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Wednesday 12 September 2018 02:00:10 PM
कानपुर। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के 33वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूपमें पधारे। छात्र-छात्राओं को एक सारगर्भित संबोधन में उन्होंने कहा है कि दीक्षा यानि संस्कार गुरु से ही प्राप्त होते हैं, शिक्षक संस्कारों का देवता होता है, यह आदर्श सत्य हर छात्र को समझना चाहिए। गौरतलब है कि राजनाथ सिंह राजनीति में आने से पूर्व एक आदर्श शिक्षक रहे हैं और उनके व्यक्तित्व और संस्कारों में यह पक्ष हमेशा परिलक्षित होता है, इसलिए उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन का लक्ष्य केवल ज्ञान नहीं हो सकता, ज्ञान के अतिरिक्त हमें संस्कार चाहिएं और मन के अच्छे भाव भी चाहिए। राजनाथ सिंह दीक्षांत समारोह में शिक्षक और एक आचार्य बनकर आए थे, इसलिए उन्होंने अवसर के अनुकूल अपने ज्ञान और उद्गारों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा कि जीवन के जो श्रेष्ठ मूल्य होते हैं, उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए, केवल ज्ञान के माध्यम से मनुष्य समाज के लिए कल्याणकारी कभी नहीं बन सकता। गृहमंत्री ने छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उनसे कहा कि उपाधि पाने वाले दिन को हम दीक्षांत समारोह इसलिए कहते हैं, क्योंकि दीक्षा यानि संस्कार केवल गुरुओं से ही प्राप्त होता है, उनको यहां से मिले उच्च संस्कार उनके कर्मक्षेत्र और समाज के कल्याण के काम आने चाहिएं।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दीक्षांत समारोह में अपने विचारों के प्रकटीकरण से खूब भावनाप्रधान सम्मान अर्जित किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं के जीवन से संबंधित हर पक्ष को छुआ और हर पक्ष में उज्जवल भविष्य का एक संदेश था। उन्होंने भारतीय प्रतिभाओं की जमकर तारीफ की, उनका उत्साह बढ़ाया और उन्हें देश और समाज के विकास के उच्च मूल्यों की प्रगति के लिए निरंतर प्रगतिशील रहने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि टेक्नोलाजी का युग है, जिसमें इंटरनेट से भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है, लेकिन संस्कार इंटरनेट नहीं दे सकता, संस्कार यदि कोई दे सकता है तो केवल आपका गुरु ही दे सकता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि डिग्री हासिल करने के बाद हर युवक और युवती की हसरत एक शानदार कैरियर हासिल करने की होती है, नौकरी मिलने के बाद एक शानदार पैकेज की भी चाह होती है, यह स्वाभाविक है, लेकिन उन्होंने प्रश्न किया कि क्या जीवन में शानदार पैकेज हासिल करना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए? छात्रों के सम्मुख ज्ञान और उसकी उपयोगिता का एक ज्वलंत उदाहरण रखते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि वे 11 सितंबर 2001 को याद करें, इसी तारीख में अमेरिका में हवाई जहाज उड़ाने वाले पायलट्स ने, जिन्हें अच्छी डिग्री हासिल थी और जिन्हें वेतन का बड़ा अच्छा पैकेज भी हासिल हो रहा था, अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से हवाई जहाज टकराकर हजारों लोगों की जान लेने का काम किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि सब कुछ था उनके पास, इसलिए मनुष्य के जीवन का लक्ष्य केवल ज्ञान नहीं हो सकता, ज्ञान के अतिरिक्त हमें संस्कार भी चाहिएं, मन के अच्छे भाव चाहिएं, जीवन के जो श्रेष्ठ मूल्य होते हैं, उन मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
इंफ़ोसिस वर्सेस अल कायदा
