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लखनऊ।विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे चौधरी राजेंद्र सिंह के पुत्र और उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह लखनऊ के अपने पिता के निजी बंगले 8 माल एवेन्यू को मुख्यमंत्री मायावती के कब्जे से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक समय यह बंगला पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह का भी निवास हुआ करता था। बदकिस्मती से यह बंगला माल एवेन्यू में मायावती के बंगले से लगा हुआ है और मायावती की भूमि-बंगले कब्जाओ भूख की चपेट मे आया हुआ है। सुनील सिंह इस बंगले को या इसकी जमीन के हिस्से को किसी को भी देने को तैयार नहीं हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह और प्रमुख सचिव शैलेश कृष्ण ने इस बंगले की कुछ जमीन लेने के बहाने बंगले को मायावती के बंगले में मिलाने के लिए सुनील सिंह पर हर तरह से दबाव बना रखा है। मामला काफी दिन से चल रहा है लेकिन जब पानी सर से उतरा तो सुनील सिंह ने न केवल इन दोनो अधिकारियों से अपनी बात-चीत को अपनी विधिक सुरक्षा की दृष्टि से टेप कर लिया अपितु उसे मीडिया के सामने सार्वजनिक भी कर दिया। समाजवादी पार्टी ने सुनील सिंह की बंगले की लड़ाई अपने हाथ मे ले ली है और मायावती को भूमाफिया कहते हुए उनके इन दोनो अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सुनील सिंह इस समय स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र अलीगढ़ से विधान परिषद के सदस्य हैं और लखनऊ मे इस बंगले मे रहते हैं। आपातकाल और जनता पार्टी शासन में यह बंगला दिग्गज नेताओं की राजनीतिक बैठकों का अड्डा हुआ करता था। चौधरी चरण सिंह भी इस बंगले में रहे हैं उनके बाद उनके ख़ास शिष्य और भारी भरकम नेता चौधरी राजेंद्र सिंह को रहने के लिए मिला जिसे बाद मे उन्होंने खरीद लिया। माल एवेन्यू का यह ऐसा बंगला है जो मायावती के महल की शान मे टाट के पैबंद की तरह है। उनके पंचम तलीय अधिकारियों ने मायावती के सामने जिम्मेदारी ले ली कि वह इस बंगले को भी उनके बंगले में मिला देंगे और यह भी चुटकी का काम है। मायावती के सामने कोई ऐसे वादे करे तो निश्चित रूप से वह उनका अत्यन्त कृपा-पात्र ही बना रहेगा। कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह ने सोचा होगा कि एमएलसी सुनील सिंह से वे उनका बंगला या उसकी जमीन ले लेंगे लेकिन यह पासा उल्टा पड़ गया है। इसको लेने के लिए जिस प्रकार का दबाव बनाया है वह रिकार्डिंग सुनकर समझा जा सकता है। शशांक शेखर सिंह सुनील सिंह को इस पर किस प्रकार से बात-चीत के लिए दबाव बना रहे हैं बंगले के अधिग्रहण की भी इशारे-इशारे में धमकी दे रहे हैं वह बिल्कुल स्पष्ट है।
इस टेप मे सबसे अहम बात यह है कि प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री शैलेश कृष्ण बड़े ही आत्म विश्वास से कोर्ट की बेंच बदलने की बात कर रहे हैं जिससे लगता है कि किसी स्तर पर कोर्ट को मैनेज किया हुआ है और कोर्ट में या उसके बाहर उनके पास कोई ऐसा है जो इतना शक्तिशाली है कि किसी भी कोर्ट में कुछ भी कर सकता या करा सकता है। दूसरी मुख्य बात यह है कि शैलेश कृष्ण की गिनती अभी तक उन प्रशासनिक अधिकारियों में होती रही है जो बहुत गंभीर और सुलझे हुए अफसर और अपने पेशे के प्रति ईमानदार हैं। लेकिन इस टेप में उनका जो रूप सामने आया है वास्तव में वह उससे बिल्कुल भिन्न है। इसलिए यहां यह एक विचारणीय प्रश्न है कि उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अपने से क्यों अचानक अलग किया था और दूसरे मुख्यमंत्री मायावती के प्रमुख सचिव के पद से वे इसी काल खंड में एक बार क्यों हटाए गए थे और फिर कुछ समय बाद इसी पद पर कैसे वापस आ गए? क्या शैलेश कृष्ण भरोसेमंद अफसर नहीं हैं? समाजवादी पार्टी ने इस टेप की सच्चाई की सीबीआई जांच की मांग की है। इस टेप में सुनील सिंह एमएलसी, शशांक शेखर सिंह और शैलेश कृष्ण इन तीनो की बंगले को लेकर वार्तालाप क्या है, इस टेप की सीडी स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम के पास भी है। उसका हू-ब-हू विवरण यह है-
हैलो...
