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कांग्रेस का घोर पाप है मधु कोडा !

दिनेश शर्मा

मधु कोडा/madhu koda

नई दिल्ली। झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया एक निर्दलीय विधायक मधु कोडा, देश में कांग्रेस की राजनीति का एक घोर पाप है, जिसका घड़ा धड़ाम से फूटा है। मायावती भी भाजपा के बाद कांग्रेस की ही करनी से फली-फूली हैं जिसने उन्हें यूपी में सब कुछ करने की खुली छूट दी और केवल मुलायम सिंह यादव को ध्वस्त करने के लिए उप्र के तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेस्वर को मायावती के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सीबीआई को इजाजत देने से रोक दिया था। शायद ऐसे ही पापों के कारण कांग्रेस बियावान में चली गई थी। उसने झारखंड में निरीह और भोले-भाले आदिवासियों पर भारी भरकम अजगर छोड़ दिए जिन्होंने झारखंड को लूट-खसोट कर उसे नक्सलियों की आग में जलने को छोड़ दिया। मधु कोडा जैसेदैत्य कभी सर न उठाते यदि कांग्रेस झारखंड में भाजपा को पटकनी देने के लिए राजनीतिक मर्यादाओं को ताक पर रख कर घटिया समझौते और तौर-तरीके अख्तियार नहीं करती। मधु कोडा के ठिकानों पर छापे में जो संपत्ति मिल रही है और जिस तरह छिपे-रूस्तमों का पता चल रहा है उससे पता चलता है कि सरकार में माफियाओं का एक बड़ा सिंडिकेट है जोकि भारी सरकारी सुरक्षा के बीच रहकर काले कारनामों को सफलतापूर्वक अंजाम देता आ रहा है।
सब
जानने लगे हैं कि काली कमाई बहुत कम लोग घर में रखते हैं। झारखंड से लूटी गई अभी न जाने कितनी और दौलत है जिसे मधु कोडा ने अपने 'गैंग' के सहयोग से ठिकाने लगाया है। उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के भी वरिष्ठ अफसरों और कुछ मंत्रियों से इस 'गैंग' से गहरे संपर्को और धंधों का राज खुल रहा है। मधु कोडा ने झारखंड का मुख्यमंत्री बनकर देश के सारे राज्यों और दुबई एवं सिंगापुर सहित कई देशों में अपने 'एजेंट' छोड़ दिए थे, जिन्होंने झारखंड में राजसुख भोगते हुए देशभर में अपने महल खड़े कर लिए। मधु कोडा से पूछताछ चल रही है और धीरे-धीरे उन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं जो मधु कोडा के लिए काम करते हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शीबू सोरेन ने भी बहती हुई गंगा में हाथ धोए हैं। उन्होंने मधु कोडा को मोर्चे का समर्थन देने और उसे जारी रखने के बदले पूरी कीमत वसूल की है इसलिए राजनेताओं में सबसे ज्यादा आरोपों के घेरे में शीबू सोरेन भी खड़े हैं। उन्हें भी झारखंड के चुनाव में जाना है लेकिन उनके अरमानों पर 'मधु कोडा गैंग' का ग्रहण लग गया है। शीबू ही इसके लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं कि उन्होंने मधु कोडा को मुख्यमंत्री बनवाने में मोर्चे का समर्थन देकर उसकी मदद की और कांग्रेस इसलिए जिम्मेदार मानी जाती है कि उसने राजनीतिक परंपराओं और मूल्यों को दर किनार कर एक ऐसे निर्दलीय विधायक को मुख्यमंत्री बनने दिया जो संयोग मात्र से विधायक बना था और जिसकी पृष्ठभूमि किसी भी रूप में इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त नहीं थी। ध्यान रहे कि कांग्रेस ने ही उस वक्त मधु कोडा को आगे किया था। मात्र भाजपा को सत्ता में न आने देने के लिए उसने उसे मुख्यमंत्री बनवा दिया। मधु कोडा की संपत्तियों का खुलासा होने पर पता चला है कि उसने झारखंड में किस प्रकार डकैती डाली हुई थी और यह भी कि ऐसा हो नहीं सकता कि उसमे कांग्रेस के नेता भी शामिल न हों।
