क्रिसमस पर बेतहसदा फैलोशिप चर्च (दया का घर) ने उत्सव गेस्ट हाऊस, बाराबिरवा, कानपुर रोड लखनऊ में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें प्रभु ईसा मसीह की पैदाइश व जन्मोत्सव के गीतों को गाया गया एवं विभिन्न नाटकों का मंचन किया गया। बेतहसदा फैलोशिप चर्च के बिशप डॉ रामचरन सेत ने प्रभु के संदेशों को उजागर करते हुए कहा कि प्रभु ईसा...
सरोजनी नगर आवासीय समिति मैदान में सच स्वरूपा माँ जसजीत का प्रकाशोत्सव समारोह अत्यंत श्रद्धा भक्ति एवं हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। आज के ही दिन सन् 1993 में माँ को परमात्मा के दर्शन हुए तदोपरांत उन्होंने मानव सेवा का कार्य आरंभ किया। आज के समारोह में सच स्वरूपा माँ ने सुदूर प्रांतों से आए भक्तों को नव वर्ष की शुभकामनाएं...
दरअसल ऊर्जा का कोई भार नहीं होता। भाररहित सृष्टि होती नहीं। भार के कारण ही सृष्टि बनी। तब प्रश्न है कि भार कहां से आया? वैज्ञानिकों ने अब कुछेक ‘भारविहीन’-ऊर्जा कण भी देखे हैं। समझने के लिए कह सकते हैं कि कुछेक कणों में चेतना ऊर्जा तो है, लेकिन उनका शरीर नहीं। जैसे सभी प्राणियों में चेतना है, लेकिन अदृश्य है। शरीर दृश्य...
इस समय पूरी मानवजाति को मानसिक संघर्ष और दबाव से गुजरना पड़ रहा है। हमें सिर्फ नासरत के ईसा मसीह के पुनरुत्थान को याद रखना चाहिए कि किस प्रकार संसार की सारी शक्तियां नाकाम हो गईं, यहां तक कि मृत्यु की ताकत भी नाकाम हो गई और वह ईसा संसार में अकेला हो कर भी जीत गया। ईसा ने कहा-‘तुम सत्य को जानो, सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।’...
श्रीराम मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। वे लोकश्रुति में हैं। स्मृति में हैं। इतिहास में हैं। वे संज्ञा हैं, सर्वनाम हैं, वे भारत का मन हैं, अंतरंग हैं, बहिरंग हैं। प्रीति और प्यार हैं। रस हैं, छन्द हैं। गीत और काव्य हैं। प्रीति और अनुभूति हैं। तरूणाई और यौवन हैं। वे लोकआस्था में ब्रह्म हैं। मंगल भवन अमंगल हारी हैं। भारतीय इतिहास...
अंग्रेजों को वास्तव में इससे कोई लेना-देना नहीं था क़ि भारतीय यानी हिंदू चिंतन कितना श्रेष्ठ है। उन्हें तो केवल इसमें रुचि थी कि इसे धर्म के रूप में कैसे इस्लाम के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है। हिंदू श्रेष्ठता के अहंकार में हिंदू (भारतीय) चिंतक भी उस जाल में फंसते गये, भारतीय सुधारक राजा राममोहन राय भी। इसका एक ही चारा है कि हम फिर से भारत और भारती को अपनाएं और अपनी सोच को पुन: सार्वभौम मानववाद...
क्या वे सवाल आज खत्म हो गए हैं कि आर्य समाज दुविधा में पड़ा हुआ है? यह नहीं माना जा सकता। जिन चुनौतियों से लड़ने के कारण आर्य समाज की पहचान बनी है वे मौजूद हैं। फिर भी आंदोलन में कोई दम नहीं दिखता। इसके कारण कुछ गहरे हैं। उन्हें पहचाने बिना आर्य समाज को जिन्दा नहीं किया जा सकता।...
आध्यात्मिक शक्तिपीठों और पीठाधीश्वरों की सुरक्षा जैसे मामलों की घोर उपेक्षा हो रही है, यह किसी से नही छिपा है। मगर क्या वास्तव में यह सच लगता है कि ये प्रतिक्रियावादी हैं? जातियों में बटे इस दौर में सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय का इससे बेहतर मेल और उदाहरण और क्या चाहिए? देवी पाटन आकर देखिए!...
हज और उमरा के लिए अब वही लोग जा सकेंगे जिनकी हैसियत आलीशान फाइव स्टार होटलों के किराए की शक्ल में लाखों रूपए अदा करने की होगी। इतना ही नहीं हरम के एतराफ में अब दो-पांच और दस रियाल में सर भी नहीं मुड़ाया जा सकेगा, क्योंकि हालात इतने खराब हैं कि उमरा करने के बाद अल्लाह के घर के एतराफ में नाई और चाय की एक दुकान तक नहीं बची।...
श्रीकृष्ण ने दुनिया को इस संसार को जीने का सलीका बताया है। पाश्चात्य देश श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेते हैं कि जीवन कैसे जिया जाए। भाद्रप्रद के आते ही यहां के मंदिर सज-धज रहे हैं और ब्रज श्रीकृष्ण के जन्म की तैयारियों में जुटा हुआ है।...
कल तक जिन्हें मनुवादी कहकर हांसिये पर धकेला जा रहा था, आज उनमें ‘कस्तूरी’ नजर आने लगी है, जिससे इनका ‘राजयोग’ फिर से चमक उठा है। बसपा अध्यक्ष मायावती के लिए, आखिर यही ब्राह्मण सत्ता के कारक बने हैं।...