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Saturday 8 April 2023 12:30:08 PM
गुवाहाटी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गौहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा हैकि गौहाटी उच्च न्यायालय भारत की न्यायिक व्यवस्था में एक अद्वितीय स्थान रखता है। उन्होंने कहाकि वर्ष 1948 में इसकी स्थापना केबाद इसका छह दशक से अधिक समय तक सात राज्यों पर अधिकार क्षेत्र था और अभीभी चार राज्यों में इसका अधिकार क्षेत्र है। राष्ट्रपति ने कहाकि गौहाटी उच्च न्यायालय ने कई कानूनी दिग्गजों को जन्म देकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। उन्होंने उल्लेख कियाकि एक समय में इसके अधिकार क्षेत्रमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश शामिल थे, वर्ष 2013 में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों केलिए अलग-अलग उच्च न्यायालयों की स्थापना केबाद गौहाटी उच्च न्यायालय का असम, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों पर अधिकार क्षेत्र है, गुवाहाटी में इसकी प्रमुख सीट और कोहिमा में तीन स्थायी बेंच हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि गौहाटी उच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक निर्णय देने केलिए भी ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि गौहाटी उच्च न्यायालय आनेवाले वर्ष मेभी इसी तरह लोगों की न्यायिक सेवा करता रहेगा। उन्होंने कहाकि जब वह गौहाटी उच्च न्यायालय की उपलब्धियों के बारेमें सोचती हैं तो समाज में न्याय की भूमिका पर विचार किया और उनका कहना हैकि एक आधुनिक गणतंत्र के रूपमें भारत की नींव हमारा शानदार संविधान है, जिसकी आधारशिला प्रमुख रूपसे न्याय ही है। उन्होंने कहाकि हमारे संविधान निर्माताओं की एक दृष्टि थी, जो हमारे गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम से उभरी थी। राष्ट्रपति ने स्वतंत्र भारत की कल्पना एक ऐसे राष्ट्र के रूपमें की जहां सभी नागरिक हर दृष्टि से समान हों, समानता का अर्थ केवल कानून के समक्ष समानता नहीं था, यही कारण हैकि न्याय की उनकी धारणा काफी विस्तृत थी, न्याय में आर्थिक और सामाजिक न्याय भी शामिल है, वास्तव में यह दो या तीन पहलुओं से परे फैलता है और यह हर पीढ़ी का कर्तव्य बनता हैकि वह अपने समय में इस शब्द को सार्थक बनाए।
राष्ट्रपति ने कहाकि न्याय परिभाषा के अनुसार समावेशी होना चाहिए और इस प्रकार सभीके लिए सुलभ होना चाहिए, हालांकि न्याय तक पहुंच कई कारकों से बाधित है और न्याय की लागत उनमें से एक है। उन्होंने कहाकि हमें नि:शुल्क कानूनी परामर्श की पहुंच का विस्तार करते रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि न्यायपालिका ने अधिक से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने शुरू किए हैं एवं भाषा के संदर्भ में कानूनी प्रक्रियाओं को समावेशी बनाने केलिए और भी कई नवाचार किए जा सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र संभवत: इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण हैकि ऐतिहासिक रूपसे किस प्रकार विभिन्न समुदाय एकसाथ रहते आए हैं, इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्रमें समृद्ध जातीय और भाषाई विविधता है। राष्ट्रपति ने कहाकि ऐसे क्षेत्र में संस्थानों को बहुत अधिक संवेदनशीलता और दायित्व की आवश्यकता होती है, क्योंकि विविध परंपराएं और कानून क्षेत्र के लोगों के जीवन को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने कहाकि अलग-अलग क्षेत्रों में लागू होनेवाले कानून अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन पूरे क्षेत्र का संचालन एक सामान्य उच्च न्यायालय से ही किया जाता है।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि मुफ्त कानूनी परामर्श की पहुंच का विस्तार करते रहने की आवश्यकता है, न्याय प्रशासन में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका से कई समस्याओं का समाधान हो रहा है, जो लंबे समय से व्यवस्था को प्रभावित कररही थी। द्रौपदी मुर्मु ने वकीलों और कानून के विद्यार्थियों से कानूनी क्षेत्रमें तकनीकी समाधान खोजने का आग्रह किया, जो गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता कर सकें। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यह देखकर प्रसन्नता हो रही हैकि गौहाटी उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कुछ राज्यों में चल रहे परंपरागत कानूनों को बरकरार रखने में सफल रहा है। उन्होंने कहाकि स्वदेशी लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस संस्था ने इस क्षेत्रमें शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लोकाचार को प्रोत्साहित करने में सहायता की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस मौके पर पर्यावरण को होरही क्षति पर कहाकि हमें पारिस्थितिक के अनुसार होनेवाले न्याय केप्रति संवेदनशील होना चाहिए, पर्यावरण को होरही क्षति ने दुनियाभर के कई समुदायों केसाथ बहुत अन्याय किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमें अन्य प्रजातियों केसाथ-साथ संपूर्ण व्यवस्था केप्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है, क्योंकि मानव जाति ने समग्र रूपसे इसे अभूतपूर्व क्षति पहुंचाई है अर्थात प्रकृति माँ के परिवार के अन्य सदस्यों केसाथ अन्याय किया है। उन्होंने कहाकि पारिस्थितिक के अनुसार न्याय की दिशा में काम करने के कई रूप हो सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कानूनी बिरादरी भी इसमें सार्थक योगदान देगी। इस अवसर पर उन्होंने महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा केलिए बनाएगए मोबाइल ऐप 'भोरोक्सा' का शुभारंभ भी किया। समारोह में देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी उपस्थित थे।