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Friday 16 September 2016 01:53:18 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि इस बार रियो ओलंपिक में भारत को केवल दो पदक मिले वह भी महिला खिलाड़ियों के कारण, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल की दुनिया में देश का चित्र बदलना होगा। उन्होंने भारतरत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेरणाप्रद वाक्य का उल्लेख करते हुए कहा कि देश के युवा खुली आंखों से बडे़ सपने देखें और उन्हें साकार करने का प्रयास करें। राम नाईक ने कहा कि देश में खेल को आगे बढ़ाने के लिए गंभीरता से कुछ करने की जरूरत है, प्रतिस्पर्धा के दौर में दुनिया छोटी हो गई है, तकनीकी विकास से विश्व में बहुत प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि हमें संकल्प के साथ आगे बढ़ने पर विचार करना चाहिए।
राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर तथा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने संयुक्त रूप से खिलाड़ी सम्मान समारोह का आयोजन किया था, जिसमें एक चिंता के साथ राज्यपाल राम नाईक ने यह टिप्पणी की। राज्यपाल ने अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगता 2015-16 में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को पदक से सम्मानित किया। प्रतियोगिता में हैंडबाल, भारोत्तोलन, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, जूडो, कुश्ती, कबड्डी, तैराकी, वॉलीबाल, बास्केटबाल के महिला एवं पुरूष खिलाड़ी सम्मिलित थे।
राम नाईक ने खेल-खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के अनेक उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की स्मृति में उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि युवा पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद पर भी ध्यान दें, केवल किताबी कीड़ा न बने, खेल-कूद पढ़ाई का हिस्सा है, शिक्षा एवं खेल भावना से ही राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण एवं नैतिक उन्नयन होता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी महानता के उच्चतम आदर्शों का पालन करें, जिससे प्रतिभाशाली एवं आदर्श नागरिकों का निर्माण होगा, युवाओं से राष्ट्र को बहुत अपेक्षाएं हैं, जिस पर उन्हें खरा उतरना होगा।
सम्मान समारोह में राज्यपाल राम नाईक की पत्नी कुंदा नाईक, प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर, प्रमुख सचिव उच्चशिक्षा जितेंद्र कुमार, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डॉ पृथ्वीश नाग, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति पीयूष रंजन अग्रवाल, सचिव चंद्र प्रकाश, विधि परामर्शी शिवशंकर उपाध्याय और विश्वविद्यालय के शिक्षक भी उपस्थित थे। समारोह में कुलपति डॉ पृथ्वीश नाग और कुलपति पीयूष रंजन अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर राज्यपाल को अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।