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Saturday 29 December 2018 02:12:23 PM
मुंबई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘द योग इंस्टीट्यूट’ के शताब्दी समारोह में कहा है कि मुंबई ने देश की राजनीति, शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, अध्यात्म और समाज कल्याण के क्षेत्रों में भी अग्रणी योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार द योग इंस्टीट्यूट मुंबई का मुंबई महानगर की परंपरा के अनुरूप महत्वपूर्ण योगदान है। राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत में लोकतांत्रिक जागरुकता के पितामह बुद्धिजीवी देशभक्त दादाभाई नौरोजी के निवास पर इस इंस्टीट्यूट की शुरुआत की गई थी, तब से लेकर आज तक योग के प्रसार में सौ वर्ष की अनवरत सेवा करने के लिए इस संस्थान से जुड़े सभी व्यक्ति प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि हंसाजी के निर्देशन में संस्थान योग एवं समाज-कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आरंभ से ही द योग इंस्टीट्यूट ने सामान्य घरेलू जीवन जीने वालों को योग सुलभ कराया है, महिलाओं के लिए उपयुक्त योगासनों पर 1934 में ही संस्थान ने एक पुस्तक प्रकाशित की थी, इसी प्रकार यहां स्कूली बच्चों, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष योग पद्धतियों की शिक्षा दी जाती है। राष्ट्रपति को जानकारी दी गई कि योग संस्थान ने ट्रक चालकों की स्पाइन से जुड़ी तकलीफ को कम करने के लिए ट्रकासन विकसित किया है, रोज लगभग दो हजार लोग इस संस्थान में आकर इसका लाभ उठाते हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के दौड़भाग और तनावभरे जीवन में संतुलन लाने के लिए योग शिक्षा बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि संयुक्तराष्ट्र महासभा की मान्यता से यह स्पष्ट है कि योगाभ्यास पूरे विश्व की जनसंख्या के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि योग भारत की सॉफ्ट पावर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण उदाहरण है, योग आज पूरी मानवता की साझा धरोहर बन चुका है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 21 जून को चौथे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन मैं सूरीनाम में था, मैंने सूरीनाम के राष्ट्रपति तथा वहां के लोगों के साथ योगाभ्यास किया। उन्होंने कहा कि दो राष्ट्राध्यक्षों के एक साथ योगाभ्यास करने का वह अनोखा और ऐतिहासिक अवसर था। उन्होंने कहा कि आज यहां स्वामी भारतभूषण ने योगाभ्यास का संचालन किया। राष्ट्रपति ने बताया कि इस वर्ष मार्च में सऊदी अरब की युवती नौफ अल मरवाई को पद्मश्री से सम्मानित किया गया, उनके अरब योग फाउंडेशन के केंद्र सऊदी अरब के लगभग हर शहर में सक्रिय हैं, इसी प्रकार चीनी मूल की अमेरिकी नागरिक चांग ह्वे लान ने चीन और अमेरिका में योग की लोकप्रियता को नए आयाम दिए हैं, उन्हें भी वर्ष 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। योग फेडरेशन ऑफ यूरोप के अध्यक्ष सर्बिया के प्रेदराग निकिच ने यूरोप के अनेक बड़े शहरों में योग का प्रचार-प्रसार किया है, उन्हें भी वर्ष 2016 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया, इस प्रकार पूरे विश्व में योग के प्रति उत्साह दिखाई दे रहा है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि योग का अर्थ है जोड़ना, सबको मिलकर यह सुनिश्चित करना है कि योग के भलिभांति प्रशिक्षित ट्रेनर्स देश-विदेश में उपलब्ध हों। रामनाथ कोविंद ने कहा कि बहुत से लोगों को स्मरण होगा कि भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने स्पेस सिकनेस से बचाव के लिए अंतरिक्षयान में योगाभ्यास किया था। उन्होंने कहा कि योग शिक्षा किसी संप्रदाय या पंथ से जुड़ी नहीं है, कुछ लोग भ्रांतिवश योग को संप्रदाय से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि योग स्वस्थ जीवन जीने का एक रास्ता है, जिसे अपनाने से मनुष्य के शरीर, मन और पूरे व्यक्तित्व को लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर सेहत सुधारने के लिए सवेरे टहलने और व्यायाम करने की सलाह देते हैं, योग भी एक स्वास्थ्यप्रद पद्धति है, इससे हर व्यक्ति की इम्यूनिटी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि एक आकलन के अनुसार भारत में बीस वर्ष से अधिक आयुवर्ग की लगभग एक चौथाई से अधिक आबादी हाई ब्लडप्रेशर से प्रभावित है, लगभग साढ़े सात प्रतिशत आबादी डाइबिटीज़ से ग्रस्त है, भारत में पंद्रह वर्ष से अधिक आयु की लगभग दो प्रतिशत आबादी दमा से प्रभावित है, दमा से प्रभावित बच्चों की भी बहुत बड़ी संख्या है, प्राणायाम और योग का बचपन से ही अभ्यास कराना चाहिए इससे बच्चों के फेफड़े मजबूत होते हैं, ऐसी बीमारियों की रोकथाम में योग चिकित्सा को उपयोगी माना जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य के इतिहासकारों के लिए अमेरिका की अटलांटा स्थित ओगलथोर्प यूनिवर्सिटी में सन 1940 से एक टाइम कैप्सूल रखा हुआ है, इसके पीछे यह सोच है कि छ: हजार वर्ष के बाद जब इसे खोला जाएगा तब अध्ययनकर्ताओं को बीसवीं सदी की मानव सभ्यता के विषय में जानकारी उपलब्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि इस टाइम कैप्सूल में जो पुस्तकें चुनकर रखी गई हैं, उनमें द योग इंस्टीट्यूट की एक पुस्तक भी शामिल है, यह तथ्य इसलिए महत्वपूर्ण है कि पूरी मानवता से जुड़े ज्ञान के इस संग्रह में योग को शामिल किया गया है और योग के विषय पर इस संस्थान की पुस्तक को चुना गया। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक संस्थान के शताब्दी समारोह के अवसर पर मैं एक बार फिर द योग इंस्टीट्यूट से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूं और यह विश्वास है कि आप सभी योग के प्रचार-प्रसार तथा जनकल्याण के अपने प्रकल्पों को निरंतर आगे बढ़ाते रहेंगे।