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने छात्रों को लेखक थॉमस एल फ्राइडमैन का उदाहरण सुनाया। उन्होंने कहा कि इन्होंने एक लेख लिखा था-इंफ़ोसिस वर्सेस अल कायदा, जिसमें उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि इन दोनों जगहों पर काम करने वाले लोगों में क्या समानताएं हैं, जैसे दोनों जगह नौजवान हैं, पढ़े-लिखे हैं और दोनों ही जगह लोग अपने काम के प्रति संकल्पित भी हैं, साथ ही फ्राइडमैन ने और समानता लिखी कि दोनों का ग्लोबल नेटवर्क है। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सच्चाई को कोई नकार नहीं सकता कि इंफ़ोसिस के लिए जो काम कर रहे हैं, वो समाज के लिए कल्याणकारी है और अल कायदा के लिए जो काम करने वाले लोग हैं, वे समाज के लिए विनाशकारी हैं। गृहमंत्री ने कहा कि यह सोच का अंतर कहां से पैदा होता है? एक की भूमिका कल्याणकारी तो एक की विनाशकारी। छात्रों से राजनाथ सिंह ने कहा कि बुद्धि को प्रेरित करने का काम यदि कोई करता है तो वह मन का भाव होता है, मन के अंदर अच्छे विचार पैदा होंगे तो वे बुद्धि को सही दिशा में ले जाने का काम करेंगे, इसीलिए मनुष्य के जीवन में संस्कारों की आवश्यकता होती है। उन्होंने फेसबुक और एप्पल के संस्थापकों मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स का उदाहरण देते हुए कहा कि जो कुछ भारत के पास है, वो दुनिया में किसी के पास नहीं है, एक बार जुकरबर्ग को जॉब्स ने कहा कि यदि कभी आपका मन खराब होने लगे, आप हिम्मत हारने लगे, कोई बड़ा संकट या चुनौती तुम्हारे सामने खड़ी हो जाए तो मैं तुमको यह सुझाव देना चाहूंगा कि तुम भारत चले जाना, नैनीताल स्थित एक आश्रम में जाना, वहां एक नई ऊर्जा का संचार तुम्हारे अंदर होगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज सिलिकान वैली में काम करने वाले भारतीयों की चर्चा करते हुए हम अपने को गौरवांवित महसूस करते हैं, लेकिन चाहे मार्क जुकरबर्ग हों या स्टीव जॉब्स, उनकी आंखों में चमक पैदा करने का काम यदि किसी ने किया है तो वह भारत ने किया है, भारत के अंदर सब कुछ है, जो हमारे देश में है, वह दुनिया में कहीं नहीं है। गृहमंत्री ने कहा कि भारत की ताकत भारतीयता में है, भारत की ताकत ज्ञान-विज्ञान में है, भारत की ताकत एकजुटता में है। राजनाथ सिंह ने छात्रों से अपील की कि वे इस सच्चाई को जीवन में कभी न भूलें। हाईसेनबर्ग के अनिश्चितता के सिद्धांत की चर्चा करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि एक बार हाईसेनबर्ग के एक मित्र ने उनसे पूछा कि ये अनिश्चितता का सिद्धांत तुम्हें कहां से मिला तो हाईसेनबर्ग ने बताया कि जब मैं रविंद्रनाथ टैगोर के साथ वेदांत पर चर्चा कर रहा था, उस समय मुझे ‘प्रिंसिपल ऑफ अनसरटेनिटी’ का कांसेप्ट प्राप्त हुआ। राजनाथ सिंह ने छात्रों से कहा कि 10 गाड़ियों के काफिले में चलने से कोई महान नहीं हो सकता, हम समाज को क्या दे सकते हैं, इस सोच के साथ जीवन में अपने कदम बढ़ाने चाहिएं। देश को आर्थिकशक्ति के रूपमें उभरने पर गृहमंत्री ने कहा कि 2014 में दुनिया की शीर्ष 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत नवें स्थान पर था और अब 2018 में भारत न केवल छठे स्थान पर पहुंच चुका है, बल्कि तेजी से और आगे बढ़ रहा है। हमारी जीडीपी 8.2 प्रतिशत पहुंच गई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण होना चाहिए, जिसे जगतगुरु के रूपमें जाना जाए। गृहमंत्री ने छात्रों को बताया कि आज ही की तारीख में सन् 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना प्रख्यात भाषण दिया था। गृहमंत्री के संबोधन के पहले छात्र-छात्राओं को मेडल और डिग्री से अलंकृत किया गया। दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति और प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि यह एक रिकॉर्ड है कि 84 दिनों में यूपी के सारे दीक्षांत समारोह पूरे कर लिए गए। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि प्रदेश में परीक्षा कराने वाले केंद्र को अपने यहां सीसीटीवी कैमरे जरूर लगवाने होंगे। दीक्षांत समारोह में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के निदेशक प्रोफेसर एससी शर्मा को मानद उपाधि से अलंकृत किया। यह दीक्षांत समारोह हर उस छात्र की यादगार में रहेगा, जिसने भी राजनाथ सिंह को सुना है। राजनाथ सिंह ने भी इस समारोह को राजनीति से दूर रखकर केवल छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और उपस्थित महानुभावों के लिए यह संदेश छोड़ा कि विश्वविद्यालय जिस उद्देश्य के लिए बने हैं, वह उद्देश्य और उनकी गरिमा राष्ट्र, समाज, शिक्षा और प्रगति के लिए सदैव अक्षुण्ण रहनी चाहिए।