उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल ने खेल को भी अपनी राजनीति का अखाड़ा बना दिया है। बदनाम गुटबाज़ जातिवादी और राज्य के खेल परिसरों में अराजकतत्वों को बढ़ावा देकर खेल के वातावरण को लंबे समय से दूषित करते आ रहे खेल विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ वे ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं जिनसे खेल का कोई भी विकास नहीं हो...
यहां तो जातिगत राजनीति के हर कुएं में आरक्षण की भांग पड़ी हुई है। कांग्रेस सांसद सलमान खुर्शीद ने अगर मुसलमानों के लिए अलग से आरक्षण की मांग उठा दी है तो ईसाइयों को भी आरक्षण देने की मांग बुलंद होती रही है। जैन धर्म से जुड़े लोगों को भी आरक्षण देने की मांग उठ ही चुकी है। गुर्जरों को आरक्षण देने की मांग भी एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था पर विचार किया जाए तो...
भारतीय दंड संहिता के अध्याय में समलैंगिक पुरूष यौन संबंधों को पाप बताया गया है। यह अध्याय अंग्रेजों के जमाने में संहिता में नहीं जोड़ा गया था, बल्कि यह शताब्दियों से भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विरासत रही है, यह एक कटु सत्य है कि आज भी भारत एक सांस्कृतिक नेता के रूप में दुनिया में विद्यमान है एवं तथाकथित पश्चिमी सभ्यता...
पाकिस्तान के लोकतंत्र और उसकी अग्रिम पंक्ति के राजनेताओं का शिकार करके और बचे-खुचों को निर्जीव करके पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आइएसआइ स्वात घाटी में एक ताकत बन चुके तालिबान और अलकायदा के साथ जा खड़ी हुई है। यहां अब ऐसी ताकतों ने पांव पसार लिए हैं जो पाकिस्तान को पाषाण युग में धकेलने के लिए आमादा हैं। ...
भावी प्रधानमंत्री के लिए जो नाम सामने आए हैं, उनकी योग्यता आदि के विषय में राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़े और उनके व्यक्तित्व के सभी पहलू आम जनता के सामने प्रमुखता से प्रस्तुत किए जाएं, ताकि लोगों को अपने हिसाब से राजनीतिक दल एवं प्रधानमंत्री पद के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करने में मदद मिले। ...
मायावती को एहसास हो गया है कि उनका प्रधानमंत्री बनना असंभव है। इसलिए उन्होंने एक प्रकार से एनडीए के सामने प्रस्ताव रख दिया है कि वह कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार न बनने देने के लिए बिना शर्त एनडीए का साथ देंगी।...
लालू के राजनीतिक दांव आज के राजनीतिक माहौल में नव राजनीतिज्ञों के लिए एक पाठ्यक्रम से कम नहीं कहे जा सकते। लालू को कब लल्लू कब लालू प्रसाद और कब लालू प्रसाद यादव बनना है इसकी कला उन्हें बखूबी आती है। बालीवुड से हालीवुड और खेल खेती खलिहान तक सब जगह लालू यादव का वर्चस्व है।...
अमरीका से एटमी करार पर यूपीए सरकार के विश्वास मत के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी अपने राष्ट्रधर्म से क्यों भाग खड़े हुए? जबकि उन्हीं के सामने, इसी सदन में लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने अपने वामदलों के भारी दबाव और पार्टी में आलोचनाओं की कोई परवाह ही नहीं की।...
मायावती और कांग्रेस के बीच घमासान आज अपने चरम पर पहुंच गया है। मायावती के ईमानदार होने का फैसला अब सिर्फ देश की अदालत को ही करना है जिससे अब ‘काले धन’ पर कभी भी निर्णायक मुकद्मेबाजी शुरू होनी तय है। इसमें मायावती को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।...
दुनिया भारत में लीडरों के नैतिक पतन की पराकाष्ठा देख रही है। वह देख रही है कि भारत के लीडर और राजनीतिक दल किस तरह बिकते हैं। प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए जीभ निकाले घूम रहे महाभ्रष्ट और चार्जशीटेड नेता कुर्सी के लिए कैसे-कैसे समझौते करने को तैयार हो जाते हैं। देशहित के गंभीर मुद्दों पर भी ये राजनीतिज्ञ एक मेज पर कभी बैठते...
राष्ट्रवाद और राष्ट्रधर्म की शेखी बघारने वालों को सोमनाथ दा ने सीख दी है कि राष्ट्रवाद किसे कहते हैं और असली राष्ट्रधर्म क्या है। इससे सोमनाथ चटर्जी ने करोड़ों देशवासियों के मन में अपनी जगह बनाई है, अथाह सम्मान और विश्वास पाया है।...
राहुल गांधी की शादी को लेकर उत्सुकता तो है ही मगर उससे ज्यादा उत्सुकता यह जानने की है कि राहुल गांधी की अर्द्धांगिनी आखिर कौन होगी? क्या राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी का अनुसरण करेंगे या वे किसी भारतीय कन्या के साथ ही सात फेरे लेंगे?...
यदि पाकिस्तान को दुनिया के बीच में खड़े रहना है तो उसे भी आतंकवाद पर उसी प्रकार गोले बरसाने होंगे जिस प्रकार अमरीका बरसाता आ रहा है जिसे अब पाकिस्तान में एक सैनिक शासक ही कर सकता है। जो अध्याय जनरल मुशर्रफ ने शुरू किया है उस पर चलना पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के लिए कठिन भी और मजबूरी भी बन गया है। यहां का लोकतंत्र अब सेना...
नेपाल में ‘बंदूकवादी लोकतंत्र’ लेकर आए माओवादियों को अपनी सरकार के गठन में दिन में तारे नज़र आ गए। माओवादियों के सुप्रीम कमांडर कमल दहल प्रचंड की चीन से दोस्ती और भारत से पंगा, नेपाली जनता और यहां के राजनीतिक दलों में घमासान का मुख्य कारण बन रहा है।...
विवादों और आलोचनाओं से घिरे इस प्रख्यात समाजवादी को करीब से जानने वाले कहा करते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने हमेशा राजनीतिक और सामाजिक मंच पर अपनी जरूरत का एहसास कराया है उनके लिए चुनावी साल भारी राजनीतिक चुनौतियों के साथ सामने होगा क्योंकि उन्हें अपनी नीतियों के साथ राज्य की जनता के बीच जाना है।...