Thursday 27 April 2017 10:24:00 AM
ब्रह्मानंद राजपूत
मुंबई/ नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से एक और अपने वक्त के सबसे खूबसूरत अभिनेताओं में गिने जाने वाले दिग्गज अभिनेता और राजनीतिज्ञ विनोद खन्ना का आज 27 अप्रैल 2017 को रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल मुंबई में निधन हो गया। सत्तर वर्षीय विनोद खन्ना कैंसर से पीड़ित थे। भारतीय सिनेमा ने विनोद खन्ना के रूप में आज एक बेहतरीन अभिनेता खोया है। विनोद खन्ना का जाना सम्पूर्ण कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू सहित देश की अनेक राजनीतिक और फिल्मी हस्तियों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। विनोद खन्ना का जिंदादिल अभिनय भारत के प्रत्येक नागरिक के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा। वे एक समर्पित अभिनेता और राजनेता के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पेशावर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का भाग है। जन्म के एक साल बाद 1947 में हुए भारत विभाजन के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई आ गया था।
विनोद खन्ना एक व्यापारिक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनकी मां का नाम कमला और पिता का नाम किशनचंद खन्ना था। विनोद खन्ना की तीन बहनें और एक भाई था। विनोद खन्ना ने सेंट मैरी स्कूल मुंबई से दूसरी क्लास तक शिक्षा प्राप्त की और फिर उन्हें सेंट जेवियर्स हाईस्कूल दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया। सन् 1957 में खन्ना परिवार दिल्ली आ गया, जहां विनोद खन्ना ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। खन्ना परिवार 1960 में मुंबई पुनः लौटा, लेकिन विनोद खन्ना को नासिक के पास देओली में बार्न्स स्कूल भेज दिया गया। अपने बोर्डिंग स्कूल के समय सोलहवां साल और मुगल-ए-आजम जैसी बेहतरीन फिल्में देखने के बाद विनोद खन्ना का अभिनय जागा। विनोद खन्ना ने सिडनहैम कॉलेज मुंबई से वाणिज्य विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। विनोद खन्ना का विवाह 1971 में गीतांजलि से हुआ, जिनसे उनके दो पुत्र हैं, राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना। राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना दोनों ही बॉलीवुड में सक्रिय हैं। दुर्भाग्य कि वर्ष 1985 में विनोद खन्ना का गीतांजलि से तलाक हो गया। विनोद खन्ना ने 1990 में कविता से दूसरा विवाह किया, जिनसे उनका एक पुत्र साक्षी खन्ना और एक पुत्री श्रद्धा खन्ना है।
विनोद खन्ना ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत सुनील दत्त की 1968 में बनी फिल्म ‘मन का मीत’ से की, जो अधूरति सुब्बा राव की निर्देशित थी। इस फिल्म में मुख्य नायक सोमदत्त थे और विनोद खन्ना को खलनायक की भूमिका मिली। ‘मन का मीत’ फिल्म तमिल फिल्म ‘कुमारी पेन’ की रीमेक थी। अपने कैरियर की शुरुआत में विनोद खन्ना ने 1970 में ‘पूरब और पश्चिम’, ‘सच्चा झूठा’, ‘आन मिलो सजना’ और ‘मस्ताना’ 1971 में ‘मेरा गांव मेरा देश’ और एलान में सहायक अभिनेता और खलनायक की भूमिकाएं अदा कीं। विनोद खन्ना उन कुछ अभिनेताओं में से एक थे, जिन्हें शुरूआती भूमिकाएं सहायक अभिनेता और खलनायक की मिलीं, लेकिन 1971 के बाद विनोद खन्ना को फिल्मों में मुख्य अभिनेता की भूमिकाएं मिलने लगीं। विनोद खन्ना को मुख्य अभिनेता के रूप में पहला ब्रेक शिव कुमार निर्देशित फिल्म ‘हम तुम और वो’ से 1971 में मिला। इसके बाद 1982 तक विनोदखन्ना ने दर्जनों यादगार हिट फिल्में दीं, जिनमें प्रमुख रूप से ‘मेरे अपने’, ‘अचानक’, ‘फरेबी’, ‘हत्यारा’, ‘गद्दार’, ‘आप की खातिर’, ‘राजमहल’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’, ‘खून की पुकार’, ‘शक’, ‘आरोप’, ‘ताकत’, ‘जेल यात्रा’, ‘दौलत’, ‘आधा दिन आधी रात’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘कुर्बानी’ शामिल हैं।
विनोद खन्ना ने गुज़रे जमाने की सभी प्रमुख अभिनेत्रियों, मौसमी चटर्जी, लीना चंदावरकर, विद्या सिन्हा, योगिता बाली, रेखा, नीता मेहता, शबाना आज़मी, सायरा बानो, राखी, परवीन बॉबी, रीना रॉय, ज़ीनत अमान इत्यादि के साथ काम किया। वर्ष 1971 से 1982 के बीच विनोद खन्ना ने 47 बहुनायक फिल्मों में भी काम किया, जिनमें ‘शंकर शंभू’, ‘चोर सिपाही’, ‘एक और एक ग्यारह’ में शशि कपूर के साथ काम किया। ‘हेरा फेरी’, ‘खून पसीना’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘ज़मीर’, ‘परवरिश’ और ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में विनोद खन्ना महानायक अमिताभ बच्चन के साथ दिखाई दिए और ‘हाथ की सफाई’ और ‘आखिरी डांकू’ में उन्होंने रणधीर कपूर के साथ सह-भूमिका की। विनोद खन्ना ‘डाकू और जवान’ में सुनील दत्त के साथ दिखाई दिए। उन्होंने एक ‘हसीना दो दीवाने’, ‘एक बेचारा’, ‘परिचय’, ‘इंसान’, ‘अनोखी अदा’ और ‘जन्म कुंडली’ में जितेंद्र के साथ काम किया। विनोद खन्ना ने ‘रखवाला’, ‘पत्थर और पायल’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘बंटवारा’ और ‘फरिश्ते’ में धर्मेंद्र के साथ स्क्रीन साझा की।
