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Monday 26 September 2016 03:16:21 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने भाजपा के वरिष्ठ नेता, प्रख्यात प्रबुद्ध लेखक और विचारवान हृदयनारायण दीक्षित की राष्ट्रवाद से प्रेरित पुस्तक ‘सोचने की भारतीय दृष्टि’ का विमोचन किया। उन्होंने हृदयनारायण दीक्षित को राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाला प्रतिष्ठित लेखक और ज्ञान का संदर्भ ग्रंथ बताया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार में अनेक मनीषियों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और चिंतनशील नागरिकों की उपस्थिति में राज्यपाल ने हृदयनारायण दीक्षित के लिए अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि हर महीने लगभग दो दर्जन आलेख लिखना कठिन काम है और समकालीन घटनाओं के साथ ही वैचारिक सामग्री जोड़ना और भी कठिन है, उन्होंने वैदिक साहित्य से लेकर अद्यतन संदर्भों को जोड़ते हुए राष्ट्रभाव को मजबूती दी है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से राष्ट्रवाद का विचार पक्ष लगातार रखे जाने की आवश्यकता है, इसलिए आज भारत को एक राष्ट्र न मानने वाली शक्तियां पराजित हो रही हैं। राज्यपाल ने कहा कि हृदयनारायण दीक्षित पत्रकार, साहित्यकार, राजनेता और विभिन्न भूमिकाओं में काम करते हैं, उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है, वे गम्भीर विषय को भी बड़ी सहजता से लिखते हैं। उन्होंने कहा कि प्रासंगिक विषयों पर लिखने में चिंतन की आवश्यकता होती है। राम नाईक ने कहा कि हृदयनारायण दीक्षित की यह 23वीं किताब है, वे विद्वान के साथ-साथ अनुभवी भी हैं और निरंतर अध्ययन करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि लेखक के लिए नियोजन जैसी कोई शर्त नहीं है, हां पाठक उसे पढ़े यही शर्त मायने रखती है।
'सोचने की भारतीय दृष्टि' पुस्तक की समीक्षा साहित्यकार डॉ राम नरेश यादव ने प्रस्तुत की और कहा कि एक सुंदर और प्रेमपूर्ण समाज बनाने के लिए लिखने वाले हृदयनारायण दीक्षित ने दुनिया के सभी दर्शन और सभ्यताओं का अध्ययन किया है, उन्होंने लगातार इतिहासबोध जगाया है, सभी विचारधाराओं से सामग्री ली है और भारतीय राष्ट्रवाद का पक्ष मजबूती से रखा है। डॉ राम नरेश यादव ने कहा कि कार्ल मार्क्स, मार्क्सवादी डॉ रामविलास शर्मा आदि के विवेचन भी उनके लेखन में हैं तो डॉ राममनोहर लोहिया, डॉ भीमराव अम्बेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी उनके लेखन का भाग हैं, उनके प्रत्येक लेख व पुस्तक में ऋग्वेद से लेकर आधुनिक काल तक के संदर्भ होते हैं, इस तरह हृदयनारायण दीक्षित पांच हजार वर्ष जैसा जीवन जीने वाले निराले व्यक्ति हैं। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा के वरिष्ठ नेता लखनऊ के पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री लालजी टंडन ने की। उन्होंने हृदयनारायण दीक्षित के संगठन कर्म, लेखन और राजनीतिक कौशल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उनका साहित्य, लेखन और उनके स्तम्भ निरंतर पढ़े जाते हैं। लालजी टण्डन ने कहा कि भारतीय चिंतन की दिशा बहुत व्यापक है, विश्व में जब कहीं चिंतन नहीं था तब भी भारत में चिंतन था।
हृदयनारायण दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि हजारों वर्ष पहले से भारत में विचार विविधिता है, जैसे प्रकृति में अनेक रूप हैं, वैसे ही यहां के राष्ट्रजीवन में अनेक धाराएं हैं, सारी धाराओं को मिलाकर सोचने से भारतीय दृष्टि बनती है। उन्होंने आधुनिक विचारक कांट का भी उल्लेख किया और कहा कि मूल विचार के जन्म के बारे में कांट भी असमंजस में थे, लेकिन वैदिक ऋषि तमाम भिन्न विचार रखने के बावजूद सृष्टि की एकता और एक सत्य पर एक मत थे। हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि सोचना मनुष्य का स्वभाव है, सोचने की वृत्ति के कई आयाम होते हैं। भारत में अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद समग्रता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि राष्ट्र की दृष्टि हमारी दृष्टि बने तो दुनिया का कोई विचार हमें पराजित नहीं कर सकता। कार्यक्रम संयोजक दिलीप श्रीवास्तव, प्रकाशक नित्यानंद तिवारी तथा बृजेश सिंह आदि ने राज्यपाल का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ ओम प्रकाश पाण्डेय, भाजपा के लखनऊ महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा, मान सिंह, राजीव मिश्रा, दिनेश तिवारी, त्रयम्बक तिवारी, कुमुद श्रीवास्तव, पुष्पेंद्र सिंह एडवोकेट आदि मुख्यरूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पवनपुत्र बादल ने किया।