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Saturday 12 May 2018 06:33:25 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने जिलों में सरकारी अस्पतालों में शवों के निस्तारण में लापरवाही और उपेक्षा की सूचनाओं और शिकायतों का कड़ा संज्ञान लिया है और जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को चेतावनी दी है कि जिलों के सरकारी अस्पतालों में प्राथमिकता देकर शवों का निस्तारण नहीं होने पर उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसामान्य को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के साथ-साथ अन्य मूलभूत आवश्यकता उपलब्ध कराए जाने की दिशा में अनेक बार और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। गौरतलब है कि प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने प्रत्येक चिकित्सालय पर शव वाहनों की उपलब्धता एवं उनके संचालन हेतु अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया हुआ है, तथापि ऐसी ख़बरें सुनने को मिल रही हैं जिनमें अस्पताल में किसी मरीज की मृत्यु होने पर उसके शव को परिजनों को शव वाहन के साथ उपलब्ध कराने में अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के शासनादेश के अनुसार राज्य के जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को यह पहले से निर्देश हैं कि वे शव परिवहन सेवा की सुविधा प्रत्येक जरूरतमंद को उपलब्ध कराने के दृष्टिगत अपने अधीन नामित नोडल अधिकारी के नाम और दूरभाष संख्या आदि का स्थानीय स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करें, जिससे आवश्यकता होने पर मृतक के परिजन या परिचित संबंधित अधिकारी से तत्काल संपर्क कर सकें। जनपदीय चिकित्सालयों में आपातकालीन दूरभाष संख्या को शव परिवहन सेवा के लिए भी उपयोग में लाए जाने के निर्देश हैं।
शासनादेश के अनुसार शव परिवहन सेवा का नामित नोडल अधिकारी को दायित्व सौंपा गया है, वह मृतक के परिजन को तत्काल शव वाहन उपलब्ध कराने की कार्रवाई करेंगे। यह भी उल्लिखित है कि यदि मरीज को अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उसकी मृत्यु हो जाती है तो भी मृतक के परिवार को शव वाहन उपलब्ध कराया जाएगा, मरीज की चिकित्सालय में मृत्यु होने पर चिकित्सालय उसके आवास तक तथा लावारिस शवों को घटना स्थल से चिकित्सालय, पोस्टमॉर्टम हाउस तक तथा पोस्टमॉर्टम हाउस से अंतिम संस्कार तक ले जाने में शव वाहन का उपयोग किया जाएगा। इस संबंध में स्पष्ट निर्देश है कि यदि इन आदेशों का अनुपालन किए जाने में किसी भी स्तर पर लापरवाही प्रकाश में आती है तो संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।