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Tuesday 11 April 2017 11:06:03 PM
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि भारत और नेपाल हमारे लिए कोई अलग-अलग राष्ट्र नहीं हैं और नेपाल उन ताकतों से सावधान रहे जो विघटन चाहती हैं। भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, आर्थिक और सुरक्षा मामलों को मजबूती प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद भारत और नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान नेपाल ने भारत-नेपाल के बीच सुरक्षा एवं रक्षा संबंधी मामलों पर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट देहरादून में दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया था, जिसमें भाग लेते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का नेपाल के साथ विशेष रिश्ता है, जिसमें बहु-बेटी, रोटी, सांस्कृतिक, आर्थिक और कहें तो आपस में खून का रिश्ता है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नेपाल के साथ गहरे और दीर्घकालिक रिश्तों का उल्लेख करते हुए कहा कि कई लोग हमें अलग करने की कोशिश में लगे हैं, इसे रोकने के लिए जनसामान्य को जोड़ना है, वैश्विक परिपेक्ष्य में हमें एकता बनाए रखनी है, हमारी इन संस्कृतियों पर दुनिया विश्वास करती है। गोष्ठी में भारत और नेपाल के कई सुरक्षा और विदेश मामलों के जानकारों ने भाग लिया है। नेपाल के विदेश सचिव रहे मधुरमण आचार्य ने गोष्ठी के उद्घाटन पर भारत के साथ सम्बंधों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टि से हमें एक दूसरे देश को सहायता प्रदान करनी चाहिए और कोई भी मामला राजनीति की भेंट नहीं चढ़ाना चाहिए।
भारत के विदेश सचिव रहे और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के संरक्षक शशांक सरकार ने कहा कि जो भारत में रहता है, उसमें भारतीयता मूलरूप से होती है, चाहे मुस्लिम हो या ईसाई। उन्होंने कहा कि दुनिया में हमारे और नेपाल के सम्बंधों को हानिकारक बताया जा रहा है, यहां तक कि हमें बौद्धों का संहारक भी बताया जाता है, जबकि बुध को हमने भगवान माना है। दो दिवसीय गोष्ठी में दोनों देशों के अपसी सम्बंधों और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों की चर्चा की गई। गोष्ठी का संचालन गोपाल अरोरा ने किया।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के महासचिव श्याम पांडेय ने कहा कि हम लोग सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से एक हैं और हम वसुधैव कुटुम्बकम के भाव से काम करते हैं, हमारी पहचान हिंदुत्व से है। उन्होंने कहा कि शत्रुपक्ष हम दोनों को अलग करना चाह रहा है, इसलिए हमको मिलकर, आपस में समन्वय बनाकर कार्य करना होगा, तभी हम विश्व का नेतृत्व कर पाएंगे। इस अवसर पर भारत और नेपाल के कई पूर्व सैन्य अधिकारी और प्रबुद्ध नागरिक भी मौजूद थे।