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नई दिल्ली। वर्तमान विकलांगता ग्रस्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण सहभागिता) अधिनियम 1995 को हटाने के लिए नए कानून का मसौदा तैयार करने के लिए गठित समिति ने नए कानून विकलांगताग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार विधेयक का अंतिम प्रारूप सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक को सौंप दिया है। प्रस्तावित कानून विकलांगताग्रस्त व्यक्ति अधिनियम 1955 को रद्द करके विकालंगताग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीआरपीडी) के प्रावधानों के अनुसार व्यापक अधिकारों पर आधारित कानून को प्रतिस्थापित करना चाहता है। मंत्रालय ने विकलांगताग्रस्त व्यक्ति अधिनियम 1955 को नए कानून द्वारा प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव अधिनियम को लागू करने में अर्जित अनुभव एवं वर्षों से विकलांगता क्षेत्र में हुए विकासों एवं यूएनसीआरपीडी के अंतगर्त प्रतिबद्धताओं के आलोक में किया था। डॉ सुधा कौल, उपाध्यक्षा केंद्रीय प्रमस्तिस्कीय संस्थान कोलकाता की अध्यक्षता में यह समिति गठित की गई थी जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं सिविल सोसाइटी संगठनों के विशेषज्ञ एवं प्रतिनिधियों सहित विकलांग व्यक्तियों को शामिल किया गया था। समिति का गठन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विभिन्न सुझावों एवं विचारों पर विचार-विमर्श करके विस्तृत कानून का प्रारूप तैयार करने के लिए किया गया था।