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Sunday 28 May 2017 12:54:47 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में आवश्यक बदलाव किया जा रहा है, जिसके लिए राज्यपाल के विधि परामर्शी की अध्यक्षता में शीघ्र ही एक समिति का गठन किया जा रहा है। समिति में उत्तर प्रदेश शासन के दो वरिष्ठ अधिकारी उच्चशिक्षा मंत्री के परामर्श के उपरांत नामित किए जाएंगे, राज्य विश्वविद्यालय के एक कुलसचिव समिति के सदस्य होंगे और राज्य विश्वविद्यालय के ही एक पूर्व कुलपति भी समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए जाएंगे। उत्तर प्रदेश राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राम नाईक की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु राजभवन में एक बैठक हुई, जिसमें ये निर्णय लिया गया। बैठक में उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, प्रमुख सचिव राज्यपाल जूथिका पाटणकर, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा संजय अग्रवाल, राज्यपाल के विधि परामर्शी एसएस उपाध्याय उपस्थित थे।
राज्यपाल राम नाईक के साथ बैठक में अगले माह होने जा रहे कुलपतियों के सम्मेलन के आयोजन पर भी विचार किया गया। कुलपति सम्मेलन में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति और कुलाध्यक्ष राज्यपाल राम नाईक, उप मुख्यमंत्री और उच्चशिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा, चिकित्सा शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षामंत्री आशुतोष टंडन, कृषि और शिक्षामंत्री सूर्यप्रताप शाही, विकलांगजन विकास मंत्री ओमप्रकाश राजभर और 29 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव सम्मिलित होंगे। उल्लेखनीय है कि 24 मई को राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भेंट के दौरान विश्वविद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता के संबंध में चर्चा हुई थी, जिसमें इस बैठक के लिए सहमति बनी थी।
उच्चशिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु कल हुई बैठक में विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक एवं शैक्षिक संवर्ग के रिक्त पदों को भरे जाने, शिक्षकों के अतिरिक्त पदों के सृजन, नये पाठ्यक्रमों का अनुमोदन, स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम में नियुक्त शिक्षकों, शिक्षणेत्तरकर्मियों का विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियमों में यथास्थान समावेश, शुल्क के संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा-7(14) एवं 52(3) (ग) में एकरूपता स्थापित करने, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि हेतु ससमय नकलविहीन परीक्षा आयोजित कराने, परीक्षा प्रणाली एवं मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार, कुलपति पद का कार्यकाल एवं उनकी सेवा शर्तों के निर्धारण, विश्वविद्यालयों में शोध कार्य बढ़ाने, ऑनलाइन सुविधाओं, नैक मूल्यांकन, एकेडमिक आडिट, वेबसाइट अपडेट किए जाने, छात्रसंघ चुनाव, अभिनवीकरण, कैरियर काउंसलिंग की व्यवस्था, प्लेसमेंट सेल की स्थापना, अंतर्विश्वविद्यालयी खेल प्रतियोगिता जैसे अनेक अन्य विषयों पर चर्चा हुई।