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Tuesday 14 February 2017 12:38:34 AM
हरिद्वार। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय एवं कॉमनवेल्थ ऑफिस की ओर से यूरोप में आयोजित एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज़ के अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन ‘रोल ऑफ़ फेथ बेस्ड यूनिवर्सिटीज़ इन प्रमोटिंग रिस्पेक्ट’ में भारतीय संस्कृति की ऋषि परम्परा पर आधारित देव संस्कृति विश्वविद्यालय की जोरदार सराहना हुई। सम्मलेन में देश विदेश के चुने हुए 20 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने प्रतिभाग किया। भारत ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने किया और भारतीय संस्कृति और उसकी ऋषि परम्परा शिक्षा पर अपने अनुकरणीय विचार प्रस्तुत किए। डॉ चिन्मय पंड्या ने सम्मेलन में कहा कि वर्तमान समय विश्व के लिए अत्यंत विषम है, जहां आपसी तनाव और टकराव बढ़ रहा है, सहिष्णुता मिट रही है, सद्भाव मिट रहा है, ऐसे में भारतीय संस्कृति को अपनाने पर हम समाधान की सही दिशा पा सकते हैं।
डॉ चिन्मय पंड्या ने विश्व की सभी समस्याओं के समाधान के रूप में भारतीय संस्कृति के वसुधैव कुटुंबकम तथा पंडित श्रीराम शर्मा के मानव मात्र एक समान के सिद्धांत को प्रस्तुत किया। डॉ पंड्या ने भारतीय संस्कृति की ऋषि परम्परा पर आधारित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के स्वरुप को सम्मेलन के समक्ष रखा। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम, विद्यार्थियों को स्वावलंबी बनाने वाले शिक्षण तथा देसंविवि में आधुनिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक जीवन मूल्यों के अद्भुत समन्वय से प्रतिभागी देश काफी प्रभावित हुए। डॉ चिन्मय पंड्या के यूरोप प्रवास के दौरान चेक रिपब्लिक के संत चार्ल्स यूनिवर्सिटी, मासार्यक यूनिवर्सिटी के साथ महत्वपूर्ण विषयों को लेकर शैक्षणिक समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए। इसके तहत विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के विकास हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रमों का आदान प्रदान किया जाएगा।
कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज़ सम्मेलन में मिडिल ईस्ट देश जॉर्डन के प्रिंस मोहम्मद बिन गाज़ी ने गायत्री परिवार एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के शिक्षा कार्यक्रमों की प्रशंसा की। उन्होंने डॉ चिन्मय पंड्या के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए निकट भविष्य में देसंविवि एवं शांतिकुंज आने का वादा भी किया। कॉमनवेल्थ देशों की नई प्रमुख बैरोनेस स्कॉटलैंड ने भी देसंविवि की विचारधारा से जुड़ने के लिए भारत आने का वादा किया। डॉ चिन्मय पंड्या ने वैश्विक संकट के समाधान में कॉमनवेल्थ देशों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे समय में कॉमनवेल्थ के प्रयास सराहनीय हैं, विभिन्न मतों के लोगों को एक मंच पर लाना एवं उन्हें जनसमूह के हित के लिए सोचने हेतु प्रेरित करना निश्चय ही महत्वपूर्ण कदम है।