सुनील सिंह एमएलसी: हैलो,जी भाई साहब जी,
कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह: जी भाई साहब कैसे हैं दिवाली मुबारक..,
सुनील सिंह: बहुत बहुत मुबारक हो दिवाली भाई साहब, मैं माफी चाहता हूं आपका सीधा नंबर नहीं था नहीं तो मैं सीधा आपको बधाई देता मैं आपको।
शशांक: अरे नहीं भाई साहब आप बताइए कब आ रहे हैं कब दर्शन हो रहा हैं?
सुनील सिंह: भाई साहब मेरी तो भाई साहब से बात हो गई थी ..जी शैलेश जी से तो मैंने बताया की मेरी मिटिंगे लगी हैं अलीगढ़ में कई तो मैने कहा कि मैं दो तीन दिन बाद आता हूं लखनऊ मिल लेता हूं भाई साहब से।
शशांक: तो तय कर लो ना, हमारा तो ऐसा ही होता है हम कहीं गायब ना हो जाए।
सुनील सिंह: नहीं नहीं आप तो बहुत बिजी हैं मैं खुद जान रहा हूं।
शशांक: भाई साहब ये बता दो आप किस दिन यहां आ रहे हो बताओ।
सुनील सिंह: भाई साहब मैं बृहस्पतिवार को मेरा ख्याल क्या है 22, 23, 24 तारीख को। चौबीस को आ जाऊं?
शशांक: 24 को,
सुनील सिंह: जी भाई साहब,
शशांक: अच्छा उससे पहले नहीं होगा?
सुनील सिंह: भाई साहब 24 को मीटिंग है, थोड़ा इधर उधर हूं उससे पहले मैं आ तो जाउंगा पर मेरा ख्याल है थोड़ा सा टाइम मिल जाता तो
शशांक: 23 को नहीं 24 को तो मैं दिल्ली जाउंगा सुबह
सुनील सिंह: अच्छा तो दिल्ली में मिल लूं आपसे आप कहिए तो
शशांक: अरे ....दिल्ली में नहीं वहां पागल खाना है
सुनील सिंह: अच्छा अच्छा नहीं नहीं आप कहिए तो, 23 को एक्चुली मेरा लास्ट है वहां पर उसके बाद आप जहां कहिए मैं आ जाता हूं
शशांक: अच्छा
सुनील सिंह: जी भाई साहब 24 के बाद आप जहां कहेंगे मैं आ जाता हूं मिल लेता हूं आकर आपसे
शशांक: अच्छा ऐसा है तो फिर 24 को सुबह रख लेते हैं उसके बाद कुछ चेंज होगा तो बात कर लेंगे।
सुनील सिंह: अच्छा ठीक है भाई साहब, माफी चाहता हूं भाई साहब मुझे अच्छा नहीं लग रहा ऐसा कहते हुए। मैं भाई साहब से भाई साहब मैं बता रहा था मैने कहा कोई और रास्ता हो तो भाई साहब निकाल लो
शशांक: भाई साहब देखो, देखो ऐसा है कि आप ये जान लो कि जिंदगी में, जैसा मैंने उस दिन कहा था, जी भाई साहब, ये आखिरी रिजल्ट् होगा, होगा तो,
सुनील सिंह: भाई साहब आप मेरे बड़े भाई बैठे हो मैं बता दूं आपको, जी भाई साहब,
शशांक: इन्होंने बहुत कोशिश की मुझे इधर को उधर को वो मामला कॉम्पलीकेटेड होता चला गया, वो मामला कोर्ट को चला गया, होगा वो भी, ..कोर्ट से होगा इससे उससे, क्योंकि वो प्रापर्टी होती हैं उसमें दुनिया भर की चीजे उसमें थी..
