विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के नैनो मिशन के तत्वावधान में नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी पर प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र की हाल की प्रगतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कोलकाता के बिस्वा बंगला पारंपरिक केंद्र में हुआ। सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा...
सब कुछ नहीं जाना जा सकता। जीवन की सीमा है, सृष्टि अनंत है, लेकिन जानने का अपना रस है। ज्ञान रसिक अथक जुटे रहते हैं। अकथ का पता तो भी नहीं चलता। पुराणों में शौनक का नाम बहुत आया है। पुराणों में शौनक प्रश्न करते हैं, सूत जी बोलते हैं। शौनक शानदार प्रश्नकर्त्ता हैं। मुंडकोपनिषद् इन्हीं शौनक के मूलभूत प्रश्न से शुरू होती है। शौनक पहुंचे ऋषि अंगिरा के पास। पूछा, ऐसा क्या है?...
मर्यादा सुंदरतम उपलब्धि है। तुलसीदास ने गाया था-सुंदरता मरजाद भवानी। मर्यादा सौंदर्य है। भारत ने श्रीराम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा। राम परिपूर्ण सुंदर हैं-मर्यादा के कारण। मर्यादा की पौध पर ही शील के सुंदर फूल खिलते हैं। शील की गंध ने बुद्ध को भी खींचा था। 'धम्म पद' में उनके कथन हैं, चंदनं तगरं वापि उप्पलं अथ वास्सिझी/एतेसं गंध जातानं सील गंधो अनुत्तरो-चंदन, तगर, उत्पल या बेला, चमेली...
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में पी चिदंबरम पर एक पुस्तक का विमोचन किया। पी चिदंबरम के सम्मान में लिखे गए लेखों के संग्रह के रूप में इस पुस्तक में भारत के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम की प्रशंसा करते हुए कहा कि पुस्तक के लेखक स्कोच फाउंडेशन के...
‘विश्वास’ खूबसूरत धारणा है। देखे, सुने और जांचे को मानना विश्वास है और सुने-सुनाए को यों ही मान लेना अंधविश्वास। विश्वास हमारे इंद्रियबोध का परिणाम है। हमारे आंख, कान, नाक, जीभ और स्पर्श से बुद्धि को संवेदन मिलते हैं। बुद्धि उनका विवेचन करती है और विश्वास या अविश्वास प्रकट करती है। अविश्वास और विश्वास दोनो ही बुद्धिगत निर्णय हैं। वे इंद्रियबोध के ही परिणाम हैं...