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Sunday 21 August 2016 03:21:39 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की उपस्थिति में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के मुख्य प्रांगण में स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसबी निमसे, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर यूसी द्विवेदी सहित कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और छात्र उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज को विश्व के महान योद्धा के रूप में जाना जाता है, शिवाजी की कूटनीति अद्वितीय थी तथा वे वास्तव में कूटनीति के परिचायक थे, उनके दोनों सेना प्रमुख मुस्लिम समुदाय के थे। उन्होंने कहा कि शिवाजी में सबको जोड़ने की चुम्बकीय शक्ति थी, वे सुशासन के पक्षधर थे, अपने आज्ञापत्र में उन्होंने अपने सैनिकों को निर्देशित किया था कि खेत-खलिहानों और नागरिकों का नुकसान नहीं होना चाहिए।
राज्यपाल ने शिवाजी से जुड़े संस्मरणों का जिक्र करते हुए कहा कि सुशासन की दृष्टि से युद्ध में भी वे जनता के हित का ध्यान रखते थे, युद्ध के बाद नज़राने के तौर पर पेश की गई मुस्लिम महिला को उन्होंने सम्मानापूर्वक उसके घर भेजने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि शिवाजी का खुफिया तंत्र भी काफी व्यापक था, पुत्र भी यदि गलती करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, यह उन्होंने अपने पुत्र को कारावास देकर सिद्ध और स्पष्ट किया था। शिवाजी ने राष्ट्रहित में कभी परिवार का मोह नहीं किया, जोखिम लेना शिवाजी की विशेषता थी। राज्यपाल ने शिल्पकार उत्तम पचारणे की भी सराहना करते हुए कहा कि पचारणे की बनाई शिवाजी की प्रतिमा वास्तव में उंगली की कला और हृदय के भाव की जीती जागती मिसाल है। उन्होंने कहा कि लखनऊ आने वाले लोगों को लखनऊ की अन्य ऐतिहासिक धरोहरों के साथ शक्ति प्रदान करने वाला स्थान शिवाजी की प्रतिमा के रूप में मिलेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी वर्ष की ओर जा रहा है, ऐसे में शिवाजी की प्रतिमा राष्ट्रभक्ति की सतत प्रेरणा देती रहेगी।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ राष्ट्र नायक ऐसे होते हैं, जिनसे पूरा देश प्रेरणा प्राप्त करता है, छत्रपति शिवाजी भी ऐसे महापुरूष थे, जिनसे सभी को प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि शिवाजी ने राष्ट्रीय चेतना को नई चेतना देने का काम किया है, आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति शिवाजी की गहरी आस्था थी, बच्चों और महिलाओं के प्रति उनका आचरण अनुकरणीय है, उनकी सेना में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे, यदि वे संकुचित मन के होते तो सेना में मुस्लिम सैनिक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि शिवाजी से चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान एक था, एक है और एक रहेगा, राजनीतिक स्वार्थ के लिए धर्म और जाति के आधार पर लोगों को बांटना उचित नहीं है, सभी धर्मों को वसुधैव कुटुंबकम के भाव से प्रेरणा लेकर भारत में इज्जत मिली है। उन्होंने कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि समस्याओं का समाधान पत्थर से नहीं, बल्कि शांति और बातचीत से निकल सकता है। उन्होंने कहा कि सभी कश्मीरी हमारे भाई हैं और कश्मीर में शांति होनी चाहिए। कार्यक्रम में उत्तम पचारणे और लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसबी निमसे ने भी अपने विचार रखे।