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Wednesday 24 August 2016 06:43:22 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार में तकनीकी, सूचना प्रौद्योगिकी और विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण पाल, रामदास अठावले और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने डिजिटल इंडिया की दिशा में एक सुलभ कदम उठाते हुए सुगम्य पुस्तकालय का शुभारंभ किया। सुगम्य पुस्तकालय एक ऑनलाइन मंच है, जहां पर प्रिंट विकलांग लोगों के लिए सुलभ सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। पुस्तकालय में विविध विषयों, भाषाओं और कई सुलभ प्रारूपों में प्रकाशन उपलब्ध हैं। इसे डेज़ी फोरम ऑफ इंडिया संगठन के सदस्यों और टीसीएस एक्सेस के सहयोग से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग ने तैयार किया है।
सुगम्य पुस्तकालय में दृष्टिहीन और विकलांग लोगों के लिए सुलभ प्रारूपों में पुस्तकें उपलब्ध हैं। विविध भाषाओं में दो लाख से अधिक किताबें हैं। यहां देश और दुनियाभर में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय, बुकशेयर सहित पुस्तकालयों का एकीकरण किया जा रहा है। अंतिम उपयोगकर्ता यानि प्रिंट विकलांग व्यक्ति के मामले में अब अगर प्रिंट विकलांग जन किताब पढ़ना चाहता है तो इसके लिए उसे किसी पढ़कर सुनाने वाले व्यक्ति या स्कैन और संपादन करने के लिए स्वयंसेवकों की तलाश करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। सुगम्य पुस्तकालय पर शीघ्र खोज के बटन को क्लिक करते ही उसे अपनी पसंद की पुस्तकें मिल जाएंगी, इसके लिए उसे डीएफआई संगठन में प्रिंट विकलांग सदस्य के रूप में पंजीकरण करवाना होगा, जिसके बाद वह अपनी सदस्यता के जरिए पुस्तक डाउनलोड कर सकता है या ऑफलाइन खरीद सकता है। वह एक बटन क्लिक कर पुस्तकालय की सभी किताबों तक पहुंच सकता है।
मोबाइल फोन, टेबलेट, कम्प्यूटर, डेजी प्लेयर जैसे अपनी पसंद के किसी भी उपकरण पर ब्रेल लिपि में भी पुस्तकें पढ़ी जा सकती हैं। ब्रेल प्रेस वाले संगठन के सदस्य के जरिए वे ब्रेल लिपि की प्रतिलिपि भी मंगवा सकते हैं। विश्वविद्यालय, स्कूल पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय या इस प्रकार के अन्य संस्थान डीएफआई के सदस्य बन सकते हैं अथवा अपने प्रिंट विकलांग सदस्यों या छात्रों को सुगम्य पुस्तकालय का पूरा संग्रह उपलब्ध कराने के लिए ऑन लाइन पुस्तकालय के सदस्य बन सकते हैं। शैक्षिक संस्थान भी इस पुस्तकालय में अपने छात्रों के लिए सुलभ प्रारूप में उपलब्ध कराने के लिए तैयार की गई पुस्तकों का योगदान दे सकते हैं, ताकि अन्य संस्थानों के छात्रों को भी वही पुस्तकें उपलब्ध हो सके और कई स्थानों पर ऐसी पुस्तकों को दोबारा तैयार करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।
शैक्षिक संस्थान विकासशील देश में सबसे अधिक पहुंच वाले ऑन लाइन पुस्तकालय का निर्माण कर इतिहास का एक हिस्सा बन सकते हैं। प्रिंट विकलांग लोगों को शामिल कर अपने पाठक आधार को बढ़ाने के लिए वे अपने प्रकाशनों को सुलभ प्रारूपों में सुगम्य पुस्तकालय पर साझा कर सकते हैं। पुस्तकालय की पहले से ही रीडर्स डाइजेस्ट और इंडिया टूडे जैसे प्रकाशनों के साथ साझेदारी है और वह बड़ी संख्या में निजी और सरकारी प्रकाशन विभाग और प्रकाशनों के साथ नई साझेदारी करना चाहता है। पाठ्यपुस्तक प्रकाशन विभाग, राज्य पाठ्य पुस्तक बोर्ड इस मंच के जरिए प्रिंट विकलांग छात्रों के लिए अपनी सामग्री उपलब्ध कराकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकते हैं।
सुगम्य पुस्तकालय से जो सामान्य प्रिंट नहीं पढ़ पाते हैं, केवल उन्हें पुस्तकें देने से पुस्तकें संरक्षित रहेंगी। गैर सरकारी संगठन के मामले में वे एक सदस्य के रूप में प्रिंट विकलांग लोगों के लिए पुस्तकालय सेवा शुरू कर सकते हैं और अपने सदस्यों को सुगम्य पुस्तकालय की पूरी सामग्री उपलब्ध करा सकते हैं। कॉरपोरेट के मामले में उनके कर्मचारी स्वयं अपनी इच्छा से सामग्री तैयार कर करोड़ो प्रिंट विकलांग लोगों की मदद कर सकते हैं। सूचना प्रोद्योगिकी उद्योग सभी भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री के लेखन और पाठन में खामियों को दूर करने के लिए प्रोद्योगिकी विकसित कर योगदान दे सकते हैं।