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Friday 16 November 2018 06:07:04 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने आज डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ के अटल प्रेक्षागृह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की स्मृति में जस्प्रुडेंशिया संस्था की ‘महिला सशक्तिकरण एवं लिंग समानता’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि महिला सशक्तिकरण एवं लिंग अनुपात के लिए सरकार एवं समाज के स्तर से क्या हो रहा है, वह ठीक है, पर मैं क्या कर रहा हूं, यह सवाल स्वयं से पूछें। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता से महिलाओं को सम्मान और सहभागिता दोनों मिल सकती है, आधी आबादी के सशक्तिकरण के लिए हम क्या कर सकते हैं, इसपर विचार करते हुए आगे बढ़ने का संकल्प लें। राज्यपाल ने बताया कि महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से उन्होंने वर्ष 1991 में लोकसभा में निजी विधेयक के रूपमें स्तनपान प्रोत्साहन और शिशु आहार विज्ञापन पर प्रतिबंध विषयक विधेयक चर्चा हेतु लाया था, जो 29 दिसम्बर 1992 को लागू हुआ।
राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि इसी प्रकार विपक्ष में रहते हुए उन्होंने दुनिया में पहली महिला लोकल का संचालन मुंबई में करवाया और मछुवारी महिलाओं की सहायता के लिए लोकल ट्रेन कंपार्टमेंट में सुबह 3 घंटे आरक्षित करवाने का कार्य किया। राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं के लिए केवल शिक्षा नहीं, बल्कि उच्चशिक्षा प्रदान करके समर्थ बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुरुष और महिला समाज के दो महत्वपूर्ण घटक हैं, दोनों घटक सशक्त होंगे तभी विकास होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण में स्वयं की भागीदारी सुनिश्चित करें। राम नाईक ने कहा कि वे 28 विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और महिला शिक्षा के प्रति दीक्षांत समारोह में नया चित्र देखने को मिल रहा है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि वर्ष 2016-17 के शैक्षणिक सत्र में 26 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में 15 लाख से अधिक विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई थी, जिनमें 51 प्रतिशत छात्राओं को उपाधि मिली थी, लगभग 66 प्रतिशत छात्राओं को उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पदक भी दिए गए थे। इस वर्ष 2017-18 में 28 विश्वविद्यालयों में से 26 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह होने हैं, जिनमें से अबतक 25 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि 25 विश्वविद्यालयों में उपाधि प्राप्त छात्राओं का प्रतिशत 56 रहा है, इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जो ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जो ‘सर्व शिक्षा अभियान’ प्रारम्भ किया गया था, अब वह वट वृक्ष का रूप ले चुका है और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने इसका विस्तार किया है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत में वैदिककाल से अनेक विदुषी नारियों का योगदान रहा है। उन्होंने मैत्री, गार्गी, झांसी की रानी, बेगम हज़रत महल, प्रथम राज्यपाल सरोजिनी नायडू और प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी उद्धृत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ग्रंथों में कहा जाता है कि जहां नारी को मान्यता मिलती है, वहां देवों का वास होता है। उन्होंने कहा कि भारत में वर्ष 1951 में पुरुषों की साक्षरता दर 27.16 प्रतिशत थी, वहीं महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 8.86 थी, वर्ष 2011 में पुरूषों की साक्षरता दर 82.14 प्रतिशत तथा महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में उच्चशिक्षा में बालिकाओं की बढ़ते कदम देखकर विश्वास है कि वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना में अधिक अच्छा चित्र देखने को मिलेगा।
राज्यपाल ने कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, जबकि पूर्व में शिक्षित महिला के लिए केवल शिक्षिका या नर्सिंग की सेवा होती थी। उन्होंने कहा कि इतनी प्रगति के बावजूद भी रोज के समाचार पत्रों में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध देखकर दुःख होता है, यह विकृति कैसे समाप्त हो, इसपर विचार करके रोकने का संकल्प लें। उत्तर प्रदेश सरकार में महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री डॉ रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है, जिसमें बदलाव युवा ही ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में कानून है, पर जागरुकता की कमी है, महिलाएं सभी सामान्य मानव अधिकार की हकदार हैं और महिलाएं अपना हक जानें। उन्होंने कहा कि बेटियों में आत्मविश्वास पैदा करने से बेटियां आगे बढ़ेंगी, यह शुरूआत हर परिवार से होनी चाहिए।
डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रवीर कुमार ने कहा कि देश की आधी आबादी को न्यायोचित स्थान और सहयोग मिलना चाहिए तथा शिक्षा ही महिलाओं को सक्षम और समर्थ बना सकती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक और कानूनी बदलाव से महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है। जस्प्रुडेंशिया के अध्यक्ष शुभम त्रिपाठी ने स्वागत उद्बोधन दिया और संगोष्ठी में आए सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं की महिलाओं पर आधारित एक चित्रकला प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। संगोष्ठी में सामाजिक कार्यकर्ता शालिनी माथुर को ‘चेंजमेकर अवार्ड’ देकर सम्मानित किया। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आभा सिंह भी उपस्थित थीं।