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Tuesday 15 May 2018 02:30:09 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ और वूमेन पॉवर लाइन 1090 में यूनीसेफ के सहयोग से होटल फारचून लखनऊ में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें किशोर न्याय अधिनियम-2015 और बच्चों से सम्बंधित प्रकरणों को हैंडल करने के तरीकों पर व्यापक विमर्श हुआ। प्रशिक्षण कार्यशाला की अध्यक्षता राज्य के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने की। कार्यशाला में लखनऊ जनपद के 7 क्षेत्राधिकार के अंर्तगत 22 थानों में नियुक्त बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों, सम्बंधित थानाध्यक्षों, क्षेत्राधिकारियों, अपर पुलिस अधीक्षकों को जेजे एक्ट 2015 के प्रावधानों और बच्चों से सम्बंधित प्रकरणों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इस अवसर पर कहा कि पुलिस अधिकारियों को बच्चों के प्रकरणों में कार्रवाई में अत्याधिक संवेदनशीलता और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, वर्तमान परिवेश में किशोरों के मुद्दे बहुत अहम हैं। उन्होंने कहा कि सभी स्टेकहोल्डरों में बच्चों से सम्बंधित प्रकरणों को नियमानुसार हैडल करने हेतु संवेदनशीलता का अभाव है, इस विषय पर पुलिस को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। पुलिस महानिदेशक ने महिलाओं और बच्चों से सम्बंधित पुलिस विभाग की यूनिटों वूमेन पॉवर लाइन 1090, महिला सम्मान प्रकोष्ठ और डायल 100 को समन्वित तरीके से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए यूनीसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञ आफताब मोहम्मद ने थानों में नियुक्त सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को सीयूजी नंबर उपलब्ध कराने का सुझाव दिया, साथ ही उन्होंने बालकों से सम्बंधित प्रकरणों पर पुलिस अधिकारियों को जानकारी प्रदान करने हेतु एक अलग हेल्पलाइन जारी करने का भी सुझाव दिया। लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेष किशोर पुलिस इकाई लखनऊ के कार्यों का उल्लेख किया और बच्चों के विकास हेतु उचित वातावरण के निर्माण में कार्य करने का आह्वान किया।
वूमेन पॉवर लाइन और महिला सम्मान प्रकोष्ठ की अपर पुलिस महानिदेशक अंजू गुप्ता ने कहा कि सभी पुलिस अधिकारियों को कानूनी दृष्टि से जेजे एक्ट-2015 की समुचित जानकारी के साथ तद्नुसार कार्य करना आवश्यक है। यूनीसेफ के स्टेट कंसल्टेंट जावेद अंसारी ने उत्तर प्रदेश में किशोर न्याय अधिनियम-2015 के क्रियांवयन की स्थिति और कार्यशाला के एजेंडे एवं प्रक्रिया के बारे में बताया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के ट्रेनर के रूपमें नई दिल्ली से आए एडवोकेट अनंत अस्थाना ने विधि विरुद्ध कार्य करने वाले बालकों की देखरेख करने और उन्हें हैंडिल करने की प्रक्रिया को केस स्टडीज़ व ग्रुप वर्क के माध्यम से प्रस्तुति दी। पुलिस को मिलने वाले अनाथ, लावारिस, गुमशुदा और त्यागे हुए बच्चों के बारे में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण कार्यशाला में विशेषज्ञों ने विभिन्न थानों के एसएचओ व बाल कल्याण अधिकारियों ने बालकों के प्रकरणों में एफआईआर, विवेचना, पेशी, रिर्पोटिंग, दस्तावेजीकरण से सम्बंधित सवालों के जवाब दिए। पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक वूमेंन पॉवर लाइन 1090, राहुल श्रीवास्तव पीआरओ डीजीपी कार्यालय, महिला सम्मान प्रकोष्ठ के स्टाफ, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला का संचालन साधना सिंह पुलिस उपाधीक्षक महिला सम्मान प्रकोष्ठ ने किया।