स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 16 December 2015 01:05:59 AM
कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता में कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स के 185वें सालाना सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा है कि कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स जो अपनी तरह के दुनिया के सबसे पुराने संगठनों में से एक है, शुरुआत से ही न सिर्फ क्षेत्र के औद्योगिक विकास, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाता रहा है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता की नागरिक सुविधाओं के सुधार में एसोसिएशन का विशेष योगदान रहा है, बंगाल टाउन प्लानिंग, मर्चेंडाइज मार्क्स, कॉपीराइट, अप्रेंटिसशिप और कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट जैसे क्षेत्रों में प्रमुख कानूनों को लागू करने में उसकी सक्रिय दिलचस्पी रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विशेषकर पिछले दशक के बीच के वर्षों में उच्च विकास दर का गवाह रहा है, भले ही वह रफ्तार उसके बाद बरकरार नहीं रह सकी, लेकिन हमने कई साल अच्छा विकास किया और ऐसा लंबी वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद संभव हुआ था, जिसने कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन को प्रभावित किया था। उन्होंने कहा कि 2012-13 की 5 फीसदी से कम विकास दर को छोड़ दें तो सभी वर्षों में हमारा आर्थिक विकास 6.6 फीसदी से कम नहीं रहा, अच्छे आर्थिक प्रदर्शन के लिए एक ऊर्जावान विनिर्माण क्षेत्र बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि 2005-06 से 2007-08 के बीच के वर्षों के दौरान जब हमारी अर्थव्यवस्था 9 फीसदी ज्यादा दर से बढ़ी थी तो इस दौरान हर साल हमारा निर्यात 20 फीसदी बढ़ा था, बीते तीन वर्ष में हमारा निर्यात कम हुआ है, लेकिन हमारे आयात बिल में भी कमी आई है, जिसकी वजह तेल की कीमतों में कमी आना रही है, इससे हमें अपने चालू खाते के घाटे को नीचे लाने में मदद मिली है, जो बीते साल 1.4 फीसदी ही रहा था।
प्रणब मुखर्जी ने विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत स्थिति में है, जो अक्टूबर के अंत में 353 अरब डॉलर में है, इससे हमें मुश्किल वक्त में मदद मिली। उन्होंने कहा कि अगर मिलकर इस दिशा में प्रयास किए जाएं तो 8 फीसदी जीडीपी वृद्धि दर हासिल की जा सकती है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आज कई देश भारत को आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर देखते हैं, जिसकी वजह राजनीतिक स्थायित्व और सरकार की स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया आदि पहल हैं। उन्होंने कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स से क्षेत्र और भारत के आर्थिक विकास में अहम योगदान देने का आह्वान किया।