सुनील सिंह: जी भाई साहब.... जी जी
शशांक: उसमें 4से 17 हो भी नहीं सकता पर खैर वो मामला चल रहा है....कोर्ट ने नोटिस दिया है
सुनील सिंह: जी भाई साहब
शशांक: तो भाई साहब इसमें मिनिमम काम करेंगे आपको तकलीफ नहीं होने देंगे।
सुनील सिंह: भाई साहब, आपका तो खुद मेरे पे मैं क्या बताऊं। इसिलिए मैं मेरे पास जब आप बैठते तो मेरे पास शब्द नहीं होता मेरा बड़ा भाई बैठा है तो मैं क्या कहूं मेरे पास शब्द ही नही होता
शशांक: आएंगे तो बात हो जाएगी
सुनील सिंह: मैं कह रहा था भाईसाहब से कह रहा था परिवार से ही बात कर लो मेरे तो परिवार में भी रजामंदी नहीं है मैं कैसे करूं
शशांक: मैं ये नहीं चाह रहा था कि एक परसेंट भी..और कोई बात नहीं
सुनील सिंह: भाई साहब मैने वही
शशांक: मैं एक बात बता दूं आपको इसमें पूरी वो करेंगे .....अभी भी लगे हुए हैं ऐसी बात नहीं है ऐसी बात नहीं है की कोशिश में नहीं हैं
सुनील सिंह: भाई साहब आप बैठे हैं तो मुझे उसकी कोई दिक्कत नहीं है
शशांक: आप जानिए इसिलिए हमने कहा की उसको बाद में डिसटर्ब करेंगे पहले ये देख ही ले
सुनील सिंह: भाई साहब अब मैं क्या बताऊ आप से मेरे क्या रिलेशन है आपसे और आपके क्या संबंध है हमारे परिवार से हैं
शशांक: आप क्या सोचते हैं मुझे कितना कष्ट हो रहा है फोन ही करने के लिए
सुनील सिंह: मैं आपके सामने एक शब्द बोल भी नहीं सकता मैं क्या कहूं आपसे, इसलिए उस दिन भी मैने कुछ नहीं बोला मैंने कहा मेरा बड़ा भाई मेरे सामने बैठा है मैं क्या बोलू मेरे पास शब्द नहीं है। भाई साहब मैं मिल लेता हूं लेकिन भाई साहब कोई और रास्ता प्लीज निकाल लो हमारे आपके मैं क्या बताऊं, आपके रहते हुए कुछ ऐसा हो तो
शशांक: मैं लगा हूं मैं लगा हूं आपको कष्ट नहीं होने दूंगा
सुनील सिंह: प्लीज भाई साहब,
शशांक: मुलाकात कर लो
सुनील सिंह: मुलाकात ..भाई साहब मैंने परिवार में भी बात करी सब कहते हैं तुम क्या बात करते हो क्या बात कर रहे हो
शशांक: आप आईए तो, आप आईए तो
सुनील सिंह: मैं मिलता हूं 24 तारीख को आपसे, भाई साहब मैं माफी चाहता हूं अगर कोई..
