स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 5 June 2021 04:16:15 PM
नई दिल्ली। भारतीय रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्रबलों के आधुनिकीकरण तथा संचालन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 6,000 करोड़ रुपये के विभिन्न उपकरणों के पूंजी अधिग्रहण से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत परियोजना पी 75 (आई) के तहत छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आरएफपी जारी करने को भी मंजूरी प्रदान की है। इस परियोजना में 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन प्रणाली से लैस छह पारंपरिक पनडुब्बियों का स्वदेश में निर्माण करने का फैसला किया गया है।
रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत संपादित होने वाला पहला अवसर होने की वजह से यह एक ऐतिहासिक मंजूरी है। यह मेक इन इंडिया की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक होगी। यह मंजूरी प्रौद्योगिकी के तेजी से और अधिक महत्वपूर्ण समावेशन की सुविधा प्रदान करने तथा भारत में पनडुब्बी निर्माण केलिए एकस्तरीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का काम करेगी। रणनीतिक दृष्टिकोण से इससे आयात पर देश की वर्तमान निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी और धीरे-धीरे स्वदेशी स्रोतों से आपूर्ति की अधिक आत्मनिर्भरता तथा विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी। इस स्वीकृति के साथ ही भारत पनडुब्बी निर्माण में राष्ट्रीय क्षमता हासिल करने तथा स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए स्वतंत्र रूपसे देश में पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण के वास्ते सरकार द्वारा परिकल्पित अपने 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम का लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम होगा।
भारतीय रक्षा उद्योग केलिए नई प्रौद्योगिकियों एवं उन्नत विनिर्माण क्षमताओं की उपलब्धता से भारत में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूपसे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। यह निर्णय आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी निर्माण और सतत गतिविधियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में देशकी खोज को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। एसपी मॉडल के तहत यह परियोजना उद्योगों केलिए पनडुब्बी निर्माण में निवेश एवं समर्थन जुटाने में एक अद्वितीय दीर्घकालिक अवसर और योजना की निश्चितता प्रदान करती है। इस कदम से भारतीय उद्योग तथा प्रमुख विदेशी मूल उपकरण निर्माता-ओईएम के बीच रणनीतिक गठजोड़ के माध्यम से देश में बनने वाली पनडुब्बियों में नवीनतम तकनीक और हथियार का भी इस्तेमाल सुनिश्चित होगा। भारतीय सेना को एयर डिफेंस की बंदूकों के आधुनिकीकरण की लंबे समय से आवश्यकता और प्रतीक्षा थी। ये हथियार पहले केवल विदेशी स्रोतों से ही खरीदे जा रहे थे। रक्षा मंत्रालय के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को लगातार बढ़ावा देने के आह्वान के बाद लगभग एक दर्जन भारतीय कंपनियों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।
भारतीय रक्षा निर्माण कंपनियों ने भारत में प्रौद्योगिकी समावेशन सुनिश्चित करके इस जटिल गन सिस्टम तथा संबंधित उपकरणों के निर्माण केलिए अपनी इच्छा एवं प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसके अतिरिक्त रक्षा अधिग्रहण परिषद ने बाय एंड मेक (इंडियन) श्रेणी के तहत लगभग 6,000 करोड़ रुपये की लागत से एयर डिफेंस गन और गोला-बारूद की खरीद को मंजूरी दी है। सशस्त्रबलों को परिचालन चुनौतियों का सामना करने में बेहतर ढंग से लैस करने तथा आवश्यक हथियारों एवं गोला-बारूद को तेजी से शामिल करने की सुविधा केलिए डीएसी ने सशस्त्र बलों को प्रदत्त शक्तियों के तहत तत्काल पूंजी अधिग्रहण की प्रगति के वास्ते समय-सीमा 31 अगस्त 2021 तक बढ़ा दी है। यह सशस्त्रबलों को अपने आकस्मिक और महत्वपूर्ण अधिग्रहणों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।