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Monday 29 August 2016 07:18:00 AM
बंगलुरू। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने युवाओं से कहा है कि वे जिम्मेदारियों के भाव को आत्मसात करें, युवाओं में अनुशासन जैसे गुण उन्हें बहुप्रेरक बनाते हैं। बंगलुरू में भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के 24वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में उन्होंने विधि के छात्रों को प्रेरणाओं से ओतप्रोत कर दिया। उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर कानून के छात्रों को लोगों के अधिकारों और कल्याण के संघर्ष में नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें एनएलएसआईयू जैसे विश्वविद्यालयों को समकालीन चुनौतियों का सामना करने में नेतृत्व करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मातृभूमि के लिए प्रेम के हमारे सभ्यतापरक मूल्य, कर्तव्यों का प्रदर्शन, सभी के लिए दया, सहिष्णुता, बहुलवाद, महिलाओं के लिए सम्मान, जीवन में ईमानदारी, व्यवहार में आत्मसंयम, कार्य में जिम्मेदारी और अनुशासन जैसी भावनाएं युवा मन में पूरी तरह से आत्मसात हों।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों को पढ़ने जानने के लिए छात्रों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक लोकतंत्र सूचित भागीदारी के बिना मजबूत नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि समय-समय पर सिर्फ मतदान ही आवश्यक नहीं है, बल्कि प्रभावी कार्यांवयन भी जरूरी है। उन्होंने शासन और राष्ट्र से संबंधित सभी मामलों में छात्रों की भागीदारी के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाने पर भी बल दिया। उन्होंने छात्रों से कानूनी और राजनीतिक संस्थानों को निखारने और मजबूत बनाने में सहायता का आह्वान करते हुए कहा कि वे ऐसे बेहतर नागरिकों के निर्माण में राष्ट्र की सहायता करें, जो हमारे देश और समाज के लिए सभी अवसरों का उपयोग करने में सक्षम हो।