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Thursday 30 March 2017 06:53:13 AM
मुंबई। अगर आप हीरो हैं और हमारे फिल्म स्टार की तरह अपने गठीले एवं 'हीमैन जैसी काया' की रौबीली नुमाईश लगाते हैं तो जाहिर है कि आशा की जाती है कि आप अपनी मर्दानगी का प्रदर्शन करते हुए चुटकियों में मुश्किल से मुश्किल काम को कर दिखाएंगे, मगर शौर्य सिंह के भंवरे का जब अपनी मर्दानगी सिद्ध करने का अवसर आया तो वह एक दगे बम जैसे निकलते हैं। उनकी मर्दानगी धरी की धरी रह जाती है और वह सेक्स करने में खुद को असमर्थ पाते हैं, उन्हें लगता था कि मर्दाना ताकत वाली दवाएं ही इसका एकमात्र समाधान हैं, जिन्हें बनाने वालों का पता अक्सर मूत्रालय की दीवारों, रेलवे लाइन के किनारे बने मकानों की दीवारों ट्रेन के वाशरूम मे लिखा मिलता है, जहां हकीमजी, बंगाली बाबाओं या देसी दवाखानों के ऐसे पते मिल जाएंगे, जहां शर्तिया मर्द बनाने की रामबाण औषधि मिलेगी।
हमारे समाज में नामर्दगी से जूझ रहे ऐसे लाखों लोग या भंवरे हैं, जो किसी ऐसी दवा की तलाश में रहते हैं, जिसे खाकर वे धरती को भी फाड़ दें। इन्हीं के लिए रोमानी या वैवाहिक रिश्ते को खूबसूरत आकार देने के लिए शाही दवाखानों के नाम से चल रही ऐसी कई दुकानें हैं, जो सेक्स से संबंधित समस्याओं को दूर करने का दावा करती हैं और लोगों का एक खास वर्ग ऐसे नीम-हकीमों के पास जाकर अपनी खोई हुई ताकत हासिल करना चाहता है। इसी विषय पर बनी है सुधा क्रिएशंस की डार्क कॉमेडी फिल्म भंवरे, जो तीन दोस्तों की कहानी है। लेखक, अभिनेता, निर्माता और निर्देशक शौर्य सिंह की यह फिल्म दर्शकों को यही मैसेज देना चाहती है कि अपनी शारीरिक कमजोरी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए ग़लत तरीका न अपनाएं। ऐसी दुकानों पर जाने से बचें, जो ऐसी चिकित्सा के लिए अप्रूव्ड नहीं हैं और इंसान की सेहत से खिलवाड़ करती हैं।
फिल्म में लोहे की मशीन पर तैयार किए गए शरीर शौष्ठव में दहकती हुई मांसपेशियों की सच्चाई पर भी उंगली उठाई गई होती तो पता चलता कि फिल्म का कंटेंट और दमदार हो जाता। यह भी एक तथ्य है कि मांसपेशियों को उभार देने के लिए भी घी-दूध की शक्ति की अनदेखी कर हानिकारक दवाओं के शॉर्टकट का सहारा लिया जाता है। फिल्म से ऐसे पहलवान युवाओं को भी सही राय मिल जाती जो केवल जिम के ही भरोसे सड़कों पर अपने शरीर की नुमाईश लगाए घूमते हैं, बहरहारल। फिल्म निर्माता शौर्य सिंह कहते हैं कि यह देश में ऐसी पहली फिल्म है, जो मर्दाना कमज़ोरी को दूर करने का दावा करने वाले नीम-हकीमों पर निशाना साधती है। फिल्म में शौर्य सिंह के अपोजिट प्रियंका शुक्ला हैं। मनोज बख्शी खलनायकी के तेवर दिखाते नज़र आ रहे हैं। फिल्म में करण ठाकुर और जशन सिंह भी अहम किरदार में हैं। फिल्म में सौरभ चटर्जी और गौरव रत्नाकर का संगीत है।