शशांक: नहीं नहीं
सुनील सिंह: अगर आपका आदेश हो तो मैं कल रात को ही आ जाऊ आप कहिए, तो
शशांक: 24 को ही आईए
सुनील सिंह: जी भाई साहब बहुत बहुत धन्यवाद।
(सुनील सिंह की प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री शैलेश कृष्ण से वार्तालाप)
एमएलसी सुनील सिंह की आवाज़: हां भाई साहब नमस्ते।
अरे एक्चूली (मोबाइल) चार्ज में लगा दिया था फिर इधर उधर रहा तो मैंने अभी अभी देखा आपके मिसकॉल पड़े हैं तो मैंने कहा भाई साहब बात करता हूं जी भाई साहब ये था कि हमें शेखर जी से मिलना है हमें कैसे क्या क्या करना है बताइए
प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री शैलेश कृष्ण: शेखर जी से मिलना था
सुनील सिंह: मैं ये चाह रहा था कि अगर मायावती से ही अगर मुलाकात हो जाए तो अगर करवा सकें तो मैं ही रिक्वेस्ट कर दूं रिक्वेस्ट करें तो कि हमें घर पर छोड़ दें ऐसा कुछ हो जाए तो
शैलेश कृष्ण: उनसे बात कर लीजिएगा, पहले बात तो उनसे ही करनी पड़ेगी
सुनील सिंह: शेखर साहब से
शैलेश कृष्ण: हां हां
सुनील सिंह: अच्छा मैंने कहा कि आता जाता हूं ... भी है रात में मैं ये चाह रहा था कि अगर मायावती जी से ही बात हो जाए तो ये हमारा घर है हम पुराने पड़ोसी हैं। जो भी कुछ है अगर हमें बख्श दें तो बेहतर है
शैलेश कृष्ण: वो चीज तो उनसे कहने से फायदा नहीं है
सुनील सिंह: हम तो मायावती जी से रिक्वेस्ट करेंगे ना मेरा ख्याल है कैबिनेट सेक्रेट्री साहब भी इसमें कुछ नहीं कर पाएंगे ये काम तो हम और मायावती चूंकि एक ही हाउस के मेंबर हैं, दो चार मुलाकात हम लोग इस बारे में कर लें कितना चाह रहे हैं ऐसा कुछ हो जाए छोड़ना पड़ जाए। हम रिक्वेस्ट ही कर सकते हैं और हमारे हाथ में क्या है इसके अलावा
शैलेश कृष्ण: एक काम आप कर लीजिए। अभी कैबिनेट सेकरेट्री से उनके घर पे मिल लीजिए
सुनील सिंह: उनके घर पे, कहां पर है भाई साहब मुझे पता नहीं है बता दीजिए
शैलेश कृष्ण: राजभवन में है, राजभवन में अच्छा अच्छा, राजभवन कॉलोनी है उसमें जैसे ही आप एन्टर करेंगे अंदर जाकर जो राइट से सड़क मुड़ती है उसमें पहला मकान है किसी से पूछ लेंगे आपको पता चल जाएगा
सुनील सिंह: जी जी भाई साहब ठीक है मैं उनसे वहां मिल लेता हूं उनसे पर मैं ये उनसे यह चाह रहा था भाई साहब मैं क्या बताऊं हमारे परिवार में सहमती नहीं है मैं अकेला कोई डिसीजन ले नहीं सकता। अगर चाहूं भी तो डीसीजन ले नहीं सकता।
शैलेश कृष्ण: हां हां
सुनील सिंह: मैं तो चाह रहा हूं कि अब कॉपरेट करूं लेकिन मैं कर क्या कसता हूं ऐसी हालत में। इतना पुराना हमारे मां बाप का लिया घर है मैं क्या कहूं आपको आप बुलाते हो मैं आपके सम्मान में आता हूं। लेकिन दिक्कत ये है कि इस बारे में मैं डिसीजन ले भी नहीं सकता मायावती जी से ही रिक्वेस्ट कर लूं
शैलेश कृष्ण: लेकिन मकान वकान लेने का कोई इश्यू ही नहीं थोड़ा खाली एक थोड़ा सा सलाइस ऑफ लैंड है
