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Monday 21 December 2015 04:32:35 AM
हैदराबाद। भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने हैदराबाद के दंडीगुल में वायुसेना अकादमी में वायुसैनिकों की संयुक्त ग्रेजुएट परेड का निरीक्षण किया। भारतीय वायुसेना में 60 महिलाओं सहित कुल 209 उड़ान कैडेटों ने उड़ान अधिकारियों के तौर पर सफलता हासिल की है। थलसेना प्रमुख ने सफलतापूर्वक अपना बेसिक और पेशेवर प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले ग्रेजुएट फ्लाइट कैडेटों को ‘प्रेसीडेंट कमीशन’ प्रदान किया। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना की एयरोबेटिक ‘सूर्य किरण’ ने हैरतअंगेज हवाई करतबों से वायुसेना अकादमी के नीले आसमान को जीवंत बना दिया। परेड का मुख्य आकर्षण पाइपिंग समारोह था। सफलता प्राप्त करने वाले कैडेटों के पारिवारिक सदस्य, मित्र और हितैषियों के अलावा तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी एवं सेवानिवृत्त अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
जनरल दलबीर सिंह सुहाग की अगवानी एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (एओसी-इन-सी) प्रशिक्षण कमान के एयर मार्शल एसआरके नायर और कमांडेंट वायुसेना अकादमी के एयर मार्शल जीपी सिंह ने की। थलसेना प्रमुख को मार्च पास्ट के बाद परेड में औपचारिक सलामी दी गई। थलसेना प्रमुख, एओसी-इन-सी प्रशिक्षण कमान और वायुसेना अकादमी कमांडेंट ने फ्लाइट कैडेटों को वायुसेना रैंक प्रदान किए। ग्रेजुएट कैडेट्स को औपचारिक रूप से विभिन्न यूनिटों में उनके नए कार्यभारों, जिनमें उड़ान, जमीन पर कार्य, नैविगेशन, रसद, मौसम विज्ञान, लेखा और शिक्षा को संभालने के लिए वायुसेना में शामिल किया गया। जनरल दलबीर सिंह ने उन्हें शपथ भी दिलाई। थलसेना प्रमुख ने प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले उड़ान अधिकारियों को पुरस्कार प्रदान किए।
थलसेना प्रमुख ने परेड को संबोधित करते हुए कहा कि सैन्य नेतृत्व के मुख्य मूल्यों में एकता, अखंडता, साहस, ईमानदारी, कार्य के प्रति समर्पण, सम्मान, राष्ट्र के लिए निःस्वार्थ सेवा और जो कुछ भी हम कर सकते हैं, उसमें उत्कृष्टता होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने परेड के उच्च मानक के प्रदर्शन के लिए फ्लाइंग अधिकारियों के नए चयनित अधिकारियों को अपनी शुभकामनाएं दीं। थलसेना प्रमुख ने कहा कि एक सैन्य प्रमुख के तौर पर हम हमेशा 'आसान गलत की तुलना में सही कठिन' को चुनना होगा। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी को अपने लोगों का विश्वास जीतना होगा, जिनको वह आदेश देता है और उसे अपनी सभी इकाईयों के प्रत्येक सदस्य से वार्तालाप से उनकी परिकल्पना के क्षितिज को व्यापक बनाना होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रत्येक सैनिक का कर्तव्य है कि वह लंबे समय से चली आ रही सैन्य परंपरा 'राष्ट्र सदैव और हर समय प्रथम' का पालन करेगी।