पात्र 1- बादशाह, 2- मियां जुम्मन, 3- नवाब सिंह 4- मुंशी चन्दूलाल, 5- जोरावर सिंह 6- नकीब।(मंच पर सुंदर ढंग से सजा हुआ तख्त रखा है। सामने कालीन बिछा है। दीवालों से पर्दा टंगा है। ऊपर रंग-बिरंगे गुब्बारे और झंडियां लटक रही हैं। एक बड़ा-सा हुक्का चौकी पर रखा है। पर्दा उठते ही नकीब का प्रवेश)नकीब- बाअदब! बामुलाहिजा होशियार। बादशाहे आलम, सितारे गप्प, नवाबे-गप्प, सरदार बहादुर,...
प्यारे बच्चो! जाओ, जाओ, बड़ा सुहाना भोर हुआ है।दिग्मंडल में बाल-विहंगों के गीतों का शोर हुआ है।लो, पूरब से रवि ने अपनी कंचन-सी किरणें बिखराई।मधु-पराग से भरी हुई नन्हीं-नन्हीं कलियां मुस्काई।मुस्काया धरती का कण-कण, मुस्काई नूतन आशाएं।जन-जन के मन में जागी हैं स्नेहमयी नव-अभिलाषाएं।तुम भी जगती के आंगन में जी भर कर उल्लास बहाओ।सबकी जीवन-फुलवाड़ी में प्यार भरा...
सुदर्शन नाम का महाजन मैसूर में व्यापार करता था। उसके दो लड़के थे। बड़े का नाम माधो और छोटे का साधो था। सुदर्शन का ध्येय केवल धन बढ़ाना था। वह अपने पुत्रों को रुपये देकर बाहर भेजता और थोड़े ही दिनों में रुपये को दूना कर लाने के लिए कहता।माधो जुआड़ी निकल गया। हां, साधो सीधा था। सुदर्शन ने दोनों बेटों को एक-एक हजार रुपये देकर व्यापार के लिए बाहर भेजा। माधो जुए में...
आओ साथी! कदम बढ़ाओ। दुश्मन को तुम पाठ पढ़ाओ।छोटे-छोटे हम बच्चे हैं, इसकी कुछ परवाह नहीं है।हमको भ्रम में डाले, रोके, ऐसी कोई राह नहीं है।गाओ, गान देश का गाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।नहीं मौत में ताकत इतनी जो आकर हमसे टकराए;है यह जन्मभूमि वीरों की-दुश्मन मिट्टी में मिल जाए;आजादी का गीत सुनाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।अर्जुन भीम यहां जन्मे हैं, जन्मे हैं राणा प्रताप-से;अब...
सुख-समृद्धि-सी जहां बह रही निर्मल सुरसरि-धारा,जागा देश हमारा।जहां बुद्ध की गूंजी वाणी, दुख-विनाशिनी, शुभकल्याणी।सत्य, अहिंसा, त्याग प्रेम की जग में जिसने कीर्ति बखानी-किया सार्थक अब तक जिसने विश्व शांति का नारा।जागा देश हमारा।क्षमाशील है, अति उदार है, यह बापू की यादगार है।'जियो और सबको जीने दो' कोटि-कोटि जन की पुकार है।जिसने दुनिया को सिखलाया सच्चा...
गांव में दो मित्र रहते थे। एक का नाम रामू और दूसरे का श्यामू। कहीं भी जाना होता, दोनों एक साथ जाते। कोई भी काम करना होगा, एक साथ करते। पर उनके स्वभाव में अंतर था। रामू बहुत चतुर तथा साहसी था। लेकिन श्यामू इसके विपरीत, डरपोक और भोला-भाला था। लोग उसे बेवकूफ बनाकर अपना काम निकालते थे।एक दिन रामू ने श्यामू से कहा - गांव में रहते-रहते जी ऊब गया है। अब शहर में जाकर रहना चाहिए।...
सभ्यता का उदय होने के साथ ही मनुष्य की लगातार कोशिश यही रही कि वह हर एक कठिनाई का हल ढूंढ़ निकाले। इन प्रयत्नों में वह सफलता भी पाता रहा। उसने लिपि का अविष्कार करके एक कठिनाई हल की तो वह पत्थरों पर लिखकर या अन्य वस्तु पर लिखकर अपने समाचार दूसरे तक पहुंचाने लगा। फिर इन समाचारों को जल्दी भेजने के लिए उसने बूतरों से काम लेना शुरू किया। उसके साथ ही पश्चिमी देशों, खासकर योरप...
आओ बच्चो! बालकाव्य का सुंदर भवन दिखाए;कैसे बना विशाल-कहानी इसकी तुम्हें सुनाए।जब से ममता भरी लोरियां हम मां की सुनते हैं-परी-लोक की मधुर कथाएं मन ही मन गुनते हैं;सूर तथा तुलसी ने मिलकर जब से लीला गाई;पड़ी भवन की नींव तभी से सबने खुशी मनाई।श्रीधर, श्री हरिऔध आदि ने साथी कई जुटाएईंटा गारा चूना लाकर खम्भे गये उठाएपण्डित बदरीनाथ भट्टजी 'बालसखा' बन आए।'शिशु'...
