मनुष्य आज सिर्फ लड़ रहा है।दूसरों से ही नहीं,बल्कि अपने आपसे भी।झगड़ रहा है,सब कुछ पाने के लिए।उसका अंतस है अशांत और विफल,शांति को ढूंढते एक कस्तूरी मृग की तरह।लेकिन उसकी उन्नति से अहंकारऔर अहंकार से विकार,जैसे सबको कमज़ोर समझ लेना।मनुष्य को एक दीया होना चाहिए,...
राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन लखनऊ में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस के निरीक्षक कुलदीप सिंह की कविता संकलन ‘भारत का श्रृंगार’ का विमोचन किया। संकलन में 76 कविताओं को शामिल किया गया है। राज्यपाल इससे पूर्व कुलदीप सिंह के लिखे भजन संग्रह की सीडी का भी विमोचन कर चुके हैं। राज्यपाल ने निरीक्षक कुलदीप सिंह को बधाई देते हुए कहा कि...
रेल हमारे घर तक आए,क्यों न कुछ ऐसा हो जाए,रेल हमारे घर तक आए,टीटी टिकट काटकर लाए,...
इक्कीस अप्रैल को ई-पत्रिका अपनी माटी ने माटी के मीत नाम से एक कविता केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन किया। सवाई माधोपुर के विनोद पदरज और अजमेर के अनंत भटनागर ने सामान्य श्रोताओं के मध्य नई कविता का प्रभावी पाठ किया और मुक्त छंद की कविता को वाचिक परंपरा से जोड़ने का सफल प्रयत्न किया। विनोद पदरज ने कचनार का पीत पात, बेटी के हाथ की रोटी, शिशिर की शर्वरी, दादी माँ, उम्र आदि कविताएँ सुनाईं, जबकि...
मुंबई के शायर देवमणि पांडेय के ग़ज़ल संग्रह ‘अपना तो मिले कोई’ का लोकार्पण साहित्यकार एवं उप्र हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने किया। हिंदी संस्थान के प्रेमचंद सभागार में 9 फरवरी की शाम को आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में बोलते हुए उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी और उर्दू दरअसल एक...
कविता में आपस में जोड़ने की शक्ति होती है, वह समाज को अच्छा बनाती है, कविता अंदर के भाव से प्रस्फुटित होती है, संस्कारों से पैदा होती है, संस्कार के बिना चरित्र नहीं बनेगा और चरित्र के बिना देश नहीं बनेगा। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन विषय पर केंद्रित दो दिवसीय कार्यशाला में उप्र हिंदी संस्थान...
केंद्रीय हिंदी निदेशालय की ओर से आयोजित प्राध्यापक व्याख्यानमाला कार्यक्रम के अंतर्गत दिसंबर में माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसरफेसर बाबू जोसफ का व्याख्यान हुआ। भूमंडलीकरण और हिंदी-कविता विषयक व्याख्यान में प्रोफेसरफेसर बाबू जोसफ ने कहा कि आज जब विश्व गांव की परिकल्पना साकार हो रही है, ऐसे में साहित्य की चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। कुमार अंबुज,...
मुंबई में चार जनवरी को हुए एक साहित्य संगम में जाने माने कवि विनोद कुमार शुक्ल को साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'परिवार' ने परिवार पुरस्कार -2012 से नवाज़ा। समारोह के ज़रिए साहित्य जगत की दो मूर्धन्य हस्तियों को एक साथ एक मंच पर देखने का सुअवसर भी मिला। विनोद कुमार शुक्ल को यह पुरस्कार समारोह अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि विष्णु...