सुनील सिंह: नहीं भाई साहब सा सलाइस ऑफ लैंड भी है तो है तो लैंड मकान से ही संबंधित है चाहे वह हजार गज हो दो हजार गज हो बात तो अल्टिमेट मकान पर आती ही है। फैमिली का हमारा है। अगर मकान की लैंड भी जाती है तो..जो इतना पुराना स्ट्रक्चर है हमारा जो इमोशनल अटेचमेंट है वो कैसे होगा।
शैलेश कृष्ण: स्ट्रक्चर वैगैरह लेने का कोई मतलब नहीं
सुनील सिंह: स्ट्रक्चर तो आपने बताया मुझे पर लैंड तो हमारी जाएगी तो हमारी अटैचमेंट तो पूरा है उसमें ना
शैलेश कृष्ण: लैंड पूरा भी नहीं है थोड़ा सा है पोरशन
सुनील सिंह: भाई साहब जैसे 20 फूट के हिसाब से आता है 2 हजार गज वैसे ही निकल जाएगा तो अगर टोटल मकान ही 4 हजार गज का है तो 2 हजार गज का तो आधा मकान ऐसे ही निकल जाएगा तो बचेगा क्या उसमें
शैलेश कृष्ण: नहीं मकान का एरिया वो तो देखने से ही पता चल जाएगा पूरा
सुनील सिंह: जी जी
शैलेश कृष्ण: मेरे ख्याल से एरिया और ज्यादा है
सुनील सिंह: नहीं नहीं मेरे ख्याल से 7 साढ़े 7 हजार होगी जो भी हो कुछ है काफी हद तक पुराना हम लोगों का बनाया हुआ। अब अगर देखिए पार्किंग मान लीजिए पार्किंग नहीं रह पाई तो एक तरीके से मान लीजिए हमारे घर के पीछे कारों का काफिला रहेगा हम रहेंगे कैसे आप ही सोचिए कारे रोज निकलेंगी हम कैसे रह पाएंगे।
शैलेश कृष्ण: हम आठ दस फीट की वॉल बनवा देंगे
सुनील सिंह: नहीं नहीं वॉल तो आप बनवा देंगे लेकिन दिक्कत इस बात की है कि जो हम लोग वहां रहेंगे अगर सुबह शाम पचास गाड़ियां बीस गाड़ियां भी वहां रही तो मतलब रहना दूभर हो जाएगा हमारा इस तरह से
शैलेश कृष्ण: वो तो...सेपरेट होगा वो आप के घर से कनेक्टेड होगा ही नहीं वो तो बिल्कुल आउट मतलब बाहर हो जायेगा एरिया।
सुनील सिंह: चलिए मैं ऐसा करता हूं कि साहब आप भी आकर थोड़ा देख्ा ले..तो मौके पर ही आकर देख लें। प्रैक्टिकल मुझे पॉसिबल दिखायी नहीं दिया। रहने के बाद हमारे लोगों ने कहा कि तुम क्या चाह रहे हो ये तो हो ही नहीं सकता। कैसे बात कर रहे हैं। तो एक बार ऐसा कर लीजिये
शैलेश कृष्ण: जी चूंकि आप जा रहे हैं नहीं तो हम कल देख लेते।
सुनील सिंह: जी जी भाई साहब दो तीन दिन में आता हूं मैं आपसे बात करके।
शैलेश कृष्ण: तो आप एक बार आ जाइये तो उसके बाद मैं जैसा भी होता है
सुनील सिंह: एक और देख लेते हैं चूंकि कोई रास्ता मुझे समझ में नहीं आ रहा है, क्योंकि भाई अब मैं क्या करूं...नहीं मेरा पूरा परिवार टूट जायेगा।
शैलेश कृष्ण: तो एक काम कर लीजिये भाई साहब जी भाई साहब आप जा रहे हैं नहीं तो हम कल देख लेते आपके साथ
सुनील सिंह: जी जी भाई साहब
शैलेश कृष्ण: लेकिन आप कल रूक ही नहीं सकते।
सुनील सिंह: जी जी हां मैं कल परसों में नहीं उसके बाद आ जाऊंगा
शैलेश कृष्ण: अच्छा कल परसों बाद आ जाएंगे
सुनील सिंह: जी भाई साहब
शैलेश कृष्ण: जी भाई साहब एक रिक्वेस्ट थी कि कैबीनेट सेक्रेटरी से भी मिल लें
