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फिल्म फना और पीके के बाद पद्मावती!

बॉलीवुड को चाहिए सनसनी और किसी तरह पैसा

पद्मावती फिल्म के कंटेंट से राजपूत हुए नाराज़

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 March 2017 11:21:29 AM

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मुंबई। बॉलीवुड को चाहिए सनसनी और किसी भी तरह पैसा। जी हां! अपवाद को छोड़कर यह बात कहीं तक पूरी तरह सच है कि बॉलीवुड इन दो दशक से धन माफियाओं के पैसे और विवादास्पद फिल्मों से खूब फलफूल रहा है। ‌देखा जा रहा है कि भारतीय हिंदू संस्कृति या उससे जुड़े ऐतिहासिक पात्रों, स्‍थलों, परिवार एवं रिश्तों पर जितने खतरनाक हमले बॉलीवुड और कुछ भारतीय टीवी सीरियलों ने किए हैं और करते आ रहे हैं, उतने हमले किसी भी नास्तिक ने नहीं किए। ताजा मामला फिल्म निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की निर्माणाधीन फिल्म पद्मावती का है, जिसका राजपूत समाज के लोगों ने जयपुर और कोल्हापुर में फिल्मांकन रुकवा दिया। दोनों जगह इस फिल्म के सेट पर तोड़फोड़ की गई। इससे लगता है कि कुछ तो है, जिसमें या तो फिल्म में रानी पद्मावती के बारे में कुछ ग़लत ही फिल्माया जा रहा है या उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए फिल्म के बारे में अभी से ही ऐसा प्रचारित किया जा रहा है, ताकि फिल्म खरीदने वालों से मोटा एडवांस मिल जाए और फिल्म रिलीज़ होते ही लोग भी बाक्स आफिस पर टूट पड़ें।
गौरतलब है कि करणी सेना ने जयपुर के जयगढ़ किले में पद्मावती पर फिल्म की सूटिंग को न केवल रुकवा दिया, बल्कि संजय लीला भंसाली की पिटाई भी कर दी गई थी। आरोप यह है कि संजय लीला भंसाली इस फिल्म में रानी पद्मावती के चरित्र को ग़लत तरीके से लांछित कर रहे हैं। पहले जयपुर में और अब कोल्हापुर में पद्मावती का फिल्मांकन रुकवा दिया गया है। फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के अनुसार इस फिल्म के निर्माण का करीब पौने दो सौ करोड़ रुपए का बजट है और यदि यही हालत रही तो यह फिल्म परियोजना लटक सकती है। संजय लीला भंसाली पद्मावती पर फिल्म बनाकर क्या नया संदेश देना चाहते हैं, इसका संतोषजनक उत्तर उनके या उनकी टीम के पास नहीं है, फिल्म की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण कह रही है कि मैं इस फिल्म में पद्मावती बनी हूं और मैं दावे से कह सकती हूं कि हमने इतिहास से छेड़छाड़ नहीं की है, बल्कि हम एक बहादुर महिला की कहानी ला रहे हैं। देश की बहादुर महिलाओं का इतिहास तो शिक्षा के प्रारंभिक पाट्यक्रम में पहले से ही मौजूद है तो इसमें संजय लीला भंसाली और नया क्या खोज रहे हैं?
पद्मावती पर फिल्म के संबंध में राजस्‍थान के राजपूत समाज का कहना है कि आत्मसम्मान के लिए आत्मदाह करने वाली रानी पद्मावती का अलाउद्दीन खिलजी के साथ जिस तरह रोमांस दिखाने की कोशिश की जा रही है, उससे राजपूतों का अपमान हो रहा है। रानी पद्मावती ने अलाउद्दीन खिलजी के संग जाने बजाए सोलह हजार रानियों के साथ अपनी वीरता का जौहर दिखाते हुए आत्मदाह किया था, ना कि रोमांस। राजपूतों का कहना है कि उनके अपमान वाली फिल्म की सूटिंग कहीं नहीं होने दी जाएगी और यह फिल्म बना भी ली गई तो उसे चलने नहीं दिया जाएगा, जयपुर में पद्मावती और राजपूतों के अपमान से क्रोधित करणी सेना ने इसीलिए इस फिल्म का सेट तोड़फोड़ दिया। पद्मावती को लेकर राजपूत समाज फिल्म की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के किसी भी तर्क से सहमत नहीं है और वह इस फिल्म के निर्माण के खिलाफ है, जिसमें पद्मावती की गलत तरीके से तस्वीर पेश की जा रही है।
