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Monday 1 August 2016 06:34:09 AM
लखनऊ। भारतीय सेना की महार रेजिमेंट के वीरों का दल आज चुनौतीपूर्ण कॉमेत पर्वत शिखर फहत हासिल करने के अभियान के लिए रवाना किया गया। यह बहुत ही रोमांचित करने वाला अवसर था, जब उत्साह, साहस और शौर्य की गाथाओं से लबरेज़ भारतीय सेना हीरकोत्तर जयंती मना रही है और उसने पर्वतारोहियों के लिए रोमांचक और जोखिम भरी देश की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कॉमेट पर चढ़ाई के लिए भेजा। पर्वतारोही दल में महार रेजिमेंट की सभी बटालियन के पर्वतारोही शामिल हैं। भारत-चीन सीमा पर स्थित यह चोटी कड़ाके की सर्दी, बर्फीली हवाओं और पथरीली भूमि के कारण जनजीवन के लिए अत्यधिक खतरनाक मानी जाती है।
लखनऊ छावनी के सूर्या प्रेक्षागृह में एक भव्य समारोह में मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत सिंह नेगी ने पर्वतारोहण दल को राष्ट्रध्वज, सेनाध्वज और रेजिमेंट ध्वज के साथ पारंपरिक आइस एक्स सौंपते हुए झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर महार रेजिमेंट के पूर्व कर्नल ऑफ दी रेजिमेंट लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञान भूषण, वर्तमान कर्नल ऑफ दी रेजिमेंट मेजर जनरल मनोज ओक और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत सिंह नेगी ने अभियान को सफल कर भारतीय सेना की पारंपरिक श्रेष्ठता को प्रमाणित करने के लिए सैनिकों में उत्साह भरा। उन्होंने टीम के सदस्यों को हिमालय के उस क्षेत्र में पारिस्थितिक तंत्र की जटिलता और संवेदनशीलता के प्रति आगाह करते हुए अभियान के दौरान पूरी सावधानी बरतने की पितातुल्य सलाह दी।
महार रेजिमेंट इस वर्ष अपने स्थापना की प्लेटिनम जुबली मना रही है। महार रेजिमेंट की स्थापना वर्ष 1941 में हुई थी, जिसका आदर्श है-हमेशा सबसे आगे। रेजिमेंट ने 75 वर्ष तक की गौरवशाली राष्ट्रीय सेवा के उपलक्ष्य में गढ़वाल हिमालय में कॉमेत पर्वत शिखर के लिए पर्वतारोहण अभियान शुरू किया है। इस अभियान दल का नेतृत्व कर्नल अमित बिष्ट कर रहे हैं। अभियान दल में 2 सैन्यधिकारी, 2 जूनियर कमीशंड अधिकारी तथा महार रेजिमेंट के देशभर की बटालियनों से 12 जवान शामिल हैं। अभियान के सहयोग के लिए 2 सैन्यधिकारी, 1 जूनियर कमीशंड अधिकारी एवं 8 जवान शामिल किए गए हैं। शिखर कंचनजंगा एवं नंदा देवी के बाद 7756 मीटर की खड़ी ऊंचाई वाले पर्वत शिखर कामेत भारत का तीसरा सबसे ऊंचा एवं दुर्गम शिखर है।
पर्वतारोहण के लिए शिखर कॉमेत तकनीकी रूप से सबसे कठिन शिखर माना जाता है, जो अनुभवी पर्वतरोहियों के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण माना जाता है। प्लेटिनम जुबली के उपलक्ष्य में महार रेजिमेंट कई अन्य चुनौतीपूर्ण साहसिक गतिविधियों का आयोजन कर रही है, जिसमें सिक्किम एवं पश्चिम बंगाल के तीव्र धारावाली तीस्ता नदी में व्हाइट वाटर राफ्टिंग शामिल है। महार रेजिमेंट एक ऐसी रेजिमेंट है, जिसमें देशभर के सभी राज्यों एवं जातियों को समावेशित किया गया है, जो 'राष्ट्रीय एकीकरण' एवं 'अनेकता में एकता' की प्रेरणा को प्रोत्साहित करती और दर्शाती है। पिछले 18 माह से अभियान की तैयारी में जुटे रहे पर्वतारोहण दल के ये सदस्य भारतीय सेना के कई संयुक्त साहसिक अभियानों में हिस्सा ले चुके हैं।