मधु कोडा, देश में कांग्रेस की राजनीति का एक घोर पाप है, जिसका घड़ा धड़ाम से फूटा है। उसने झारखंड में निरीह और भोले-भाले आदिवासियों पर भारी भरकम अजगर छोड़ दिए जिन्होंने झारखंड को लूट-खसोट कर उसे नक्सलियों की आग में जलने को छोड़ दिया। मधु कोडा जैसे दैत्य कभी सर न उठाते यदि कांग्रेस झारखंड में भाजपा को पटकनी देने के लिए राजनीतिक...
दलित वोटों को अपनी रैयत समझकर उन्हें ठेकेदारों, गुंडों और माफियाओं को बेचती आ रहीं बसपा अध्यक्ष मायावती के भ्रष्टाचार जनित अहंकार का 'मर्दन' करने निकले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के लिए उत्तर प्रदेश में किसी ताकतवर दलित नेता को आगे किए बिना ऐसा कर पाना संभव नहीं है। राहुल गांधी को कांग्रेस के 'दलित मिशन' के लिए ऐसा दलित...
देश में काम की कमी नहीं है, लेकिन काम आदमियों के लिए नहीं है, मशीनों के लिए है। आम मेहनतकश अनपढ़ लोगों का काम बुल्डोजर जैसी मशीने लेती जा रही हैं और पढ़े-लिखे लोगों का काम कम्प्यूटर लेता जा रहा है। ऐसे में हर हाथ को काम देने और दिला पाने का नारा केवल एक गैरजिम्मेदार व्यक्ति ही उछाल सकता है, जिसने बदली हुई परिस्थितियों का पर्याप्त अध्ययन नहीं किया है। एक याचिका में कहा गया है कि 1750 रुपए प्रत्येक...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह तय करे कि अब किसी सार्वजनिक स्थान या सड़क पर मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरूद्वारा नहीं बनेगा अगर सार्वजनिक स्थान पर इनमे से एक भी निर्माण हुआ तो संबंधित अधिकारी को समुचित सजा दी जाएगी। इस महाआदेश के लिए हम उच्चतम न्यायालय के आभारी हैं। केंद्र सरकार इस मामले पर यदि राज्यों के साथ सहमति बनाने...
भारतीय रेल मंत्रालय के रेलवे बोर्ड की एकमात्र मासिक हिंदी पत्रिका भारतीय रेल अगस्त-2009 को अपनी गौरवशाली यात्रा की स्वर्ण जयंती मना रही है। बीते पांच दशक में इस पत्रिका ने रेलकर्मियों सहित पाठक वर्ग में भी अपनी एक विशिष्ट पहचान कायम की है। इस अवधि में जहां भारत सरकार की कई पत्रिकाएं बंद हो गईं या बहुत सीमित दायरे तक पहुंच...
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक जांच के आदेश तो दिए हैं, लेकिन जांच के निष्पक्ष होने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। अब सवाल सिर्फ अस्थाना की मौत की जांच का नहीं है बल्कि न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर उंगलियां उठ रही हैं। सूचना के अधिकार की परिधि में जज साहब क्यों नहीं आते हैं? सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की क्या प्रक्रिया...
जलवायु परिवर्तन को आज मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है। माह दिसम्बर 2009 में ही डेनमार्क, कोपेहेगन में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समझौते को इसे रोकने की दिशा में मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है। धरती की सतह पर बढ़ते तापमान को दो डिग्री सेंटीग्रेड से कम रखने के लिए पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय शासकीय, आर्थिक और शैक्षिक स्तरों पर इसे लेकर विचार-विमर्श...
भारतीय दंड संहिता के अध्याय में समलैंगिक पुरूष यौन संबंधों को पाप बताया गया है। यह अध्याय अंग्रेजों के जमाने में संहिता में नहीं जोड़ा गया था, बल्कि यह शताब्दियों से भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विरासत रही है, यह एक कटु सत्य है कि आज भी भारत एक सांस्कृतिक नेता के रूप में दुनिया में विद्यमान है एवं तथाकथित पश्चिमी सभ्यता...
आतंकवाद के अभिशाप से शायदअजमल कसाब-ajmal kasab ही कोई देश मुक्त हो और इससे मुक्ति के लिए जरूरत है तो अंतरराष्ट्रीय सहयोग की। यह संदेश सर्वत्र फैल जाना चाहिए कि मतांधता के नाम पर किए जाने वाले हर आतंकवाद से निर्णायक रूप से तत्काल निबटा जाएगा, तभी दुनिया भर के निरीह नागरिक इन घातक प्रहारों से मुक्ति का अनुभव कर सकेंगे।...
भावी प्रधानमंत्री के लिए जो नाम सामने आए हैं, उनकी योग्यता आदि के विषय में राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़े और उनके व्यक्तित्व के सभी पहलू आम जनता के सामने प्रमुखता से प्रस्तुत किए जाएं, ताकि लोगों को अपने हिसाब से राजनीतिक दल एवं प्रधानमंत्री पद के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करने में मदद मिले। ...
मायावती को एहसास हो गया है कि उनका प्रधानमंत्री बनना असंभव है। इसलिए उन्होंने एक प्रकार से एनडीए के सामने प्रस्ताव रख दिया है कि वह कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार न बनने देने के लिए बिना शर्त एनडीए का साथ देंगी।...
लालू के राजनीतिक दांव आज के राजनीतिक माहौल में नव राजनीतिज्ञों के लिए एक पाठ्यक्रम से कम नहीं कहे जा सकते। लालू को कब लल्लू कब लालू प्रसाद और कब लालू प्रसाद यादव बनना है इसकी कला उन्हें बखूबी आती है। बालीवुड से हालीवुड और खेल खेती खलिहान तक सब जगह लालू यादव का वर्चस्व है।...
अमरीका से एटमी करार पर यूपीए सरकार के विश्वास मत के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी अपने राष्ट्रधर्म से क्यों भाग खड़े हुए? जबकि उन्हीं के सामने, इसी सदन में लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने अपने वामदलों के भारी दबाव और पार्टी में आलोचनाओं की कोई परवाह ही नहीं की।...
मायावती और कांग्रेस के बीच घमासान आज अपने चरम पर पहुंच गया है। मायावती के ईमानदार होने का फैसला अब सिर्फ देश की अदालत को ही करना है जिससे अब ‘काले धन’ पर कभी भी निर्णायक मुकद्मेबाजी शुरू होनी तय है। इसमें मायावती को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।...
दुनिया भारत में लीडरों के नैतिक पतन की पराकाष्ठा देख रही है। वह देख रही है कि भारत के लीडर और राजनीतिक दल किस तरह बिकते हैं। प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए जीभ निकाले घूम रहे महाभ्रष्ट और चार्जशीटेड नेता कुर्सी के लिए कैसे-कैसे समझौते करने को तैयार हो जाते हैं। देशहित के गंभीर मुद्दों पर भी ये राजनीतिज्ञ एक मेज पर कभी बैठते...