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Wednesday 27 February 2013 10:41:31 AM
मुंबई। एक अंतर-मंत्रालय केंद्रीय दल इस समय महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति का जायजा लेने आया हुआ है। कृषि और सहकारिता विभाग में संयुक्त सचिव (राष्ट्रीय बागवानी मिशन) संजीव चोपड़ा दल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस दल में संबद्ध मंत्रालयों/ विभागों के सदस्य भी शामिल हैं। केंद्रीय दल के जायजे को अधिकार प्राप्त मंत्री समूह के समक्ष पेश किया जाएगा, जो सूखे और संबंद्ध मामलों के कारगर प्रबंधन पर विचार करेगा। यह बैठक अगले सप्ताह होने की संभावना है।
चालू रबी मौसम के दौरान महाराष्ट्र भयंकर सूखे का सामना कर रहा है। इससे पहले वर्ष 2011-12 के रबी मौसम और 2012 के खरीफ मौसम के दौरान भी वहां सूखा पड़ा था। केंद्र सरकार सूखे की स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) से क्रमश: 574.71 करोड़ रूपये और 778.09 करोड़ रूपये की मंजूरी पहले ही दे चुकी है।
पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में 2012 में पूरे मानसून के दौरान कम बारिश होने से भूमि में आर्द्रता और सिंचाई के लिए पानी की कमी रही। अल्प बारिश से सूखा प्रभावित क्षेत्र की सभी सिंचाई परियोजनाएं प्रभावित हुईं। नासिक, पुणे और औरंगाबाद के तीन संभागों के सभी बांधों में पानी तेजी से कम हो गया। महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांध जायवाड़ी में पानी नगण्य की स्थिति में पहुंच गया है। अल्प बारिश और इसके परिणाम स्वरूप जल की कम उपलब्धता के कारण रबी की फसलों खासकर ज्वार की कम क्षेत्र में बुवाई की गई है। सामान्य तौर पर 58.60 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलें बोई जाती हैं, लेकिन इस वर्ष 45.27 लाख हेक्टेयर यानि 77 प्रतिशत क्षेत्र में ही बुआई हो पाई है।
फसल की कटाई संबंधी अंतिम आकलन के अनुसार खरीफ फसल के 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान वाले गांवो की कुल संख्या 7896 थी। 21 जनवरी 2013 को रबी फसल की कटाई बारे में जारी अस्थायी आकलन से पता चलता है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा के नुकसान वाले गांवो की संख्या 3905 है। कटाई संबंधी अंतिम आंकड़ो में ये संख्या और बढ़ सकती है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को निजी और सरकारी टैंकरों के जरिए पानी उपबल्ध कराया जा रहा है। पशुओं के लिए 441 शिविर लगाए गए हैं, जहां 3,39,779 पशुओं को रखा गया है।