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Thursday 20 October 2016 02:34:43 AM
मुंबई। भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक डाटा इंफोसिस समूह की कंपनी डाटा एक्सजेन टैक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड ने 'डाटामेल' नाम से दुनिया के पहले निःशुल्क भाषाई ई-मेल आईडी की शुरुआत की है। इस सेवा में 8 भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी और 3 विदेशी भाषाओं-अरेबिक, रूसी और चीनी में ई-मेल आईडी बनाने की सुविधा होगी। आने वाले समय में डाटा एक्सजेन टैक्नोलॉजीस की तरफ से 22 भाषाओं में निःशुल्क ई-मेल सेवा उपलब्ध कराई जाएगी, जिसे डाटामेल के तहत संबंधित प्ले स्टोर के माध्यम से किसी भी एंड्रायड या आईओएस प्रणाली से डाउनलोड किया जा सकेगा। इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का प्रसार शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में आईएएमएआई ने कहा है कि इंटरनेट पर स्थानीय भाषाओं की सामग्री की पैठ धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ती जा रही है।
दुनिया की पहली निःशुल्क भाषाई ई-मेल आईडी सेवा के लांच पर डाटा एक्सजेन टैक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक सीईओ डॉ अजय डाटा ने बताया कि आईएएमएआई की रिपोर्ट के अनुसार वर्ल्ड वाइड वेब पर भारतीय भाषाओं के अकाउंट सिर्फ 0.1 प्रतिशत हैं, दूसरी तरफ 89 प्रतिशत आबादी ऐसी है, जो गैर अंग्रेजी भाषी है और जिसे इंटरनेट पर ई-मेल के जरिए अंग्रेजी में संवाद करने में हर कदम पर बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता है, इसीलिए सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन और मेक इन इंडिया मिशन को आगे बढ़ाते हुए डाटा एक्सजेन टैक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड ने 'डाटामेल' के नाम से पहली निःशुल्क भारतीय ई-मेल सेवा की शुरुआत की है। इस सेवा में देशभर के लोगों को 8 भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी में ई-मेल आईडी बनाने की सुविधा होगी। इस तरह भारतीय नागरिकों को अपनी क्षेत्रीय भाषा में ई-मेल के जरिए संवाद कायम करने की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
भारत में तैयार की गई 'डाटामेल' सेवा दरअसल दुनिया की पहली ऐसी भाषाई ई-मेल सेवा है, जहां पर हिंदी, गुजराती, उर्दू, पंजाबी, तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली और अंग्रेजी में डोमेन नेम बनाने की सुविधा होगी। इसके अलावा डाटामेल के तहत अरेबिक, रूसी और चीनी भाषा में भी ई-मेल आईडी बनाने की सुविधा होगी। वैश्विक इंटरनेट रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट पहुंच के मामले में भारत दुनिया में 139वें स्थान पर है, जबकि भाषाई विविधता के मामले में भारत अग्रिम देशों की सूची में शामिल है। इससे स्पष्ट होता है कि इंटरनेट की दुनिया में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए देश को डिजिटलीकरण के साथ भाषाई विविधता की तरफ भी ध्यान देना होगा। इंटरनेट पहुंच के लिहाज से आइसलैंड पहले स्थान पर, संयुक्त अरब अमीरात 12वें, संयुक्त राज्य अमेरिका 18वें और जर्मनी 19वें स्थान पर हैं, जबकि इन देशों में भाषाई विविधता अपेक्षाकृत बहुत कम है। जहां तक मोबाइल ब्रॉडबैंड वहन करने की क्षमता का सवाल है, भारत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के 12.39 प्रतिशत के साथ अभी 101वें स्थान पर है और आने वाले समय में सुधारों तथा दूरसंचार उद्योग में प्रतिस्पर्धा के साथ इसमें और अधिक वृद्धि की उम्मीद है।
डॉ अजय डाटा ने बताया कि 220 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बन चुका है और इसके बहुत तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अब इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ भारतीय आबादी भी तेजी से डिजिटलीकरण को अपना रही है, लेकिन अधिक से अधिक डिजिटल और मोबाइल कनेक्टिविटी का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में कुछ प्रमुख कारक ऐसे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसमें भाषा का मसला सबसे महत्वपूर्ण है, जिसकी तरफ आम तौर पर ध्यान नहीं दिया जाता, इसीलिए डाटामेल ने डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए इस तरफ सबसे पहले ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि देश की 89 प्रतिशत आबादी का ध्यान रखे बिना डिजिटल इंडिया का कोई मतलब नहीं है और प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के मिशन को पूरा करने के लिए अर्धशहरी और ग्रामीण भारत के उपयोगकर्ताओं के अनुकूल डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने की जरूरत है और यह भी जरूरी है कि इस दिशा में सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलजुलकर प्रयास करने होंगे।
इंटरनेट पर शहरी क्षेत्रों में स्थानीय भाषाओं की सामग्री की पैठ 43 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 57 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों के इंटरनेट उपयोगकर्ता स्थानीय भाषाओं में सामग्री को प्रमुखता देते हैं। अनुमान है कि इंटरनेट पर स्थानीय भाषा की सामग्री उपलब्ध होने से मौजूदा इंटरनेट यूजर बेस में 39 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। इसमें से 16 प्रतिशत की वृद्धि शहरी क्षेत्रों में जबकि 75 प्रतिशत बढ़ोतरी ग्रामीण इलाकों से होगी। विश्लेषण के अनुसार वर्ष 2016 में देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी के उपयोगकर्ता 544.39 मिलियन हैं। अन्य प्रमुख भाषाएं इस प्रकार हैं-बंगाली 107.60 मिलियन, तेलुगू 95.40 मिलियन, मराठी 92.74 मिलियन, तमिल 78.41 मिलियन, उर्दू 66.47 मिलियन, गुजराती 59.44 मिलियन, कन्नड़ 48.96 मिलियन, पंजाबी 37.55 मिलियन और असमी 16.98 मिलियन। इस तरह देश की करीब 1147.95 मिलियन आबादी इन भाषाओं का उपयोग करती है जो कि देश की कुल आबादी का 89 प्रतिशत हिस्सा है। उदाहरण के लिए मराठी-मराठी@डेटामेल.भारत, गुजराती-ગુજરાતી@ડાટામેલ.ભારત, हिंदी-संपर्क@डाटामेल.भारत, पंजाबी-ਮੇਰੇਮੇਲ@ਡਾਟਾਮੇਲ.ਭਾਰਤ।