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Tuesday 13 June 2017 06:03:05 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उमा-हरिकृष्ण अवस्थी सभागार का उद्घाटन किया। उल्लेखनीय है कि सभागार का नामकरण लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी और उनकी पत्नी उमा अवस्थी के नाम पर किया गया है। राम नाईक ने कहा कि प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी ने अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय से कुलपति के तौर पर कोई मानदेय नहीं लिया और उनके परिजनों ने इस सभागार के निर्माण का व्यय भी स्वयं उठाया है, जो अपने आप में एक प्रशंसनीय संदेश है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी के परिजनों की यह कृति वास्तव में सराहनीय है। राज्यपाल ने कहा कि वे लखनऊ विश्वविद्यालय के कई कार्यक्रमों में आ चुके हैं, लेकिन आज के कार्यक्रम की कुछ अलग विशेषता है, जैसे भगवान राम के नाम के पहले सीता का नाम और श्रीकृष्ण के नाम के पहले राधा के नाम का कुछ अलग आनंद है, उसी प्रकार सभागार का नाम उमा-हरिकृष्ण अवस्थी रखा गया है, जो अति उत्तम है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि इस बात का अनुभव बहुत कम मिलता है कि प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र रहे, छात्रसंघ के निर्विरोध अध्यक्ष भी हुए फिर विश्वविद्यालय में शिक्षक बने और बाद में कुलपति भी रहे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार उनके जीवन का लंबा समय लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ जुड़ा रहा, वे 36 वर्ष तक उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य भी रहे, जो अपने आप में एक मिसाल है। राज्यपाल ने कहा कि प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी की एक शिक्षक और प्रशासक के रूप में उच्चकोटि की काबिलियत को देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह किया गया था। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी विश्वविद्यालय को और समृद्ध एवं आगे बढ़ाने का संकल्प लें, यही प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा भी इस अवसर पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी के जीवन को भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर हरिकृष्ण अवस्थी ने आजीवन परोपकार और दूसरों को आगे बढ़ाने का काम किया है। कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, पूर्व अधिष्ठाता कला संकाय डीपी सिंह, डॉ आभा अवस्थी, शिक्षक, छात्र-छात्राएं और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रोफेसर एसपी सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया और पूर्व अधिष्ठाता प्रोफेसर डीपी सिंह ने भी इस मौके पर विचार व्यक्त किए।