गंगाजी के तट पर एक मोर रहता था। उसकी सुंदरता और नृत्यकला अनुपम थी। उस समूचे जंगल में कोई भी मोर उस जैसा नाच नहीं कर सकता था। नीले गगन में जब काले बादलों के तम्बू तन जाते थे, चारों ओर वर्षा के साज सज जाते थे, घन घमण्ड से मृदंग बजाने लगते थे तब वह नाचना शुरू करता था। गंगा के तट पर बहुत से पक्षियों और मोरनियों के मेले लग जाते, यहां तक कि गंगा से निकलकर कछुए और मगर भी उस मोर के...
बहुत जिद्दी लड़के के विषय में लोग अक्सर कहते हैं -'देखो न छोकरे की जिद! आकाश का चांद पकड़ना जैसा असंभव है, वैसा ही इस छोकरे की जिद पूरी करना है' पर मेरा खयाल है कि कुछ दिन बाद माता-पिता अपने पुत्र की जिद की तुलना 'चांद पकड़ने' से नहीं करेंगे। क्योंकि अब चांद हमारी पहुंच के भीतर आ चुका है। मनुष्य ने चांद में राकेट भिजवाये हैं, चांद का जो हिस्सा पृथ्वी से दिखाई देता है उसका फोटो...
एक गड़रिये के पास बहुत-सी भेड़ें थीं। वह उन्हें सबेरे ही जंगल में चराने ले जाता था। शाम को घर लौटने पर उन्हें गिने बगैर वह खाना न खाता था। इसीलिए जब भी कोई भेड़ इधर-उधर भटक जाती तो वह उसे झट खोज लाता।इसी तरह दिन बीत रहे थे। एक शाम को उसे पता चला कि उसकी भेड़ों में से तीन कम हैं। उसके माथे पर पसीना आ गया। उसने जंगल का कोना-कोना छान मारा, पर कहीं भी उसे भेड़ें नहीं मिलीं।...
गरमी की छुट्टियां थी। दक्षिण भारत के बच्चों का एक दल पिकनिक में उत्तराखंड स्थित फूलों की घाटी आया। बच्चों के साथ दयास्वामी व अन्नास्वामी 2 शिक्षक भी थे। वे रेल से हरिद्वार पहुंचे वहां से जोशीमठ की बस में बैठे। सभी विद्यार्थी अध्यापकों से कई प्रश्न पूछ रहे थे।'सर, हमें उत्तराखंड के बारे में बताइए', एक छात्र ने कहा-भारतवर्ष में 28 प्रदेश व 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं।...
तुम बढ़ो बढ़ो, तुम पढ़ो पढ़ो,तुम रुको नहीं, तुम झुको नहीं।तुम नई लगन से काम करो, दुनिया में अपना नाम करो।आलस त्यागो हर किरण आज, कहती है -- मत विश्राम करो।तुम उठो उठो, तुम चलो-चलो,तुम रुको नहीं, तुम झुको नहीं।तुम सारे जग से न्यारे हो, अपनी जननी के प्यारे हो।तुम छोटे हो पर बहुत बड़े, भारत के राजदुलारे हो।तुम खिलो खिलो, तुम हंसो हंसो,तुम रुको नहीं, तुम झुको...
ची-ची करती चिड़िया रानी,बच्चों के संग रहती है,खेल-कूद कर उनके संग, दाना चुनकर लाती है, कित्ती मेहनत करती देखो,श्रम का पाठ पढ़ाती है,शाम-सवेरे चिड़िया रानी,नील गगन पर उड़ती है,बच्चों, तुम भी ऐसे बन जाओ,मेहनत करो, सफलता पाओ।।गोल- मटोलदादीजी का चश्मा गोल,मम्मीजी...
बच्चों! आज आपने कोई सपना देखा? जैसे कोई राजा बना हो या राजकुमार या कोई हवाई जहाज में उड़ा तो कोई चांद-सितारों पर पहुंचा। एक मजेदार सपना इन्होंने भी देखा। भीलपुरा नामक एक गांव में तीन चतुर और समझदार मित्र रहते थे। एक दिन उनमे से एक ने कहा कि क्यों न कुछ दिन के लिए देशाटन पर चलें। उसके दोनों मित्रों को सुझाव पसंद आया और एक दिन तीनों मित्र अपना सामान बांधकरदेशाटन पर रवाना हो गए। रास्ते...
लखनऊ। कहते हैं कि रिश्ते ऊपर से बनकर धरती पर आते हैं। 'हिना परवीन' उन खुशनसीब लड़कियों में से एक है, जिसने यतीमखाने में संरक्षण पाकर 26 अक्टूबर को अपने सुखद और वैवाहिक जीवन के सपने को पूरे होते देखा। अपनी संघर्षभरी आत्मकथा में उसने कभी नहीं सोचा होगा कि उसे और लड़कियों की तरह सम्मान और रीति-रिवाज़ के साथ डोली में बैठाकर...