सुनील सिंह: तो मैं कैबीनेट सेक्रेटरी से मिल लेता हूं। और बस ये है कि थोड़ा सा भाई साहब अब हमारी तरफ से...मायावती को आप ही समझाओ आप नहीं समझाओ तो हम मिलने आएं हमारी मुख्यमंत्री हैं वो हमारे स्टेट की तो अगर हम क्या करें और इससे ज्यादा क्या कर सकते हैं और हमारे हाउस की भी है, तो अब करें क्या मतलब
और इससे ज्यादा क्या करूं मैं, उनसे बख्शिस मांगने से ज्यादा और तो कोई बात नहीं और क्या करें
शैलेश कृष्ण: वो घर हम लोगों ने वैसे ही छोड़ी है
सुनील सिंह: और अभी वहां पर उधर भी बात चल रहा है ऐसा नहीं है।
शैलेश कृष्ण: लेकिन उन लोगों को थोड़ा सा गुमान यह है कि वो कोर्ट से बची रहेंगी, वो बैंच भी बदल जाएगी 27 को वो अपने आप ठीक हो जाएगा मामला
सुनील सिंह: पर क्या अगर बैंच बदल जाने से मान लीजिए कोर्ट का डिसीजन नहीं बदला तो फिर हम ही आएंगे ना तो फिर इस तरफ वो हैं इस तरफ हम हैं
शैलेश कृष्ण: वो तो हम लोग पर छोड़ दीजिए ना
सुनील सिंह: नहीं नहीं वो ठीक है ना भाई साहब। नहीं नहीं भाई साहब कोर्ट का मामला, बैंच बदल जाएगी पता नहीं क्या मेरी तो आपसे रिक्वेस्ट है कि कोर्ट में जो कुछ भी हो आप हमारे बैठे हैं। अगर कोर्ट में आप कर ले हो जाएं तो बहुत ही अच्छा है।
शैलेश कृष्ण: कोर्ट से थोड़ा प्रेसर बन जाएगा
सुनील सिंह: जी जी
शैलेश कृष्ण: अभी असल में प्रेशर नहीं बन पा रहा है उधर
सुनील सिंह: जी जी
शैलेश कृष्ण: वो 27 के बाद हो जाएगा। तब तक आप इनसे बात कर लेंगे जब दुबारा आएंगे तब हम आपके घर चल चलेंगे।
सुनील सिंह: ठीक है भाई साहब 27 के बाद बैंच बदल रही है क्या?
शैलेश कृष्ण: हां हां
सुनील सिंह: अच्छा अच्छा मतलब उसके बाद उम्मीद है कि वहां से बन जाएगी बात
शैलेश कृष्ण: उम्मीद है हम लोग पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। क्योंकि हम लोगों के लिए ज्यादा यूजफुल है इधर वाला
सुनील सिंह: जी जी
शैलेश कृष्ण: आपका ज्यादा यूजफुल नहीं है हम लोगों के लिए
सुनील सिंह: हां हां उधर तो मेन रोड पड़ती है
शैलेश कृष्ण: उधर मेने रोड आ जाती है लेकिन उसके अलावा वहां लैंड ज्यादा है
सुनील सिंह: लेकिन भाई साहब हो जाए अगर कोर्ट से आपका तो आप लोग तो सक्षम हैं कोर्ट से करा सकते हैं तो हम जैसा आदमी कहां कोर्ट का चक्कर लगाए
शैलेश कृष्ण: हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कुछ ऐसा हो जाए वकील वकील कुछ ऐसे हो जाएं। निकल आए रास्ता
सुनील सिंह: जी
शैलेश कृष्ण: तो वो देखेंगे खैर। वो तो 27 के बाद पता चल जाएगा। लेकिन इधर बातचीत करने में आपको कोई दिक्कत नहीं है। इधर तो कैबिनेट सेक्रेटरी से तो बात कर ही सकते हैं
सुनील सिंह: जी भाई साहब उनसे तो मैं मिल लेता हूं बाकि अगर कोर्ट की बैंच बदल जाए तो
शैलेश कृष्ण: वो कुछ हो जाए तो भाई साहब कर लेंगे, वो अपने तक रखिएगा
सुनील सिंह: अपने तक रखूंगा भाई साहब जी जी
शैलेश कृष्ण: ठीक है भाई साहब नमस्कार
सुनील सिंह: नमस्कार