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Monday 28 August 2017 11:45:25 AM
देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर ख्यातिप्राप्त देहरादून शहर भी यहां के उच्च शिक्षित और शानदार जीवनशैली के नागरिकों की आंखों के सामने कूड़े के ढेरों से सड़ा और छिन्न-भिन्न दिखाई देने लगा है। लगता तो यह है कि शहर की बुनियादी सुविधाएं और प्रशासन का ध्यान एक खासवर्ग तक सिमट गया है और शहर की साफ सफाई तक एक समस्या का रूप ले चुकी है। देहरादून के छात्र संगठन मेकिंग ऐ डिफ्फेरेंस बाय बीइंग दी डिफ्फेरेंस यानी मेड के स्वयंसेवकों ने देहरादून में नेशविला रोड पर जब स्वच्छता और स्वच्छता के लिए जागरूकता का अभियान चलाया तो फिर यह तथ्य उभरकर सामने आया कि शहर में प्रशासन से लेकर नागरिकों तक जिम्मेदारी और जागरुकता दम तोड़ रही है। बहरहाल आज शाम मेड के 30-40 स्वयंसेवक सफाई के सामान के साथ एश्ले हॉल पर एकत्र हुए और उन्होंने नेशविला रोड पर जाकर जागरुकतापूर्वक सफाई अभियान शुरू किया। मेड के स्वयंसेवकों ने इधर-उधर फैला कचरा कूड़े के डब्बे में डाला। इसके बाद उन्होंने आसपास के लोगों को शहर में स्वच्छता के प्रति जागरुक किया।
स्वच्छता अभियान पर लोगों में जागरुकता प्रकट करते हुए मेड की स्वयंसेवक श्रेया ने कहा कि शहर के बहुत सारे क्षेत्रों में यदि कहीं नगर निगम देहरादून के स्वच्छता के प्रयास विफल हुए हैं तो शहर के नागरिक भी काफी हद तक शहर को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी में विफल हुए हैं, उन्हें भी अपने घरों से निकलकर शहर में सफाई के हालात सुधारने में नगर निगम प्रशासन की सहायता करनी चाहिए। मेड स्वयंसेवक विजय प्रताप का कहना था कि जो देहरादून अपनी ख़ूबसूरती के लिए मशहूर माना जाता है और उसमें प्रवेश करते ही जब मुख्य सड़कों गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर बिखरे कचरे और कूड़े के ढेर दिखते हैं तो शहर की ख़ूबसूरती की सारी छवि धूमिल हो जाती है, इसीलिए सफाई अभियान चलाते रहने एवं दूसरों को भी अपने-अपने क्षेत्र में सफाई के लिए जागरूक करना बहुत ज़रूरी है। मेड देहरादून के 15 से 23 वर्ष की उम्र के छात्रों का संगठन है, जो वर्ष 2011 से देहरादून के स्वच्छता सामाजिक और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर हर सप्ताह जागरूकता अभियान चलाता आ रहा है। इस अभियान में संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, आदर्श, अनमोल, आकांक्षा, स्वाति, भुवन्यु, अर्पिता आदि की भागीदारी उल्लेखनीय रही।
देहरादून का नाम अंतर्राष्ट्रीय शहरों की सूची में है, जो न केवल उत्तराखंड राज्य की राजधानी है, अपितु यहां देश-विदेश के विशिष्ट नागरिकों को आना-जाना होता है। यहां विश्वविख्यात दून स्कूल है, जिसमें देश-विदेश के आभिजात्य वर्ग के बच्चे उच्चस्तरीय शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसी स्कूल में पढ़ने वाले अनेक लोग देहरादून में प्रशासनकर्ता भी होते आए हैं, इसके बावजूद देहरादून शहर में सफाई व्यवस्था और जागरुकता की इतनी बुरी हालत है। यहां की सफाई व्यवस्था दूसरे शहरों के लिए आदर्श होनी चाहिए थी, लेकिन कहना न होगा कि देश के इस उच्चशिक्षित शहर में आम सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर जगह-जगह कुत्ते-बिल्लियों को इस्तेमाल करके फेंके गए कंडोम नोचते हुए देखा जा सकता है।