झारखंड
एक नवजात राज्य कहलाता है। आदिवासियों की मांग और भावनाओं पर आधारित, सामाजिक भाषाई भौगोलिक सांस्कृतिक और अपार खनिज संपदा से समृद्धशाली बिहार के इस इलाके ने झारखंड राज्य का नाम पाया था। राज्य के रूप में अस्तित्व में आते ही इसे कई अजगरों ने एक साथ घेर लिया और इसे राजनीतिक अस्थिरता की आग में धकेल दिया। हालात ये हैं कि राजनीतिक दलों के होते हुए मधु कोडा जैसे निर्दलीय विधायक को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। राजनीतिक असहमति और अवसरवादी कपट की हद देखिए, जिसका अंत झारखंड में राष्ट्रपति शासन के रूप में सामने आया। सच पूछिए तो झारखंड के आदिवासियों ने शीबू सोरेन में अपनी संस्कृति और धरा के विकास के जो हसीन सपने देखे थे, जिनको पूरा करने के लिए उनके पीछे खड़े होकर उन्होंने न जाने कितनी कुर्बानियां दीं, उन शीबू सोरेन ने न केवल अपने नए राज्य को निराश किया बल्कि अपने छद्म कुकर्मों से आदिवासी समाज को कलंकित भी किया है। इन जैसो के कारण ही मधु कोडा जैसे राजनीतिक कलंक झारखंड की राजनीति में उतरे। यहां ऐसे अजगरों की और उनके झारखंड विरोधी कृत्यों की एक श्रंखला खड़ी हो गई है। कोई ऐसा नहीं है, जिसने यहां अपनी बारी पर गुल न खिलाए हों।
यहां
के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी को ही ले लें। उनका नाम भी झारखंड की 'लूट' में सामने आया है। उनके निजी स्टाफ के यहां भी इसी तरह के छापे पड़ चुके हैं। कारण चाहे जो भी हों लेकिन इस सवाल का माकूल जवाब कांग्रेस के पास नहीं है कि यदि सिब्ते रजी इतने ही पाक-साफ हैं तो उन्हें यहां से हटाकर दूसरे राज्य में क्यों भेज दिया गया? कुल निचोड़ यह है कि वे भी
झारखंड में रहकर करोड़ों की हैसियत से कम नहीं माने जाते हैं। उनको लेकर एक बार नहीं बल्कि कई बार उंगलियां उठी हैं, लेकिन कांग्रेस के मैनेजरों ने बेशर्मी से उन उंगलियों को तोड़ दिया। शीबू सोरेन तो झारखंड की धरती से आए हैं,  इस राज्य को बनवाने के लिए उन्होंने इसीलिए आंदोलन किए थे? उनसे उम्मीद थी कि वे विकास और राजनीतिक दृष्टिकोण से झारखंड को संभालेंगे लेकिन उनकी पूंछ उठाई तो वे मादीन ही निकले। भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने जरूर कुछ कोशिश की थी लेकिन वे कांग्रेस की राजनीति और साजिशों का शिकार हो गए और आपस में लड़ मरे। वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के परवान चढ़ते ही अहंकार से भर गए और भाजपा को भूलकर अपने को देश का नेता समझ बैठे। यदि भाजपा में यह विकृति न आई होती तो झारखंड में भाजपा भी रहती और राजनीतिक स्थिरता भी।
मधु कोडा
हो या शीबू सोरेन या हों सिब्ते रजी ये सभी और इन जैसे और भी देश के खिलाफ कांग्रेस के घोर पापों की उपज हैं जिन्हें आज देश भोग रहा है। इसीलिए इन दशकों में कांग्रेस देश पर राज करते-करते देश के अधिकांश राज्यों की सत्ता से बाहर हो गई और आज देश को गठबंधन की राजनीति के सहारे चला रही है। हरियाणा में देख लीजिए वहां कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अत्यधिक आत्मविश्वास में बहुमत के मुग़ालते में रही और सत्ता के बहुमत से पिछड़ गई। यहां तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित प्रदेश के कई दिग्गज जुटे हुए थे। हरियाणा में यह अस्थिरता अब कभी भी गुल खिला सकती है। महाराष्ट्र में कांग्रेस दूसरो के भरोसे ही चल रही है। वहां कोई भी अपनी सीढ़ी हटा ले तो कांग्रेस फिर बियावान में चली जाएगी। उत्तर प्रदेश में लोकसभा में कांग्रेस को जो सफलता मिली है वह इसलिए नहीं मिली कि लोग कांग्रेस को पसंद कर रहे हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि यूपी की जनता मायावती मुलायम और भाजपा को भी भोग और देख चुकी है, वह इनसे कतई खुश नहीं है, इस कारण उसने अपने घोर प्रतिक्रियावादी भाव में कांग्रेस को लोकसभा में मतदान किया और उसे आशा से अधिक सफलता दिलाई।
झारखंड
में चुनाव घोषित हो चुके हैं और मधु कोडा को आयकर विभाग और सीबीआई ने घेर लिया है। आयकर के प्रवर्तन निदेशालय को मधु कोडा के 'गैंग' पर छापा मारने पर अच्छी सफलता मिली है। झारखंड की जनता को भी समय रहते पता चल गया है कि कांग्रेस ने झारखंड में भाजपा को पटकनी देने और उसे सत्ता से दूर रखने के लिए जिस व्यक्ति को राज्य का मुख्यमंत्री बनवाया था वास्तव में वह एक लुटेरा था जो शीबू सोरेन और देश भर में स्थापित एक 'माफिया सिंडिकेट' के साथ झारखंड की संपदा को लूटता बेचता और विदेशों में पहुंचाता रहा। वह झारखंड को और ज्यादा लूटता अगर उसका मधु कोडा से लूट के धन के बंटवारे को लेकर शीबू सोरेन से झगड़ा नहीं हुआ होता और वहां के और भी विधायकों में कोडा के काम को लेकर नाराज़गी पैदा नहीं हुई होती। कांग्रेस ने वहां पर भाजपा की सरकार बनते देख राजनीति की अर्थी निकालकर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जिसमें कांग्रेस के दूसरे नेता के मजे आ गए और उन्होंने भी वही काम किया जो मधु कोडा और शीबू सोरेन कर रहे थे। मधु कोडा फिर से ताक में थे कि झारखंड में फिर से राजनीतिक अस्थिरता को पहले की तरह से भुनाया जाए। इस बार उन्होंने इसके लिए काफी धन बल की शक्ति हासिल कर ली थी लेकिन एक छापे ने ऐसे समय पर खेल बिगाड़ दिया है जब झारखंड में चुनाव की घोषणा भी हो गई है। निश्चित रूप से भाजपा को कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शीवू सोरेन को चुनाव में घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।
मधु कोडा
के यहां छापों में जो प्रारंभिक खबरें आई हैं उन्होंने देश को चौंका दिया है। आयकर विभाग के अधिकारी हैरान हैं ‍कि इतनी संपत्ति किस प्रकार से इकट्ठी की गई है। आयकर विभाग ने हवाला लेनदेन और अवैध निवेश मामले में मधु कोड़ा और उनके सहयोगियों की संपत्तियों को सील करने की कार्रवाई की है। कर अधिकारियों ने कहा है कि कुछ स्थानों पर तो संपत्ति के मालिक ही नहीं मिल सके हैं। कोड़ा के खिलाफ तलाशी का काम शनिवार को शुरू हुआ था और देश भर में अब तक करीब 75 परिसरों की तलाशी ली जा चुकी है। आयकर अधिकारियों ने बताया कि तलाशी के समय बड़ी संख्या में अकूत दौलत के दस्तावेज प्राप्त हुए हैं और उनको भी देखा जाना है। आयकर विभाग का दावा है कि दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, लखनऊ, नासिक, रांची, चाईबासा और जमशेदपुर में तलाशी के दौरान दो हज़ार करोड़ रुपए के हवाला सौदों और अवैध निवेश के सबूत मिले हैं।

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