विनोद खन्ना 1882 में आध्यात्मिक गुरु ओशोयानी रजनीश के अनुयायी बन गए और 1982-86 तक पांच वर्ष तक फिल्म जगत को छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी फिल्मी पारी भी सफलतापूर्वक खेली। पांच साल फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहने के बाद 1987 में विनोद खन्ना ने ‘इंसाफ’ फिल्म के साथ जबरदस्त वापसी की, जिसमें उनके विपरीत भूमिका में डिंपल कपाड़िया थीं। उन्होंने ‘जुर्म’ और ‘चांदनी’ में रोमांटिक भूमिका निभाई, लेकिन ज्यादातर एक्शन फिल्मों में भूमिका निभाई। विनोद खन्ना ने 1990 के दशक में, ‘मुकद्दर का बादशाह’, ‘सीआईडी’, ‘जुर्म’, ‘रिहाई’, ‘लेकिन’ और ‘हमशक्ल’ सहित कई फिल्मों में काम किया। उन्होंने नए नायकों ऋषि कपूर, गोविंदा, संजय दत्त, रजनीकांत, सलमान खान, सन्नी देओल के साथ कई फिल्मों में साझा भूमिकाएं अदा कीं, जिनमें प्रमुख रूप से ‘आखिरी अदालत’, ‘महा संग्राम’, ‘खून का कर्ज’, ‘पुलिस और मुजरिम’, ‘क्षत्रिय’, ‘इंसानियत के देवता’, ‘एक राजा रानी’ और ‘ईना मीना डीका’ थीं। मीनाक्षी शेषाद्रि के साथ विनोद खन्ना की जोड़ी काफी सराही गई और इस जोड़ी ने ‘जुर्म’, ‘महादेव’, ‘पुलिस और मुजरिम’, ‘हमशक्ल’ और ‘सत्यमेव जयते’ जैसी सफल फिल्में दीं।
विनोद खन्ना ने वर्ष 1997 में ‘हिमालय पुत्र’ में अपने बेटे अक्षय खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री में लांच किया, जिसमें उन्होंने भी अभिनय किया। उनको वर्ष 1999 में तीन दशकों से अधिक हिंदी फिल्म उद्योग में योगदान के लिए ‘फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार मिला। विनोद खन्ना ने ‘दीवानापन’ (2002), ‘रेड अलर्टः द वार विदिन’, ‘वांटेड’ (2009) और ‘दबंग’ (2010) में चरित्र भूमिकाएं निभाईं। एकल नायक के रूप में विनोद खन्ना ने ‘द फेस ऑफ ट्रुथ’ (2005) और पाकिस्तानी फिल्म ‘गॉड फादर’ (2007) में अभिनय किया, साथ ही साथ मल्टी-स्टार फिल्म ‘रिस्क’ (2007) में भी विनोद खन्ना का काम प्रशंसनीय था। विनोद खन्ना आखिरी बार शाहरुख खान के साथ ‘दिलवाले’ में नज़र आए। विनोद खन्ना ने स्मृति ईरानी के धारावाहिक ‘मेरे अपने’ में ‘काशीनाथ’ की भूमिका निभाई, जोकि हिंदी चैनल ‘9एक्स’ पर प्रसारित हुआ था। वर्ष 2014 में उन्होंने ‘कोयलांचल’ में मुख्य भूमिका निभाई, जहां उन्होंने गॉड फादर की भूमिका निभाई, जोकि कोयला माफिया का चेहरा था।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने प्रसिद्ध सिनेमा कलाकार और सांसद विनोद खन्ना के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को भेजे संदेश में कहा है कि प्रसिद्ध फिल्मी हस्ती और पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद विनोद खन्ना के असामयिक निधन से उन्हें बहुत दु:ख हुआ है, भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। एम वेंकैया नायडू ने कहा कि विनोद खन्ना का भारतीय सिनेमा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनके निधन से हुई क्षति को पूरा करना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि विनोद खन्ना की फिल्मों को बहुत सराहा गया है और उनके प्रशंसकों की बहुत बड़ी संख्या है, मेरे अपने, मेरा गांव मेरा देश, जेल यात्रा, मुकदर का सिकंदर, इंकार, अमर अकबर एंथनी, राजपूत, कुर्बानी, कुदरत और दयावान उनकी यादगार फिल्में हैं, जिनमें उनके अभिनय को लोग हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि विनोद खन्ना भारतीय जनता पार्टी से 20 वर्ष से जुड़े थे, वे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे। उन्होंने कहा कि सांसद विनोद खन्ना के निधन से भारतीय जनता पार्टी और गुरदासपुर की जनता को बहुत हानि पहुंची है।
विनोद खन्ना ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत भाजपा से की। विनोद खन्ना 1997 में पहली बार पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद चुने गए। इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर लोकसभा से ही दूसरी बार जीतकर संसद पहुंचे। विनोद खन्ना को 2002 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री बनाया गया। छह महीने के बाद उनका विभाग बदलकर उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्यमंत्री बना दिया गया। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गुरदासपुर लोकसभा सीट से फिर चुनाव जीता मगर 2009 के लोकसभा चुनाव में वे हार गए। वे चौथी बार फिर यानी 2014 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर लोकसभा से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। उनके निधन से सभी अत्यंत दुखी हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।