक भी एचआईवी मरीजों की सर्जरी करने से मना कर देते हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना लखनऊ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी और लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि एड्स के कलंक और भेदभाव को दूर करने में युवा शक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, हमें साथ मिलकर और अपने समाज को जागरूक करके इस भेदभाव को भी रोकना होगा।
आलोक कुमार ने कहा कि संक्रमित लोगों में से लगभग 50 प्रतिशत को यह भी पता नहीं होता कि वे एचआईवी पॉंजिटिव हैं, इसे जानने के लिए और भी जागरूकता की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे समाज में एचआईवी एड्स की जागरूकता, परीक्षण और मुफ्त उपचार के प्रचार के लिए कार्य करें। उन्होंने युवाओं को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इस दिशा में युवाओं के सहयोग के बिना सफलता संभव नहीं है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए लोगों, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यकर्ताओं एवं स्वयंसेवकों की बड़ी भागीदारी का स्वागत करते हुए एवं संगोष्ठी का औचित्य बताते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना लखनऊ विश्वविद्यालय के संगोष्ठी संयोजक एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ राकेश द्विवेदी ने कहा कि भारत की 30 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व 18 से 29 वर्ष के युवा करते हैं, ये एचआईवी संक्रमण के मामले में सबसे अधिक सुभेद्य हैं, यदि हम इन्हें सचेत कर पाए तो एड्स निवारण में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक संगोष्ठी के माध्यम से जागरूक होकर समाज को एचआईवी के भेदभाव से दूर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलानुशासक प्रोफेसर निशी पांडेय ने आशा व्यक्त की कि सभी युवा इस कार्यक्रम से उद्देश्यपूर्ण सूचना लेकर समाज में जाएंगे और उसे प्रचारित करेंगे। उन्होंने विशेष रूप से छात्राओं को अपने स्वास्थ्य एवं पोषण का ध्यान रखने और रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने युवाओं को समाज के सीमांत पर जीवन यापन कर रहे शोषित लोगों के लिए कार्य करने को प्रेरित किया। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के एपीडी राकेश कुमार मिश्र ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए नागरिकों एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारियों एवं स्वयंसेवक-स्वयंसेविकाओं को धन्यवाद दिया। इंडिया एचआईवी एड्स एलांयस की राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी सिमरन शेख ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत एचआईवी एड्स संक्रमित लोगों के साथ भेदभाव के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है, एचआईवी एड्स के कलंक और भेदभाव को समाज से दूर करने के लिए युवा सहभागिता अतिआवश्यक है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में यूपीएनपी प्लस की पॉजिटिव स्पीकर अनीता मौर्य ने कहा कि वह स्वयं एचआईवी पॉजिटिव हैं, जिस कारण उन्हें घर से निकाल दिया गया, इस स्थिति में यूपीएनपी प्लस के सहयोग से उन्हें जीने का हौसला मिला। उन्होंने कहा कि एचआईवी एड्स के कलंक और भेदभाव को सभी के सहयोग से दूर किया जा सकता है, हमें यह मानना होगा कि एचआईवी एड्स का नाम मौत नहीं है। समाज कार्य विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डीके सिंह ने एचआईवी एड्स की रोकथाम और उसके कलंक और भेदभाव को दूर करने में युवा शक्ति की भूमिका को अतिमहत्वपूर्ण बताया। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के संयुक्त निदेशक डॉ अशोक शुक्ला ने एचआईवी एड्स की जागरूकता एवं भेदभाव को दूर करने के लिए सभी प्रतिभागियों को शपथ दिलाई। महावीर प्रसाद महाविद्यालय एवं अमीरूद्दौला इस्लामिया कालेज लखनऊ के एनएसएस के छात्र-छात्राओं ने एचआईवी एड्स की जागरूकता एवं प्रभावित लोगों के प्रति समाज में फैले भेदभाव की भावना को दूर करने के लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया।
एचआईवी एड्स संगोष्ठी में एचआईवी संक्रमित या प्रभावित बच्चों के बीच आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कारों की घोषणा भी की गई। काजल, रूबीना, अंजली त्रिपाठी को क्रमश: प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार दिया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय में एक क्रिकेट मैच का भी आयोजन किया गया, जिसमें तीन टीमों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की संयुक्त निदेशक डॉ संगीता पांडेय ने एचआईवी एड्स की जागरूकता एवं भेदभाव को दूर करने के लिए युवाओं का आह्वान किया। संगोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के लगभग 700 एनएसएस के छात्र-छात्राओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही।