प्रकृति मधुमय है। इसके अंतस् में मधुरस है। काया में मधुगंध है। प्रकृति की गति मधुछंद आबद्ध है। प्रकृति का केंद्र अजस्र मधुकोष है। इसी केंद्र का नाम है-उत्स। इस केंद्र से जुड़ना उत्साह है और इसी केंद्र में मस्त हो जाना उत्सव। उत्स मूल्यवान है, लेकिन उत्सव अनमोल। उत्स गोत्र नहीं, वंश नहीं, इतिहास की पकड़ से बहुत दूर, लेकिन...
समक्का सरक्का जठारा या मेदाराम जठारा देश के आदिवासियों का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। यह द्विवार्षिक समागम हर साल आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में वारंगल जिले के तडवयी मंडल में मेदाराम गांव में होता है। इस बार भी यह समागम 12 फरवरी से 15 फरवरी तक हुआ, जिसमें लगभग 1 करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए। एक छोटे से गांव में यह आदिवासियों...
विदेश राज्यमंत्री प्रनीत कौर ने आज लोकसभा में जानकारी दी है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा-2014 की घोषणा पहले ही कर दी है, जो 8 जून से 9 सितंबर 2014 तक 18 बैचों में आयोजित की जाएगी। प्रत्येक बैच में अधिकतम 60 यात्री होंगे। ऑनलाइन आवेदन के प्रिंट आउट तथा पेपर आवेदन प्रस्तुत करने के लिए अंतिम समय सीमा 10 मार्च 2014 है। उन्होंने बताया कि...
चिन्मय मिशन: ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन के सत्र में प्रवचन करते हुए ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य ने कहा कि भगवान शंकराचार्य तत्व के स्वरूप का वर्णन करते हुए वर्तमान समस्त मान्यताओं को निरस्त करते हुए बताते हैं कि 'तत्व' कोई सत् नहीं, असत् भी नहीं और सत् असत् का मिश्रण भी नहीं, वो अणु, महान, स्त्री, पुरूष, नपुंसक कुछ भी नहीं है, वो तो...
भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को लोहड़ी, मकर संक्रांति और पोंगल की शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि ये त्यौहार सभी के जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आएं। उन्होंने कहा कि ये पर्व फसलों की होने वाली कटाई से जुड़ी खुशियों और समृद्धि के प्रतीक हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये त्यौहार शांति और सद्भाव के साथ हमें एक राष्ट्र के रूप में जोड़े रखने में...
सेवा भारती समिति राजस्थान की ओर से मकर संक्रांति के अवसर पर दुखी पीड़ित उपेक्षित और वंचितों की सेवार्थ सेवा निधि संग्रह अभियान चल रहा है। यह अभियान 15 जनवरी तक चलेगा। समिति के संगठन मंत्री अनिल शुक्ला ने बताया है कि मकर संक्राति पर्व पर समाज द्वारा दिए जाने वाले दान की महत्ता को ध्यान में रखते हुए परिवारों से संपर्क करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है, ताकि अभाव ग्रस्तों के ...
दारुल उलूम निज़ामिया निज़ामपुर के तत्वावधान में हर साल की तरह इस साल भी हज़रत मुहम्मद साहब के जन्म दिवस १२ रबी उल अव्वल को जुलूस मुहम्मदी दारुल उलूम से निकलेगा, जिसकी तैयारी शबाब पर है। दारूल निज़मिया के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन मिस्बाही निज़ामी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हज़रत मुहम्मद साहब ने दुनियाभर में अमन के पैग़ाम को आम किया और हमेशा यकजहती और भाईचारगी की तालीम देते रहे, इस...
घने कोहरे में दूर तक नहीं दिखाई पड़ता। शीत घनत्व ज्यादा हो तो निकट देखना भी विकट हो जाता है। कोहरे के कारण दुर्घटनाएं होती हैं। चोट चपेट और मारे गए लोगों की संख्या के विवरण कोहरे को कोहराम बनाते हैं, लेकिन कोहरा स्थायी स्थिति नहीं है। सूर्य स्थायी है। वे कोहरे में भी होते हैं, रात्रि विश्राम के बाद सुबह ठीक समय अपने काम पर आ जाते हैं। समाजचेता का उत्तरदायित्व अंधकार का अस्थायित्व बताना...
भागवत की कथा सुनने मात्र से ही सभी दुखों का नाश होता है, मनुष्य को समय-समय पर सत्संग का श्रवण करना चाहिए, संतसंग से ज्ञान की प्राप्ति होती है, प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त होता है तथा प्रभु स्वयं कल्याण करते हैं। नेशविला रोड स्थित बकरालवाला में आयोजित भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर कथावाचक भगवती प्रसाद फोनंदणी ने कहा...
यथार्थ है और सत्य है। हम मनुष्य इसी प्रकृति का भाग हैं। इसका शिव व सुंदर तत्व प्रकट करना हमारा दायित्व है। जंबूद्वीप भरतखंड के पूर्वजों ने सचेत होकर प्रकृति सत्य के भीतर शिव और सुंदर का साक्षात किया था। प्रकृति, प्रकृति की देन है और संस्कृति मनुष्य के कर्म कौशल से उपलब्ध शिवत्व और सुंदरतम्। संस्कृति मनुष्य की सुकृति है। संस्कृति व्यक्तिगत नहीं होती। सत्य, शिव और सुंदर के बोध भले ही...
गीता जयंती-कर्तव्य दिवस पर 'श्रीमद्भागवत गीता और व्यवस्था परिवर्तन' विषय पर विश्व संवाद केंद्र में कर्तव्य फाउंडेशन की ओर से आयोजित संगोष्ठी में मुख्यवक्ता विद्यांत हिंदू पीजी कालेज के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ विजय कर्ण ने कहा है कि समता और कर्म के सिद्धांतों की स्थापना करना गीता और स्वामी विवेकानंद का उद्देश्य...
मोटे तौर पर संसार में दो घटक हैं। एक मैं और दूसरा संसार। ईश्वर प्रत्यक्ष नहीं है। तर्क से सिद्ध करना असंभव। प्रतितर्क भी कमजोर नहीं है। ईश्वर की खोज के सारे उपकरण संसारी हैं। योग, ध्यान, ज्ञान, भक्ति, उपासना आदि कर्मो का क्षेत्र यह संसार ही है। मूलभूत प्रश्न यह है कि विश्व जनसंख्या का अधिकांश भाग ईश्वर के प्रति आस्थालु या जिज्ञासु क्यों हैं? सीधा उत्तर है कि मनुष्य आनंद का प्यासा है और...
श्री केदारनाथ धाम में 16-17 जून 2013 को आई भयानक बाढ़ से यहां काफी नुकसान हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को श्री केदारनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करने के लिए अनुरोध किया गया था, तदनुसार उसने अक्तूबर 2013 के दूसरे सप्ताह से इसके संरचनात्मक संरक्षण एवं रासायनिक परिरक्षण का जिम्मा लिया। पहले चरण में अब तक दक्षिणी, पश्चिमी...
प्रकृति में अनेक रूप, रंग, रस और नाद हैं। प्रकृति सदा से है। यह अनेक आयामों में प्रकट होती है। जान पड़ता है कि बारंबार प्रकट होने के बावजूद इसका मन नहीं भरा। अरबों-खरबों मनुष्य आए, गए, लेकिन नवजात शिशुओं का शुभागमन जारी है। कीट, पतिंग, वनस्पति का भी आवागमन ऐसा ही है। नक्षत्र उगते हैं, नष्ट होते हैं, फिर-फिर उगते हैं। प्रकृति...
विश्व हिंदू परिषद संत केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के स्वामी चिन्मयानंद महाराज, जूना अखाड़ा के सचिव स्वामी देवानंद महाराज, महा मंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि, डॉ रामेश्वर दास वैष्णव एवं प्रांतीय मार्गदर्शक मंडलों की दो दिवसीय बैठक में देश भर से आए लगभग 1000 संतों ने सामूहिक रूप से हिंदू समाज पर हो रहे दमन की कठोर शब्दों की निंदा...