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Tuesday 7 March 2017 01:15:48 AM
रुड़की (उत्तराखंड)। प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन ने नारी स्वाभिमान की प्रतीक महाकवि कालिदास की पत्नी विद्योत्तमा और उनकी परंपरा की नारी शक्तियों पर एक पुस्तक लिखी है-'मैं विद्योत्तमा'। विद्योत्तमा की गौरव गाथा के साथ लिखी गई इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पुस्तक एक पुरुष लेखक ने स्त्री संवाद में लिखी है। लेखक श्रीगोपाल नारसन ने पुस्तक को अपनी माँ प्रकाशवती को समर्पित की है, जो आजादी के आंदोलन के अमर शहीद जगदीश प्रसाद वत्स की बहन थीं। पुस्तक की भूमिका ज्योतिष विज्ञान के जानेमाने विशेषज्ञ और लेखक गोपाल राजू ने लिखी है। लेखक ने पुस्तक में प्रस्तुतिकरण में गुणवत्तायुक्त तथ्यों का समावेश किया है, जिससे यह पुस्तक वास्तव में संग्रहणीय और बार-बार पठन के योग्य है।
'मैं विद्योत्तमा' पुस्तक में उनके समय के नारी संघर्ष को रेखांकित किया गया है। विद्योत्तमा जहां अपने संवाद में अपनी संघर्ष गाथा सुनाती है, वहीं एक षड्यंत्र के मूर्ख पति को अपनाने और फिर एक संकल्प के तहत अपने पति कालिदास को मूर्ख से महान विद्वान महाकवि कालिदास बनाने की रोचक गाथा का वर्णन किया गया है। पुस्तक में नारी संघर्ष पर काम कर चुकी विभूतियों को भी स्थान दिया गया है। 'मैं विद्योत्तमा' को नेपथ्य से बाहर लाने के कारक बने उज्जैन के मोनी बाबा, संत सुमन भाई, वैदुस्मणी विद्योत्तमा के लेखक डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण से लेकर दादी जानकी, अमृता प्रीतम, सितारा देवी, चित्रा मुद्गल, सुधा चंद्रन, रेखा मोदी, रीता शर्मा, मलाला यूसुफजई, वीना शास्त्री, डॉ सुधा पांड्य, डॉ मधुरिका सक्सेना, सरिता अग्रवाल, फूलवती, अनीता और कई अन्य नारी शक्तियों को उनके परिचय के साथ शामिल किया गया है। 'मैं विद्योत्तमा' पुस्तक का प्रकाशन नवभारत प्रकाशन नई दिल्ली ने किया है।