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Saturday 5 December 2015 03:28:00 AM
नई दिल्ली। अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच का 25वां वार्षिक साहित्य उत्सव एवं सम्मान समारोह दिव्य आत्मा गुरु नानकदेव के प्रकाश पर्व, प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन, प्रसिद्ध इतिहासकार एवं साहित्यकार काशीप्रसाद जायसवाल, प्रखर चिंतक और विचारक शिवमंगल सिंह सुमन को समर्पित किया गया। यह समारोह मुक्त धारा ओडिटोरियम भाई वीर सिंह मार्ग, गोल मार्केट, नई दिल्ली में आयोजित हुआ। अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र एवं समाजसेवी अशोक सक्सेना यशपाल ने माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्व्वालित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम में महापौर रविंद्र गुप्ता और वरिष्ठ पत्रकार राजेश गिलडा ने विचार व्यक्त किए। साहित्य उत्सव में कई लेखकों की पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह, पूर्व महापौर महेशचंद्र शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार योगराज शर्मा, एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार मुन्ना भारती ने साहित्य उत्सव समारोह का शुभारंभ विद्या और कला की देवी माँ सरस्वती वंदना से किया। बच्चों ने राष्ट्रीय एकता के सूत्र में सभी को एक करने के लिए गरिमामय रूप में राष्ट्रीय वंदना की। साहित्य उत्सव समारोह में बच्चों ने समूह में कलात्मक और सांस्कृतिक गीत और नृत्यों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। गीत गज़लों का दौर भी चलता रहा। अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने बताया अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए पहचाना जाता है, इसके बावजूद यहां कभी इतना गरिमामय समारोह नहीं हुआ, इसीलिए हमने इसकी शुरुआत करने के बारे में सोचा और आज हमने 25वां वार्षिक साहित्य उत्सव समारोह मनाया।
महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि बच्चन की कविता के साहित्यिक महत्व के बारे में अनेक मत हैं। 'बच्चन' के काव्य की विलक्षणता उनकी लोकप्रियता है। यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि आज भी हिंदी के ही नहीं, सारे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में 'हरिवंश राय बच्चन' का स्थान है, उनकी कविताएं सर्वग्राह्य और सर्वप्रिय हैं। 'बच्चन' की लोकप्रियता मात्र पाठकों के स्वीकरण पर ही आधारित नहीं थी, एक प्रकाशन 'तेरा हार' पहले भी प्रकाशित हो चुका था, पर 'बच्चन' का पहला काव्य संग्रह 1935 ईसापूर्व में प्रकाशित 'मधुशाला' से ही माना जाता है। भीष्म नारायण सिंह ने कहा कि काशीप्रसाद जायसवाल भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं साहित्यकार थे, ये इतिहास तथा पुरातत्व के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान थे। काशीप्रसाद जायसवाल 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' के उपमंत्री भी बने थे, इन्होंने 'बिहार रिसर्च जनरल' तथा 'पाटलीपुत्र' नामक पत्रों का संपादन किया था। 'पटना संग्रहालय' की स्थापना में इनका महत्वपूर्ण योगदान था। साहित्य उत्सव का संचालन रामानुजन सिंह सुंदरम ने किया।
साहित्य उत्सव में भारत की विभिन्न क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं को निभाने वाली कई हस्तियों को सम्मानित किया गया। इनमें डॉ परमानंद पांचाल, राजशेखर व्यास, पीठाधीश्वर महंत नानकदास महाराज, सतेंद्र त्रिपाठी, पारस जायसवाल, रवि शर्मा, शशिकांत, गुंजन ग्रोवर, राधाकांत भारती, डॉ राधे श्याम बंधु, डॉ द्वारका प्रसाद, डॉ कुंदन कुमार, किरोन आर्य, डॉ गोविंद कृष्ण गुप्ता, सुमन झा, विनय शुक्ल 'विनम्र', उषा श्रीवास्तव, विनीत अग्रवाल, साहिबा सहगल, हेमा, राजपाल, मदन मिश्रा, राजू बोहरा, सैय्यद अली अब्बास नकवी, गिनीज ऋषि, कुमारी सुजाता, कुमारी अंजू चौधरी, कुलदीप कुमार 'अजय', मयूर राईकवार, प्रदीप मिश्र, कैलाश राठी, खत्री राजेंद्र मोदी रायमलाणी, विनोद कुमार शर्मा, कुमार हर्षवर्धन शाक्य, राजकुमार नागपाल, सुमन भट्टड, सुरेश पंवार, सरदार जगतार सिंह गिल, संगीता शर्मा 'अधिकारी', सरदार कुलदीप सिंह रंधावा, विष्णु जोशी, डॉ सुरेंद्र कुमार शर्मा, मास्टर आशीष गिलडा, मास्टर व्योम पंवार शामिल थे।