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नई दिल्ली। केंद्रीय जांच दल ने औषधि-रोधी तपेदिक के मामलों का अध्ययन करने के लिए मुंबई का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद को सौंप दी है। मुंबई में सलाह-मश्विरे के बाद सर्वसम्मति से जो बातें सामने आई हैं, उनके अनुसार हिंदुजा अस्पताल में जिन मामलों की रिपोर्ट की गई है, वे केवल व्यापक औषधि-रोधी तपेदिक (एक्सडीआर टीबी) की श्रेणी में आते हैं, न कि पूर्ण औषधि-रोधी तपेदिक (टीडीआर टीबी) की श्रेणी में पूर्ण औषधि-रोधी तपेदिक कोई मान्य परिभाषा नहीं है, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इसे मान्यता नहीं है। एहतियातन कई कदम उठाए गए हैं। केंद्रीय दल ने मुंबई के केइएम अस्पताल और मेडिकल कालेजों, प्रमुख अस्पतालों के विशेषज्ञों और अन्य प्रोफेशनल लोगों के साथ विचार विमर्श किया है तथा ग्रेटर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों से भी बात की है।
ऐसे सभी मामलों में संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के निर्देश लागू किए जाएंगे। एक्सडीआर टीबी की पहचान माइक्रोबायोलाजिकल पुष्टि के बाद की जानी चाहिए और यह चेन्नई, बंगलूरू और नई दिल्ली के तपेदिक संस्थानों की प्रयोगशालाओं से होनी चाहिए। आरएऩटीसीपी, महाराष्ट्र सभी मामलों को अपने अंतर्गत लेगी और पूरा इलाज निशुल्क कराएगी। इन मामलों के रोगियों को अलग-थलग रखने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह चिरकालिक बीमारी है और इलाज से इसके दूसरी जगह फैलने की संभावना कम हो जाती है।
रिपोर्ट किए गए 12 रोगियों में से 9 रोगियों का पता लगाया गया। चल रहे इलाज के आधार पर उनकी हालत स्थिर पाई गई, जबकि तीन की मौत हो चुकी है। नौ रोगियों में से 7 रोगी मुंबई के निवासी हैं, एक मीरा भायंदर नगर निगम से और दूसरा रतनागिरि जिले से है। ग्रेटर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र सरकार ने इस सिलसिले में ये फैसले लिए हैं-मुंबई में तपेदिक सेवा प्रणालियों को मजबूत बनाना। पांच लाख आबादी की जगह 2 लाख आबादी के लिए एक तपेदिक यूनिट बनाना और 2 माइक्रोस्कोपिक सेंटर कायम करना। जीटीबी अस्पताल में तीन और डाट्स-प्लस कक्ष बनाना। औषधि-रोगी तपेदिक के परीक्षण की सेवाओं का विस्तार करना, ताकि निजी क्षेत्र भी इसका लाभ उठा सकें। सभी प्रकार के तपेदिक रोगों के बारे में विज्ञापन देना और प्रचार करना। अधिसूचना प्रणाली पर अमल को सुनिश्चित करना। औषधि-रोगी तपेदिक रोगियों का पता लगाना, आरएनटीसीपी वाली प्रयोगशाला में उनका फिर से परीक्षण करना और इलाज करना।
केंद्र ने ऐसे रोगियों के लिए आवश्यक दवाओं की आपूर्ति और नियमित आधार पर तकनीकी सहायता का आश्वासन दिया है। हाल में क्लिनिकल संक्रामक रोग पत्रिका के दिसंबर 2011 के अंक में लिखे गए पत्र में मुंबई के एक्सडीआर-टीबी के चार रोगियों को गलती से टीडीआर-टीबी बताया गया। इनकी दवाईयों के विवरण से पता चला है कि पिछले 18 महीनों में उन्होंने चार अलग-अलग डाक्टरों से दवाएं ली हैं। पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि एमडीआर तपेदिक के रोगियों का इलाज सरकार से अनुमोदित एमडीआर-टीबी उपचार कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाना चाहिए। इसके बाद से 8 और मामले हिंदुजा अस्पताल में आए हैं।