जयपुर के बाद कोल्हापुर में रानी पद्मावती पर फिल्मांकन को रोकना इस बात की ओर इशारा करता है कि फिल्म को केवल धन के लिए, सस्ती लोकप्रियता और एक समुदाय विशेष में अपनी छवि स्‍थापित करने के लिए सनसनीखेज़ बनाया जा रहा है। जैसा कि बॉलीवुड में होता आ रहा है कि कुछ ऐसी फिल्मों के निर्माण को तरजीह दी जाती रही है, जिनमें ऐतिहासिक स्‍थलों, हिंदू चरित्रों और उनके देवी-देवताओं या महापुरुषों को गलत तरीके से या उनकी मज़ाक बनाते हुए प्रस्तुत किया गया है। आमिर खान की फिल्म 'फना' में जानबूझकर जम्मू-कश्मीर विवाद को उछाला गया है, उसका कथानक इस तथ्य का सबूत है। फिल्म 'पीके' में भारतीयों के आराध्य भगवान शंकर सहित देवी-देवताओं का खुलकर अपमान किया ही गया है, यह सभी ने देखा है। कुछ फिल्म कलाकारों की अनेक फिल्मों में ऐसे कंटेंट शामिल किए गए हैं, जिनसे हिंदू समाज आहत होकर रह गया और ये लोग अपने एजेंडे में सफल होते चले गए।
फिल्म पद्मावती के निर्माण को पूरा करने के लिए भले ही महाराष्ट्र सरकार ने संजय लीला भंसाली को सुरक्षा मुहैया कराई है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार के कई मंत्री और बॉलीवुड के भी कुछ लोग पद्मावती के कंटेंट से सहमत नज़र नहीं आते हैं। शिवसेना भी इससे सहमत नहीं दिखती है, लेकिन उसका सहमत होना न होना इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है कि इससे ‌उसको कितना धनलाभ हो रहा है। मुंबई में ऐसी फिल्में शिवसेना के लिए हमेंशा कामधेनू साबित होती आई हैं। इस प्रकार की एक भी फिल्म नहीं है, जिसका ‌पहले शिवसेना ने विरोध नहीं किया हो और फिर उसको नहीं चलने दिया हो। ऐसा शिवसेना के संस्‍थापक अध्यक्ष रहे बाल ठाकरे के समय से ही होता आया है। कौन नहीं जानता कि यही दाऊद इब्राहिम एक समय श्रीमान बाल ठाकरे साहेब का ही पुत्र जैसा था और धन उगाही के पीछे दोनों के संबंध दुश्मनी में बदल गए, ये अलग बात है कि बाल ठाकरे इस पर भारी पड़ गए और दाऊद इब्राहिम को अपने फिरौती वसूली कारोबार को पाकिस्तान एवं दुबई में स्‍थापित करना पड़ा। वर्तमान में भी बॉलीवुड से शिवसेना की डील को कौन नहीं जानता?
बॉलीवुड के मुकेश भट्ट जैसे ही कुछ लोगों ने फिल्म पद्मावती के फिल्मांकन को रोकने की कोशिश करने वाले लोगों का कड़ा विरोध किया है। इनमें ज्यादातर वही लोग हैं, जो कला और बॉलीवुड के नाम पर ऐसी फिल्मों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त रखना चाहते हैं, क्योंकि देश, समाज और परिवार में आग लगाने वाली फिल्में ही आजकल सबसे ज्यादा धन कमाकर दे रही हैं। ये लोग पैसे कमाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, उसमें चाहे देश का नुकसान हो या किसी के समाज को पीड़ा पहुंचे। बॉलीवुड के कुछ कलाकारों प्रियंका चोपड़ा, अनुष्का शर्मा, फरहान अख्तर, ऋतिक रोशन, आलिया भट्ट, सोनम कपूर, भारतीय फिल्म एंड टेलीविज़न निर्देशक संघ संजय लीला भंसाली के इस प्रोजेक्ट के साथ खड़े हैं और फिल्म का फिल्मांकन रुकवाने की आलोचना कर रहे हैं। इन्हें पता है कि पद्मावती फिल्म में भी सनसनीखेज़ कंटेंट हैं, जिनपर राजपूत समाज में बवाल मच रहा है और जो फिल्म को हिट करने के लिए पर्याप्त हैं। इस फिल्म का निर्माण हो ही जाएगा और यह सिनेमाघरों में भी लग जाएगी, लेकिन फना और पीके की तरह पद्मावती को भी लोग देखने के‌ लिए कतारों में दिखेंगे, आखिर भारतीय दर्शकों की यही नियति जो है।

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